10 गांवों में नहर किनारे 50 साल पुराने अवैध कब्जों को वन विभाग ने हटाकर लगाए 26 हजार पौधे
मनप्रीत सिंह हांसी एक दौर में चेतांग नदी के नाम से मशहूर हिसार मेजर नहर के साथ लगती व
मनप्रीत सिंह, हांसी: एक दौर में चेतांग नदी के नाम से मशहूर हिसार मेजर नहर के साथ लगती वन विभाग की सैकड़ों एकड़ जमीन लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार विभाग ने अवैध कब्जों से मुक्त करवा ली। कब्जा मिलते ही जमीन पर पौधारोपण का काम युद्धस्तर पर शुरू कर दिया है। करीब 26 हजार फलदार व फूलदार पौधे इस भूमि लगाए गए हैं। कब्जा छुड़ाने की कार्रवाई के दौरान किसानों ने जमकर विरोध भी किया लेकिन एक महीने तक चली लंबी जद्दोजहद के बाद आखिर वन विभाग ने जमीन को अवैध अधिग्रहण से मुक्त करवा लिया। वन विभाग के अनुसार राजथल हेड से नारनौंद, भैणी अमीरपुर, माजरा, शाहपुर, गंगनखेड़ी आदि गांवों के होकर गुजरने वाली हिसार मेजर नहर के दोनों तरफ वन विभाग की सैकड़ों एकड़ जमीन है। इस जमीन पर करीब 10 गांवों में किसान कई दशकों से नाजायज तरीके से खेती कर रहे थे। आलम ये था कि कब्जाधारी किसान बिल्कुल नहर के किनारे तक अपना आधिपत्य जमा चुके थे। जिससे नहर को भी नुकसान हो रहा था क्योंकि दोनों तरफ पेड़ ना होने से नहर के किनारे कमजोर हो जाते हैं। ऐसे में वन विभाग ने अपनी भूमि को अवैध कब्जों से मुक्त कराने की ठान ली और किसानों के कड़े विरोध के बावजूद एक महीने की कार्रवाई के बाद जमीन अपने कब्जे में लेकर निशानदेही करवाते हुए पिल्लर गाड़ दिए।
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नहर होगी हरे-भरे वृक्षों से गुलजार
हिसार मेजर नहर के किनारों पर वन विभाग द्वारा जामुन, शहतूत, अर्जुन आदि छायादार व फलदार पौधे लगाए जा रहे हैं। कुछ सालों बाद नहर का किनारा हरे-भरे पेड़ों से गुलजार होगा। इसके अलावा नहर का किनारा पेड़ लगने से मजबूत होगा, जिससे जलस्तर बढ़ने पर नहर के टूटने का खतरा भी कम होगा। इलाके में हजारों पेड़ लगने से पर्यावरण को भी काफी फायदा होगा।
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नारनौंद में राजथल हेड से आगे गंगनखेड़ी की तरफ करीब दस गांवों में किसानों ने नदी के साथ लगती वन विभाग की भूमि पर सालों से कब्जा कर रखा था। विभाग ने जमीन को कब्जा मुक्त करवाकर वहां छायादार व फलदार पौधे लगवाए हैं।
- पवन कुमार, वन रेंज ऑफिसर, हांसी