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खाली वक्त में किताबों को तरजीह दे रहे युवा

हंस राज, नया गुरुग्राम यह तकनीक का दौर है। ऐसे में मोबाइल, लैपटॉप और एलईडी स्क्रीन से चिप

By JagranEdited By: Published: Wed, 06 Dec 2017 03:00 AM (IST)Updated: Wed, 06 Dec 2017 03:00 AM (IST)
खाली वक्त में किताबों को तरजीह दे रहे युवा
खाली वक्त में किताबों को तरजीह दे रहे युवा

हंस राज, नया गुरुग्राम

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यह तकनीक का दौर है। ऐसे में मोबाइल, लैपटॉप और एलईडी स्क्रीन से चिपके रहना लोगों का शौक भी और मजबूरी भी। गैजेट्स से ज्यादा समय तक चिपके रहने से कई तरह की समस्याएं भी बढ़ रही हैं। लेकिन, साइबर सिटी के युवाओं ने इससे निकलने का तरीका निकाल लिया है। ऑफिस में काम करने वाले युवा जहां ब्रेक मिलने पर किताबों के साथ वक्त बिताते हैं। वहीं विद्यालय व कॉलेज छात्र कैंटीन व पार्कों में महफिल सजा रहे हैं। यही नहीं मेट्रो व कैब से ट्रेवल करने वाले भी वक्त काटने के लिए मोबाइल के बजाय किताब को साथी बना रहे हैं। फ्री टाइम में किताबों से नजदीकी युवाओं का न सिर्फ एलईडी स्क्रीन से दूरी बढ़ा रही है, बल्कि आंखों की कई समस्या से भी बचा रही है।

मैं एक कंपनी में बतौर डाटा एनालिस्ट काम करता हूं। इस कारण प्रतिदिन कम से कम आठ घंटा एलईडी स्क्रीन के सामने रहना पड़ता है। ऑफिस से निकलने के बाद भी वीडियो कॉल और मैसेंजर पर तीन से चार घंटा समय बीतता था। पिछले कुछ महीने से आंखों में जलन की समस्या आने के बाद मैंने खाली वक्त में किताब पढ़ने की आदत बना ली है। अब बहुत जरूरी होने पर ही सोशल साइट्स पर जाता हूं।

-आलोक कुमार

मैं दिल्ली विश्वविद्यालय से चाइनीज भाषा में ग्रेजुएशन कर रही हूं। रोजाना दो से तीन घंटा समय बस या मेट्रो से ट्रेवल में गुजरता है। उस खाली समय का उपयोग मैं किताबें पढ़ने मे करती हूं। पहले मेरी ¨हदी उतनी अच्छी नहीं थी। लगातार ¨हदी की कविता, गजल व कहानियां पढ़ने से मेरे शब्दकोश में काफी इजाफा हुआ है। साथ ही अब किसी से ¨हदी में बातचीत करने में कोई दिक्कत नहीं होती है।

- रिद्दिमा पुंशी

मैं साइबर हब में एक कंपनी में काम करता हूं। पहले ऑफिस के लंच ब्रेक में ज्यादातर साथी मोबाइल या लैपटॉप पर गेम्स ही खेलते थे। लेकिन कुछ दिनों से इस माहौल में बदलाव हुआ है। अब हम एक-दूसरे को किसी लेखक की कविता या गजल सुनाते हैं। इससे एलईडी स्क्रीन से दूरी तो बनी ही है, साथ-साथ लिखने-पढ़ने की प्रेरणा भी मिल रही है। कुछ साथियों ने तो छोटी-छोटी कविताएं व शायरी लिखना भी शुरू कर दिया है।

-आनंद रीतेय।

एलइडी स्क्रीन से चिपके रहने के कारण कम उम्र से ही आंखों में परेशानी होनी शुरू हो जाती है। ज्यादा देर तक स्क्रीन पर निगाहें टिकाए रहने से आंखों में जलन व सूजन की समस्या आने लग जाती है। ऐसे में युवा अगर इस प्रकार का कदम उठा रहे हैं तो सराहनीय है।

-डॉ. पारुल शर्मा, नेत्र रोग विशेषज्ञ।


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