National Panchayati Raj Day: जारी है हक की लड़ाई, हरियाणा में 41 फीसद महिला सरपंच, प्रतिनिधि के हाथ चौधर
पंचायतों में आरक्षण से महिलाओं को केवल हिस्सेदारी मिली। 33 फीसद आरक्षण में 41 फीसद सरपंच महिलाएं बनी हैं। महिलाओं को हक दिलाने के लिए सरकार को बड़े कदम उठाने होंगे। प्रदेश में महिला सरपंच आकड़ों में आगे धरातल पर पीछे हैं।
हिसार/हांसी [मनप्रीत सिंह]। लोकतंत्र में सबसे छोटी सरकार कही जाने वाली पंचायतों में लागू आरक्षण के बलबूते महिलाएं अपनी हिस्सेदारी तो हासिल कर रही हैं, लेकिन घरों में पुरुषों के वर्चस्व को तोड़ने में पूरी तरह कामयाब नहीं हो पा रही हैं।
ज्यादातर गांवों में महिला सरपंचों के स्थान पर उनके प्रतिनिधि सरपंची की चौधर करते नजर आते हैं। खास बात ये है 33 फीसद आरक्षण के बावजूद प्रदेश में 41 फीसद महिला सरपंचों ने जीत हासिल की। यही नहीं शैक्षणिक योग्यता के मामले में भी निर्वाचित महिला सरपंच पुरुषों के मुकाबले पीछे नहीं है। इसके बावजूद महिलाएं अपने घर की दहलीज को पार नहीं कर पा रही हैं।
बता दें कि महिलाओं को राजनीतिक रूप से सशक्त बनाने के लिए प्रदेश में 33 फीसद आरक्षण लागू था, जिसे बीते वर्ष सरकार ने बढ़ाकर 50 फीसद कर दिया गया है। 33 फीसद आरक्षण में ही प्रदेश में 41 फीसद महिलाएं जीत हासिल कर सरपंच बनी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि 50 फीसद आरक्षण लागू होने के बाद महिलाओं की पंचायतों में हिस्सेदारी पुरुषों की तुलना में बढ़ेगी, लेकिन धरताल पर स्थिति एकदम उलट है। महिलाएं जीत हासिल कर सरपंच बनने में कामयाब हो रही हैं लेकिन उनके घरों में पुरुष उनके प्रतिनिधि बनकर सरपंची का कामकाज देखते हैं।
हरियाणा में 41 फीसद महिला सरपंच
हरियाणा में कुल 6186 सरपंच हैं। जिनमें से 2565 (41 फीसद) महिलाएं हैं। इनमें से 44 फीसद महिला सरपंचों की शैक्षणिक योग्यता 10वीं कक्षा है। केवल 245 महिला सरपंच ही स्नातक या इससे ऊपर की योग्यता रखती हैं। प्रदेश में महिला सरपंचों की औसत उम्र 32 वर्ष है जबकि पुरुष सरपंचों की औसत उम्र 39 साल है। पंचायत विभाग के अधिकारी भी स्वीकार करते हैं कि ज्यादातर महिला सरपंचों का कामकाज उनके प्रतिनिधि ही देखते हैं।
प्रदेश के सभी जिलों में महिलाएं हिस्सेदारी में आगे
हरियाणा प्रदेश का कोई भी जिला ऐसा नहीं है जहां पंचायतों में महिला सरपंचों का प्रतिनिधित्व निर्धारित 33 फीसद से कम हो। यमुनानगर व करनाल में 45 फीसद सरपंच महिलाएं हैं। इसके अलावा फरीदाबाद, फतेहाबाद, गुरुग्राम, मेवात, पलवल, रोहतक कैथल, हिसार, झज्जर, कुरुक्षेत्र, महेंद्रगढ़ जिलों में भी 40 फीसद से अधिक सरपंच के पदों पर महिलाएं काबिज हैं।
प्रदेश के जिलों में महिला सरपंचों की हिस्सेदारी
जिला फीसद
अंबाला - 43
भिवानी - 38
फरीदाबाद - 40
फतेहाबाद - 41
गुरुग्राम - 43
हिसार - 40
झज्जर - 40
जींद - 38
कैथल - 43
करनाल - 45
कुरुक्षेत्र - 41
महेंद्रगढ़ - 41
मेवात - 41
पलवल - 41
पंचकुला - 34
पानीपत - 41
रेवाड़ी - 38
रोहतक - 40
सिरसा - 42
सोनीपत - 40
यमुनानगर - 45
महिला प्रतिनिधि को आगे आना चाहिए
महिला सरपंचों का कामकाज ज्यादातर उनके प्रतिनिधि देखते हैं। इस बारे में सरकार द्वारा भी समय-समय निर्देश आते रहते हैं कि महिला सरपंचों को ही सशक्त बनाया जाए। विभाग द्वारा भी जागरुकता अभियान चलाया जाता है। महिला सशक्तिकरण के लिए आरक्षण दिया गया है और महिलाओं को आगे आना चाहिए। पंचयाती राज विभाग भी महिलाओं की हर स्तर पर सहायता के लिए तैयार रहता है। - अशोक मेहरा, बीडीपीओ, हांसी
महिला सरपंचों को अधिकार देने में सरकार गंभीर
महिला सरपंचों को उनके अधिकार दिलवाने के लिए सरकार पूरी तरह से गंभीर है। सरकार की तरफ से भी मीटिंग में केवल महिला सरपंचों की इंट्री की इजाजत है। समय के साथ समाज की सोच बदल रही है और काफी महिला सरपंच अब कई गांवों में बेहतर काम कर रही हैं। आने वाले समय भी सरकारी प्रयासों का असर और दिखेगा और महिला सरपंच अपने अधिकारों को लेकर निश्चित तौर पर जागरुक होंगी। - डॉ जितेंद्र सिंह, एसडीएम
हिसार की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
यह भी पढ़ेंः विश्व पटल पर चमका भिवानी का सितारा, मुक्केबाज सचिन ने वर्ल्ड यूथ बॉक्सिंग चैंपियनशिप में जीता गोल्ड
यह भी पढ़ेंः पतियों की पुलिस से गुहार, पत्नी से बचा लो सरकार, रोहतक का हैरान कर देने वाला मामला
यह भी पढ़ेंः सावधान! युवाओं को निशाना बना रहा कोरोना, 25 और 30 साल के युवाओं ने तोड़ा दम