बच्चा खरीद-फरोख्त गिरोह के दो और आरोपित गिरफ्तार, एक बच्चा मिला
डीएलएफ फेज-तीन थाना पुलिस ने बच्चा खरीद-फरोख्त गिरोह के दो और आरोपितों को गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की है। आठ जनवरी से अब तक इस मामले में कुल 13 आरोपित गिरफ्तार हो चुके हैं
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: डीएलएफ फेज-तीन थाना पुलिस ने बच्चा खरीद-फरोख्त गिरोह के दो और आरोपितों को गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की है। आठ जनवरी से अब तक इस मामले में कुल 13 आरोपित गिरफ्तार हो चुके हैं, जबकि चार बच्चे बरामद हुए हैं। पुलिस गिरोह को पकड़वाने वाले कैब चालक उमेश लोहिया को गणतंत्र दिवस पर सम्मानित करने की तैयारी कर रही है। कैब चालक की समझदारी से ही यह मामला सामने आया था। उसके बाद से पुलिस भी इसमें बेहतर काम कर रही है।
पुलिस ने मंगलवार को अलवर की रहने वाली बेबी तथा इसी जिले के खैरथल के रहने वाले आनंद को गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से भी एक बच्चा मिला है। डीएलएफ फेज-तीन थाना प्रभारी मनोज यादव की टीम इस में मुस्तैदी से काम कर रही है। आरोपितों की निशानदेही पर अन्य आरोपितों को गिरफ्तार किया जा रहा है। पूरे नेटवर्क को तोड़ने के लिए काम किया जा रहा है। बचाए गए बच्चों को बाल कल्याण विभाग को सौंप दिया गया है।
कैसे सामने आया मामला
आठ जनवरी को नाथूपुर गांव के रहने वाले कैब चालक उमेश लोहिया की टैक्सी में दो महिला तथा एक पुरुष सवार हुए। इन सवारियों के पास दो बच्चे थे। यह बच्चों को लेकर अलवर जाने की तैयारी में थे। वहां इन दोनों बच्चों को बेचने की किसी व्यक्ति से बात चल रही थी। सौदा तय न होने पर मानेसर के पास से इन लोगों ने कैब चालक को वापस दिल्ली छोड़ने को कहा। बातचीत से कैब चालक को कुछ गड़बड़ लगी। उमेश वापस दिल्ली के बजाय अपनी कैब को डीएलएफ फेज-तीन थाना ले गए। पुलिस ने पूछताछ की तो मामले की परतें खुलती चली गईं।
पुलिस ने पूछताछ के बाद दिल्ली की रहने वाली वीणा और पूजा नामक महिलाओं को गिरफ्तार किया। रोहिणी का रहने वाला कुलवंत नामक व्यक्ति तथा अलवर के अनिल को सुरेंद्र कौर नामक महिला की निशानदेही पर गिरफ्तार किया गया। इस गिरोह की दो अन्य लड़कियां भी दिल्ली से गिरफ्तार की गई। इन दो लड़कियों के साथ ही पुलिस ने बच्चा बेचने वाले एक दंपती को भी गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की। दंपती को जेल भेज दिया गया है। गिरोह के कुलवंत और अनिल अभी पुलिस रिमांड पर हैं। पुलिस इस मामले में जैसे-जैसे आरोपितों से पूछताछ कर रही है, परतें खुलती जा रही हैं।
50 हजार में खरीदा बच्चा बिकता है चार लाख तक में
बच्चा खरीद-फरोख्त गिरोह का पर्दाफाश करना डीएलएफ फेज-तीन थाना पुलिस की बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। बच्चों की खरीद-फरोख्त करने वाले गिरोह का नेटवर्क दिल्ली से लेकर राजस्थान तक फैला हुआ है। पुलिस इस मामले में तह तक जाने के प्रयास में जुटी है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि कहीं इस गिरोह के तार बच्चा चोर गिरोह से भी तो नहीं जुड़े हैं। हालांकि अभी तक की पुलिस जांच में बच्चों की खरीद-बिक्री करने वाले गिरोह का बच्चा चोर गिरोह से जुड़ाव का कोई मामला सामने नहीं आया है।
नि:संतान दंपती को बेचे जाते हैं बच्चे
इस गिरोह से जुड़े अधिकतर लोग गरीब वर्ग से ही हैं। गिरोह के कुछ सदस्य झुग्गी झोपड़ियों में जरूरतमंद लोगों से बच्चा खरीदने की डील करते हैं। जिन लोगों को दो या तीन से ज्यादा बच्चे हो जाते हैं तो उन लोगों से यह गिरोह बच्चा खरीदने की बातचीत करता है। खरीदारी में लड़का या लड़की दोनों का ही सौदा किया जाता है। लड़की की कीमत 40 से 50 हजार रुपये और लड़के की कीमत 50 से 70 हजार रुपये तक दी जाती है। यह कीमत बच्चे की सुंदरता और उसके रंग रूप पर निर्भर करती है। गिरोह के जो सदस्य बच्चों की खरीद करते हैं, वह आगे किसी दूसरे सदस्य को कुछ मुनाफा लेकर बेच देता है। इस तरह एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे के हाथ में बच्चा बिकता रहता है। आखिर में लड़की की कीमत दो से ढाई लाख रुपये तक होती है, जबकि लड़के की कीमत ढाई से तीन लाख तक होती है। लड़के की सुंदरता और रंग रूप को देखकर यह कीमत चार लाख तक भी हो जाती है। इन बच्चों को नि:संतान दंपती खरीदते थे।