महिलाओं ने घरों में की वट सावित्री की पूजा
ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को होने वाली वट सावित्री की पूजा इस बार कुछ अलग अंदाज में हुई।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या पर होने वाली वट सावित्री की पूजा इस बार कुछ अलग अंदाज में हुई। पति की लंबी आयु की कामना के साथ रखे जाने वाले इस व्रत की पूजा बरगद के पेड़ की परिक्रमा कर धागा बांधने से पूरी होती है। कोरोना महामारी को देखते हुए इस बार महिलाओं ने घरों पर ही रहकर पूजा की। इस बार आचार्यों और पंडितों ने उपाय सुझाया है कि जो महिलाएं घरों से नहीं निकल सकतीं वे घर पर ही पूजा की विधि पूरी कर सकती हैं।
महिलाओं ने व्रत तो रखा लेकिन पूजा के लिए बाहर नहीं निकलीं। सेक्टरों में रहने वाली कुछ महिलाओं ने अलग-अलग समय पर जाकर बरगद के पेड़ की पूजा की तो कुछ मंदिरों के बाहर तक गईं। सेक्टर पंद्रह, सिविल लाइंस, सुशांत लोक सहित अन्य स्थानों पर बरगद या वटवृक्ष हैं, जहां हर बार महिलाएं जाकर पूजा करती थीं लेकिन इस बार ऐसा कुछ नजर नहीं आया।
शीतला माता मंदिर के मुख्य पुजारी हरिओम आचार्य का कहना है कि धार्मिक मान्यता के साथ-साथ वर्तमान दौर की चुनौतियों में बने नियमों का पालन करना भी बेहद आवश्यक है। उनका कहना है कि अधिकतर महिलाओं ने उनसे यही पूछा कि घर पर यह पूजा की जा सकती है। उन्होंने भी महिलाओं को यही सुझाव दिया कि ऐसा बिलकुल हो सकता है।