गांव खरकड़ी में बस सुविधा न मिलने से 20 छात्राओं ने छोड़ दी पढ़ाई
जागरण संवाददाता हिसार शहर से 18 किलोमीटर दूरी पर स्थित खरकड़ी गांव में करीब 20 छा
जागरण संवाददाता, हिसार: शहर से 18 किलोमीटर दूरी पर स्थित खरकड़ी गांव में करीब 20 छात्राओं को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ गई। वजह थी गांव में समय पर बस का न पहुंच पाना। गांव में सिर्फ 10वीं तक का सरकारी स्कूल होने के कारण करीब 35 छात्राओं ने शहर के सरकारी स्कूलों में इसी वर्ष कक्षा 12वीं में दाखिला लिया था। लेकिन बसें न आने के कारण इन छात्राओं ने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। 10वीं के बाद बस न आने की वजह से पढ़ाई छोड़ चुकी मंजू, रश्मि, मंजू कुमारी, रेखा, पूजा, उषा व अन्य लड़कियों ने बताया कि गांव में सुबह 9 बजे बस का समय था, लेकिन यह बस भी कभी कभार ही आती थी, वहीं इसके बाद 11 बजे की बस का समय था। लेकिन यह बस भी सप्ताह में एक या दो बार ही आती थी, जिसके कारण हमें मिलाकर करीब 20 छात्राओं ने स्कूल छोड़ दिया।
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किनाला गांव में नहीं पहुंच रही बस, छात्राओं को आ रही परेशानी
वहीं किनाला गांव जो शहर से 45 किलोमीटर की दूरी पर है, इस गांव में भी छात्राओं को बसों की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। सोमवार को भी गांव से शहर आने वाली कुछ छात्राओं ने इस मामले में रोडवेज अधिकारियों को शिकायत दी। छात्राओं ने बताया कि सुबह 7 बजकर 40 मिनट पर उनके गांव में बस आती थी, जिससे वह काजेज आती हैं लेकिन पिछले एक सप्ताह से उनके गांव में बस नहीं आ रही है। इसके कारण उन्हें अन्य साधनों में कालेज आना पड़ रहा है। इसके कारण वो कालेज से लेट हो रही हैं। छात्राओं ने बताया कि 27 नवंबर से उनके एग्जाम शुरू हो गए हैं और इन्हीं दिनों में रोडवेज वाले गांव में बसें नहीं भेज रहे हैं, जिसके कारण उन्हें परीक्षा देने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
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छात्र-छात्राओं को बसों की खिड़कियों व छतों पर करना पड़ता है सफर
जिले में बसों की कमी और स्कूल-कालेजों के सामने बसें न रुकने के कारण छात्र-छात्राओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है। बस चालक शहर के मुख्य चौराहे जैसे फव्वारा चौक, मटका चौक, डाबड़ा, चौक, पारिजात चौक आदि जगहों पर बसें नहीं रोकते। इसके कारण बस का इंतजार करने वाले छात्र-छात्राएं बसों के पीछे दौड़कर बस पकड़ते हैं, भीड़ की वजह से सीट नहीं मिलती, इसलिए लड़कियों को भी बसों की खिड़कियों पर लटक कर सफर करना पड़ता है। बस के पीछे दौड़ने के कारण कई छात्र-छात्राएं घायल भी हो चुके हैं।
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इन रूटों पर महिला स्पेशल बसें की गई थीं शुरू
मार्ग - समय
1. बाण्डा हेड़ी से हिसार - 7.10
2. उकलाना से हिसार - 7.30
3. भूना से हिसार - 7.30
4. तोशाम से हिसार - 7.30
5. बरवाला से हिसार - 7.40
6. पाबड़ा से हिसार - 8.00
7. सिवानी से हिसार - 7.30
8. सीसवाल से हिसार - 7.40
9. मीरान से हिसार - 7.15
10. हिसार से बालसमंद - 1.50
11. हिसार से पाबड़ा - 2.20
12. हिसार से तोशाम - 2.15
13. हिसार से भूना - 13.45
14. हिसार से बगला - 14.20
15. हिसार से उकलाना - 14.30
16. हांसी से हिसार वाया उमरा - 7.00
17. हांसी से हिसार वाया खरड़ - 7.30
18. हांसी से हिसार वाया कैंट - 8.00
19. सीसर से हांसी - 8.00
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हकीकत में यहां नहीं चल रही बसें
रोडवेज ने कई रूटों पर महिला बसें चलाने के दावे किए हैं, लेकिन हकीकत में सिवानी, हांसी, पाबड़ा, कालीरावण, अग्रोहा, उकलाना, पाबड़ा, भूना, लाडवी-काजला व आदमपुर से सुबह के समय शुरू की गई बसें पिछले काफी समय से नहीं चल रही हैं। प्रतिदिन ही स्कूल-कालेज, विश्वविद्यालयों की छात्राएं बसें उपलब्ध न होने की समस्या लेकर रोडवेज पहुंच रही हैं।
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रोडवेज के आंकड़े
बसों की संख्या - 168
निजी बसें - 40
ड्राइवर - 347
कंडक्टर - 307
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जिले में करीबन सभी गांवों में लड़कियां बसों की डिमांड कर रही हैं। लेकिन सरकार के पास बसें नहीं हैं। बीकानेर, जयपुर, कोटा, भादरा की बसों को इन रूटों पर हटाकर विभिन्न गांवों में लगाया गया है। हिसार रोडेवज के पास कम से कम 400 बसें हों तब जाकर लड़कियों को सभी रूटों पर बसें मिल सकती हैं। चालक-परिचालक की कमी होने के कारण मौजूदा कर्मचारियों को 8 घंटे की बजाय 11 घंटे ड्यूटी देनी पड़ रही है।
- राजपाल नैन, जिला प्रधान, रोडवेज यूनियन कर्मचारी महासंघ।
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जिन रूटों पर छात्राओं की संख्या अधिक है और डिमांड आती है तो हम उन्हें सुविधानुसार बसें उपलब्ध करवा देते हैं। सरकार को भी बसों के लिए लिखा जाता है। अपने स्तर पर किसी रूट से हटाकर छात्राओं को बसें उपलब्ध करवाई जाती हैं। छात्राओं के लिए जो महिला बसें चलाई जा रही हैं, उन बसों को रविवार के दिन नहीं चलाया जाता। क्योंकि उस दिन शिक्षण संस्थानों में अवकाश होता है।
- सुरेंद्र सिंह, जीएम रोडवेज, हिसार।