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औद्योगिक क्षेत्रों में अभी भी जलभराव, फिर बारिश हुई तो बढ़ेगा संकट

जैसे ही आसमान में बादल उमड़ने-घुमड़ने लगते हैं तो साइबर सिटी के उद्यमियों की चिता बढ़ जाती है। बुधवार की रात और बृहस्पतिवार की सुबह को हुई बारिश के बाद से ही औद्योगिक क्षेत्रों में पानी भरा हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Aug 2020 03:55 PM (IST)Updated: Fri, 14 Aug 2020 03:55 PM (IST)
औद्योगिक क्षेत्रों में अभी भी जलभराव, फिर बारिश हुई तो बढ़ेगा संकट
औद्योगिक क्षेत्रों में अभी भी जलभराव, फिर बारिश हुई तो बढ़ेगा संकट

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: जैसे ही आसमान में बादल उमड़ने-घुमड़ने लगते हैं तो साइबर सिटी के उद्यमियों की चिता बढ़ जाती है। बुधवार की रात और बृहस्पतिवार की सुबह को हुई बारिश के बाद से ही औद्योगिक क्षेत्रों में पानी भरा हुआ है। उद्यमियों का कहना है कि यह पानी उतरने में कुछ दिन और लगेंगे। ऐसे में यदि और बारिश हुई तो संकट और बढ़ेगा। उद्योग विहार, सेक्टर-37, आइडीसी, कादीपुर, दौलताबाद और बसई रोड औद्योगिक क्षेत्रों में तो स्थिति पूरी तरह खराब हो रही है, जिसका असर औद्योगिक कामकाज पर पड़ रहा है।

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गुरुग्राम में जब तक बारिश होगी तब तक उद्यमियों का संकट जारी रहेगा। बृहस्पतिवार को जिले के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित लगभग 300 औद्योगिक इकाइयों के अंदर बरसाती पानी चला गया, जिससे उन्हें काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। सेक्टर-37 औद्योगिक क्षेत्र में फैक्टरी का संचालन करने वाले उद्यमी विपिन चुटानी का कहना है कि उनके फैक्टरी के बेसमेंट में जो पानी घुसा था, वह अभी भी पूरी तरह से नहीं उतरा है। यदि और बारिश होती है तो फिर से स्थिति जस की तस हो जाएगी। यही हाल बसई औद्योगिक क्षेत्र में भी है। वहां भी कई फैक्टरियों के अंदर बारिश का पानी प्रवेश कर गया जिससे वहां रखा सामान खराब हो गया।

बरसाती पानी निकासी को लेकर औद्योगिक क्षेत्रों में ठोस व्यवस्था स्थापित करने की मांग उद्यमियों द्वारा पिछले डेढ़ दशक से की जा रही है। मगर इस दिशा में कभी भी कोई ठोस काम नहीं हुआ है। यही कारण है कि दिनों दिन जलभराव की संकट और विकट होता जा रहा है। मामला सिर्फ बारिश के पानी तक ही सीमित नहीं है। सेक्टर-37 और आइडीसी जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में तो सीवर जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। पूरे साल यह ओवरफ्लो होता रहता है। बारिश में तो इससे स्थिति काफी खराब हो जाती है। कुल मिलाकर स्थिति नारकीय बन जाती है।


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