गलत नीति का फायदा उठा रहे प्रदेश के 300 चिकित्सक
प्रदेशभर में ऐसे करीब 300 सरकारी चिकित्सक हैं जिन्होंने सरकारी खर्च पर पीजी कोर्स किये जाने के बाद में ना तो निर्धारित बांड राशि जमा करवाई और ना ही निर्धारित अवधि तक सरकारी सेवा की बल्कि ये चिकित्सक अपने निजी संस्थान खोलकर दोहरी कमाई कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, हिसार : स्वास्थ्य विभाग के डा. रमेश पूनिया ने सरकार की फायदेमंद नीतियों का गलत इस्तेमाल करके सरकारी खर्चे पर पीजी कोर्स करने वाले चिकित्सकों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। डा. पूनिया ने इन चिकित्सकों पर लगाम लगाने के लिए बाकायदा पीएम विडो पोर्टल पर शिकायत दी है। इसमें उन्होंने लिखा है कि प्रदेशभर में ऐसे करीब 300 सरकारी चिकित्सक हैं, जिन्होंने सरकारी खर्च पर पीजी कोर्स किये जाने के बाद में ना तो निर्धारित बांड राशि जमा करवाई और ना ही निर्धारित अवधि तक सरकारी सेवा की, बल्कि ये चिकित्सक अपने निजी संस्थान खोलकर दोहरी कमाई कर रहे हैं।
गौरतलब है कि पिछले दिनों एक आरटीआइ में परिवर्तन अस्पताल की संचालिका डा. रितू का ऐसा ही मामला सामने आया था। डा. पूनिया ने अपनी शिकायत पर डा. रितू का भी उदाहरण पेश किया। उन्होंने लिखा कि कई चिकित्सक सरकारी खर्चे पर की हुई पीजी डिग्री व कोर्स के दम पर प्राइवेट प्रैक्टिस करके अवैध रूप से मोटी कमाई कर रहे है। ऐसे अधिकारी सरकार को चूना लगाकर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं।
--------
ये है नियम
सरकारी स्वास्थ्य सेवा के दौरान पीजी कोर्स करने के लिए चिकित्सा अधिकारियों को केवल एक बांड भरके देना होता है। इस बांड में सरकारी नियमों के अनुसार पीजी कोर्स पूरा होने के बाद की शर्त के अनुसार हरियाणा सरकार को पांच वर्ष तक अपनी सेवाएं प्रदान करना होता है। यदि ऐसा नहीं करते है तो 10 लाख रुपये देने के लिए बाध्य होते है। इसके बावजूद पीजी कोर्स करने वाले चिकित्सक पीजी कोर्स अथवा डिग्री पूरी होने के बाद ना तो सरकार को अपनी सेवाएं निश्चित अवधि तक देते है और ना ही बांड राशि देते हैं।
--------
डा. रितू खुराना का दिया उदाहरण
डा. पूनिया ने शिकायत में डा. रितू खुराना का उदाहरण दिया है। उनका आरोप है कि बतौर मेडिकल ऑफिसर रहते हुए डा. रितू ने सरकारी खर्च पर पहले तो पीजी कोर्स किया। कोर्स करने के बाद बांड की शर्तो के अनुसार न तो ड्यूटी ज्वाइन की और न ही बांड राशि भरी। उन्होंने अपने रसूख का इस्तेमाल कर सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ाई। उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी मंद गति से कर उनको फायदा पहुंचाया जा रहा है। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले एक आरटीआइ के जवाब में पर्दाफाश हुआ था कि डा. रितू ने पीजी कोर्स किया था, लेकिन उसके बाद सरकारी ड्यूटी ज्वाइन नहीं की और न ही बांड भरा। मामले में डा. रितू पूनिया ने कहा था कि वह ड्यूटी ज्वाइन करना चाहती है।