कंप्लीशन सर्टिफिकेट की राह रोड़ा बन रहा है जोनल एरिया
बढ़े फ्लोर एरिया रेश्यो (एफएआर) का लाभ साइबर सिटी के उद्यमी उठाने लगे हैं। इसके अंतर्गत उद्यमी अपनी फैक्ट्रियों के कवर एरिया को 125 से बढ़ाकर 200 प्रतिशत के अनुसार निर्मित कराने लगे हैं।
यशलोक सिंह, गुरुग्राम
बढ़े फ्लोर एरिया रेश्यो (एफएआर) का लाभ साइबर सिटी के उद्यमी उठाने लगे हैं। इसके अंतर्गत उद्यमी अपनी फैक्ट्रियों के कवर एरिया को 125 से बढ़ाकर 200 प्रतिशत के अनुसार निर्मित कराने लगे हैं। जिन उद्यमियों यह कार्य पूरा कर लिया है उन्हें हरियाणा राज्य औद्योगिक और अवसंरचना विकास निगम (एचएसआइआइडीसी) से कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं मिल पा रहा है। इनके नहीं मिलने का कारण फायर एनओसी से संबंधित मानक है।
अंसल पायनियर इंडस्ट्रियल एरिया पथरेड़ी में फैक्ट्री का संचालन कर रहे उद्यमी योगेंद्र अग्रवाल का कहना है नेशनल बिल्डिग कोड फायर एंड सेफ्टी के नए मानक के अनुसार अब फैक्ट्री का सेट बैक एरिया छह मीटर का होना चाहिए। वर्ष 2016 से पूर्व स्थापित जिन औद्योगिक इकाइयों ने बढ़े एफएआर का लाभ उठाया है उनके यहां सेट बैक एरिया साढ़े चार मीटर का है। इस कारण फायर विभाग द्वारा फायर एनओसी नहीं दी जा रही है।
योगेंद्र अग्रवाल का कहना है कि एफएआर के अनुसार उन्होंने निर्माण कार्य तो करा लिया है अब बिना फायर विभाग के एनओसी के उन्हें कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं मिल रहा है। उनका कहना है कि पुरानी बनी औद्योगिक इकाइयों में अब इस सेट बैक एरिया को बढ़ाना संभव नहीं है। इस मामले में पुरानी बनी औद्योगिक इकाइयों को राहत प्रदान की जानी चाहिए।
उद्यमियों का कहना है कि औद्योगिक विकास, विस्तार, बेहतरी और ईज आफ डूइंग बिजनेस के मद्देनजर इस मामले में पुरानी औद्योगिक इकाइयों को प्रदेश सरकार द्वारा राहत प्रदान की जानी चाहिए। सेट बैक एरिया फैक्ट्री परिसर के चारो ओर का खाली स्थान होता है। जो आग लगने जैसी स्थिति में फायर ब्रिगेड की गाड़ियों के इस्तेमाल के लिए होता है।
सभी पुरानी औद्योगिक इकाइयों में सेट बैक एरिया साढ़े चार मीटर है। अब वर्ष 2016 के बाद जो नए मानक तय किए गए हैं उसके अनुसार यह एरिया छह मीटर का होना चाहिए। ऐसे में 200 प्रतिशत बढ़े एफएआर का लाभ उठाने वाले उद्यमियों को फायर एनओसी नहीं मिल पा रही है। यह बड़ी समस्या है।
मनोज जैन, डायरेक्टर, सुप्रीम रबर 200 प्रतिशत एफएआर के अनुसार फैक्ट्री के कवर एरिया को बढ़ाने के बाद उद्यमियों को फायर एनओसी के लिए परेशान होना पड़ रहा है। इससे उनके लिए नई परेशानी खड़ी हो गई है। इस मामले में पुरानी स्थापित औद्योगिक इकाइयों को राहत दी जानी चाहिए।
केके गांधी, अध्यक्ष, इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट एसोसिएशन, सेक्टर-37