चार वर्ष बाद गर्मियों में पैदा हुए 14 पश्चिमी विक्षोभ, अचानक एक्टिव होने से आंधी व ओलावृष्टि
हरियाणा में नौतपा के दौरान पश्विमी विक्षोभ अचानक सक्रिय होने से मौसम का मिजाज बदल गया है। चार साल बाद गर्मी सीजन में 14 पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हुए हैं।
हिसार, [वैभव शर्मा]। गर्मी के सीजन में इस बार पश्चिमी विक्षोभ ने पिछले चार वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ा है। चार वर्ष बाद हरियाणा में सबसे अधिक 14 पश्चिमी विक्षोभ अब तक आ चुके हैं। इनमें से अधितर इतने सक्रिय रहे कि बारिश के साथ आंधी व ओलावृष्टि भी हुई।
मौसम विज्ञानी बताते हैं कि अक्सर महीने में तीन से चार पश्चिमी विक्षोभ आते हैं, हालांकि जरूरी नहीं कि तेज बारिश और ओलावृष्टि हो। मगर इस बार कई वर्षों से तपने वाले मई माह में भी पश्चिमी विक्षोभ के कारण मौसम में परिवर्तन देखने को मिला। शनिवार को भी पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव देखने को मिला। हल्की धूप निकली, मगर बादलवाई व हवाओं के कारण गर्मी में नरमी दिखाई दी। इसके बाद देर रात बारिश शुरू हो गई। प्रदेश के अन्य स्थानों पर देर रात तेज हवांएं चलीं और बारिश हुई।
हिसार में प्रदेश का सबसे अधिक 36 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया। वहीं न्यूनतम तापमान 21.5 डिग्री सेल्सियस रहा। रविवार को भी मौसम सामान्य रहने की उम्मीद है। इसके साथ ही 2 व 3 जून को बादल छाने के साथ ही धूप भी निकल सकती है।
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नॉर्थ अटलांटिक और नॉर्थ पेसेफिक में तापमान के कारण आए पश्चिमी विक्षोभ
चंडीगढ़ स्थित भारत मौसम विभाग के डायरेक्टर सुरेंद्र पॉल बताते हैं कि इस बार गर्मी के सीजन में अधिक पश्चिमी विक्षोभ आने के दो बड़े कारण हैं। जिसमें पहला कारण है कि नॉर्थ अटलांटिक और नॉर्थ पेसेफिक में तापमान काफी बढ़ गया, जिसके कारण एक प्रेशर बना। इसने अधिक से अधिक हवाओं को तैयार किया। ऐसी स्थिति बनने पर पश्चिमी विक्षोभ बढ़ जाते हैं। इसके साथ ही दूसरा बड़ा कारण पोलर फ्रंट का कमजोर होना है। जब भी पोलर फ्रंट कमजोर होता है, तब वहां मौजूद ठंडी हवा नीचे गर्म हवा की ओर आ जाती है, इससे भी पश्चिमी विक्षोभ की संभावना बन जाती है।
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ये होता है पोलर फ्रंट
मौसम विभाग की भाषा में पोलर फ्रंट, पोलर सेल और फैरल सेल के बीच की दीवार होती है। यानि उत्तरी गोलाद्र्ध में उत्तरी प्रशांत और उत्तरी अटलांटिक महासागर पर पाया जाना वाला फ्रंट पोलर फ्रंट कहलाता है। यह वह क्षेत्र है जो ध्रुवीय सामुद्रिक हवाओं को ऊष्णकटिबंधीय सामुद्रिक हवाओं से अलग करता है।
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मानसून पर ये पड़ेगा प्रभाव
भारत मौसम विभाग के मुताबिक पश्चिमी विक्षोभ का मानसून पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। अगर यही स्थिति नवंबर-दिसंबर के समय बनती तो कुछ कह भी सकते थे। मगर मानसून को लेकर अभी किसी प्रकार की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।
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प्रदेश में जिलों में ये रहा तापमान (डिग्री सेल्सियस में)
जिला- अधिकतम- न्यूनतम
सिरसा- 35.8- 22.0
हिसार- 36.0- 21.5
अंबाला- 33.6- 22.8
भिवानी- 35.7- 23.7
चंडीगढ़- 32.8- 24.4
पंचकूला- 31.5- 21.5
फरीदाबाद- 34.8- 22.4
गुरुग्राम- 34.6- 22.0
करनाल- 33.0- 22.5
कुरुक्षेत्र- 33.8- 22.3
नारनौल- 35.8- 21.8
रोहतक- 35.1- 22.6