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हिसार में 30 मुस्लिम परिवारों ने अपनाया हिंदू धर्म, बुजुर्ग महिला का किया दाह संस्‍कार

गांव बिठमड़ा में 30 परिवारों ने हिंदू धर्म अपनाते हुए कहा उन्‍हाेंने दफनाना शुरू किया था। अब हम अंतिम संस्‍कार भी हिंदू धर्म अनुसार करेंगे

By Manoj KumarEdited By: Published: Fri, 08 May 2020 12:18 PM (IST)Updated: Fri, 08 May 2020 04:39 PM (IST)
हिसार में 30 मुस्लिम परिवारों ने अपनाया हिंदू धर्म, बुजुर्ग महिला का किया दाह संस्‍कार
हिसार में 30 मुस्लिम परिवारों ने अपनाया हिंदू धर्म, बुजुर्ग महिला का किया दाह संस्‍कार

हिसार, जेएनएन। हिसार जिले से बड़ी खबर है। उप तहसील उकलाना के गांव बिठमड़ा में 30 मुस्लिम परिवारों ने अपनी इच्‍छा से हिंदू धर्म अपना लिया है। हालांकि, बदलते समय के साथ इन परिवारों ने हिंदू धर्म की बहुत से चीजों को अपना लिया था मगर मृतकों को अभी भी दफनाया ही जाता था। मगर अब इन परिवारों ने 350 साल पहले शुरू की गई इस परंपरा को भी बदलने का फैसला लिया। शुक्रवार को बुजुर्ग महिला की मौत हुई तो पहली बार किसी को दफनाने की बजाय हिंदू रिवाज के अनुसार दाह संस्‍कार किया गया।

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परिवार के लोगों ने कहा बिना किसी दबाव के अपनी इच्छा से वे हिंदू धर्म अपना रहे हैं। डोम बिरादरी इन 30 परिवारों में मुस्लिम और हिंदू दोनों ही धर्मों की मिलीजुली संस्‍कृति देखने को मिलती थी। इन परिवारों में बहुत-से सदस्‍यों के नाम हिंदू हैं। वहीं ये लोग होली दिवाली और नवरात्रि आदि त्‍योहार भी मनाते आ रहे हैं। मगर मृतकों को दफनाने की परंपरा को लेकर इन्‍हें मुस्लिम ही समझा जाता था।

मृतका 80 वर्षीय फुल्ली देवी के बेटे सतबीर ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने बहुत साल पहले मुस्लिम धर्म को अपना लिया था। वे मृतकों को मुस्लिम धर्म के अनुसार दफनाने लगे थे। मगर आजादी मिलने के बाद इस बात का पता चलते ही हमारे मन में फिर से हिंदू धर्म अपनाने का ख्‍याल आया। मगर कुनबे में सभी इसको लेकर अलग-अलग मत रख रहे थे। वक्‍त के साथ धीरे-धीरे हमने बहुत से हिंदू रीति-रिवाजों को अपना लिया, तो कुछ अभी बाकी था। आज से हमने आखिरी कड़ी को भी खत्‍म कर दिया है। हमें अब कोई संदेह की नजर से भी नहीं देखेगा, क्‍योंकि हम अब पूर्ण रूप से हिंदू हैं।

वहीं डोम बिरादरी के इस फैसले का ग्रामीणों ने भी दिल खोलकर स्‍वागत किया है। ग्रामीणों ने कहा कि इससे पहले भी इन लोगों के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता था। मगर अब उन्‍होंने पूर्ण रूप से ही हिंदू धर्म को मानने का फैसला कर लिया है जो स्‍वागत योग्‍य है। ग्रामीणों ने कहा - हमारे भाइयो ने घर वापसी की है। इसलिए ये खुशी का अवसर है।

जींद में भी सामने आया था ऐसा ही मामला

गांव दनौदा कलां में 6 मुस्लिम परिवारों ने हिंदू धर्म में वापसी की थी। शनिवार को जब उनके परिवार के एक बुजुर्ग नेकाराम का निधन हुआ, तो सभी ने अपनी मर्जी से उन्हें दफनाने की बजाए उनका अंतिम संस्कार किया। गांव के मनीर मिरासी की विरासत के सदस्य रमेश कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि मुस्लिम बादशाह औरंगजेब के समय में उनके दादा-परदादा हिंदू थे। उनके अत्याचारों से तंग आकर उन्होंने अपने परिवार की सुरक्षा के लिए मुस्लिम धर्म को अपनाया था। अब सोशल मीडिया तथा अन्य माध्यमों से उनके परिवार के शिक्षित नौजवान बच्चों को जब असलियत का ज्ञान हुआ, तो पूरे परिवार ने बिना किसी दबाव के पूरी सहमति के साथ हिंदू धर्म में घर वापसी का विचार बनाया। उन्होंने हिंदू धर्म की परंपरा अनुसार जनेऊ भी धारण कर लिया है। रमेश ने बताया कि आज देश जब कोरोना वायरस से जूझ रहा है और लॉकडाउन लगा है, तो कुछ लोग अपनी धार्मिकता अपनाते हुए इकठ्ठे जमात में बैठने का प्रयास कर रहें हैं, जो मानव धर्म के खिलाफ है। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि सब धर्मों से बढ़कर तो मानव धर्म है।

अपनी इच्छा से अपनाया हिंदू धर्म

गांव के सरपंच पुरुषोत्तम शर्मा ने बताया कि मनीर मिरासी के परिवार ने बिना किसी दबाव और अपनी इच्छा से हिंदू धर्म में वापसी की है। हिंदू संस्कृति के अनुसार, कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म को धारण कर सकता है। इसमें किसी को कोई आपत्ति भी नहीं, बल्कि समस्त गांव इनके इस फैसले का सम्मान करता है।


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