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बर्मिंघम में कुश्ती प्रशिक्षक जितेंद्र यादव की मेहनत का रंग हुआ स्वर्णिम

बर्मिंघम में भारतीय पहलवानों का उत्कृष्ट प्रदर्शन रहा है। यह सही है कि पहलवान की मेहनत उसे पदक दिलाती है लेकिन उस पदक में टीम प्रशिक्षक की कड़ी मेहनत शामिल होती है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Aug 2022 07:58 PM (IST)Updated: Sun, 07 Aug 2022 07:58 PM (IST)
बर्मिंघम में कुश्ती प्रशिक्षक जितेंद्र यादव की मेहनत का रंग हुआ स्वर्णिम
बर्मिंघम में कुश्ती प्रशिक्षक जितेंद्र यादव की मेहनत का रंग हुआ स्वर्णिम

अनिल भारद्वाज, गुरुग्राम

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बर्मिंघम में भारतीय पहलवानों का उत्कृष्ट प्रदर्शन रहा है। यह सही है कि पहलवान की मेहनत उसे पदक दिलाती है लेकिन उस पदक में टीम प्रशिक्षक की कड़ी मेहनत शामिल होती है। पहलवानों के प्रशिक्षण में प्रशिक्षक को भी खूब पसीना बहाना होता है तब जाकर खिलाड़ी पदक का हकदार बनता है। एक प्रशिक्षक का त्याग और मेहनत पर्दे के पीछे होती है, जहां दर्शकों की नजर नहीं पहुंचती। बर्मिंघम में महिला पहलवान टीम के प्रशिक्षक जितेंद्र यादव इसी साल फरवरी में भारतीय टीम से जुडे़ थे और उनके सामने बड़ी चुनौती थी, क्योंकि भारतीय कुश्ती महासंघ ने जब उन्हें यह दायित्व दिया था तो विश्व रैंकिग में भारतीय पहलवानों का खराब प्रदर्शन था। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें निखारा गया तो सभी पहलवानों ने पदक जीते।

गुरुग्राम के गांव नुरपुर के रहने वाले जितेंद्र भारतीय वायु सेना में कार्यरत हैं। जितेंद्र का कहना था कि उस समय कोई पहलवान मानसिक तौर पर टूटी हुई थी, तो कोई चोटिल थी। लेकिन उन्होंने ठान लिया था कि इन्हीं पहलवानों से देश के लिए पदक लाना है और आज भारतीय पहलवानों का बर्मिंघम में उत्कृष्ट प्रदर्शन रहा है। जितेंद्र कहते हैं कि पहलवानों को इस स्तर पर लाने के लिए बहुत मेहनत की है जिसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है।

रियो ओलिपिक में कांस्य पदक जीतने वाली साक्षी मलिक को खराब प्रदर्शन तथा बुरे दौर से निकाल कर बर्मिंघम में चैंपियन बनने तक के सफर में जितेंद्र का बड़ा योगदान रहा है। जितेंद्र बताते हैं कि साक्षी की मेहनत में कोई कमी नहीं थी लेकिन वह मानसिक तौर पर कमजोर होती जा रही थीं। उन्हें संबल देने की जिम्मेदारी मुझ पर थी और मैं कामयाब हुआ। उन्होंने विनेश फौगाट के लिए कहा कि वह दुनिया की बड़ी पहलवान हैं लेकिन इंजरी के कारण उनका प्रदर्शन पर असर पड़ रहा था। चार माह पहले वह इंजरी से मुक्त हुई हैं और उनका स्वर्ण पदक स्वयं बयां कर रहा है। मेरे लिए खुशी की बात है कि मैं देश की दोनों बड़ी पहलवानों को उसी लय में लाने में कामयाब रहा।

इसी तरह कुछ माह पहले अंशु मलिक को भी इंजरी थी लेकिन उनकी मेहनत ने उन्हें कामयाबी दिलाई है। कांस्य पदक जीतने वाली पूजा सिहाग और पूजा गहलोत देश को बड़े पदक देंगी। गहलोत कुछ माह पहले ही इंजरी से उभरी हैं बर्मिंघम में उनका पदक आगे बड़े पदक दिलाएगा। पहलवान दिव्या काकरान के लिए जितेंद्र का कहना है कि उनमें क्षमता बहुत है। वह इससे बड़े पदक की हकदार हैं।


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