फ्लैट की कीमत करोड़ों में, सुरक्षा मानक जीरो
तेजी से विकसित होते जा रहे शहर में अनेकों बिल्डरों ने आलीशान फ्लैट बनाकर गगनचुंबी इमारत खड़ी कर दी। इन इमारतों में सुरक्षा के नाम पर सब कुछ जीरो नजर आता है। अधिकतर बिल्डरों ने आग बुझाने के यंत्रों को खानापूर्ति के लिए लगा रखा है। सबसे रोचक पहलु तो यह कि आज इस विकास के दौर में एक दो बिल्डरों को छोड़कर किसी ने भी स्वचालित आग बुझाने के यंत्र नहीं लगा रखे हैं। अधिकतर सोसायटी में मानवचालित यंत्र ही काम कर रहे हैं।
महावीर यादव, बादशाहपुर
तेजी से विकसित होते जा रहे शहर में अनेकों बिल्डरों ने आलीशान फ्लैट बनाकर गगनचुंबी इमारत खड़ी कर दी। इन इमारतों में सुरक्षा के नाम पर सब कुछ जीरो नजर आता है। अधिकतर बिल्डरों ने आग बुझाने के यंत्रों को खानापूर्ति के लिए लगा रखा है। सबसे रोचक पहलु तो यह कि आज इस विकास के दौर में एक दो बिल्डरों को छोड़कर किसी ने भी स्वचालित आग बुझाने के यंत्र नहीं लगा रखे हैं। अधिकतर सोसायटी में मानवचालित यंत्र ही काम कर रहे हैं।
सोहना रोड पर इस समय सबसे ज्यादा बिल्डरों का काम तेजी से चल रहा है। पहले भी काफी सोसायटी बनी हुई है। इन सोसायटी में आग लगने की स्थिति में निकासी के मार्ग और लिफ्ट दो महत्वपूर्ण बाते होती हैं। आग बुझाने के यंत्र स्वचालित होने चाहिए। जोकि मानवचालित लगे हुए हैं। दो साल पहले वाटिका सिटी में एक घर में आग लगने के कारण दम घुटने से एक बुजुर्ग की मौत हो गई थी। उस समय भी यह बात उठी थी कि अगर स्वचालित आग बुझाने के यंत्र लगे होते तो जरा सा धुआं होने पर ही वे चल जाते। लोगों को जब तक इस हादसे की जानकारी मिली और आग बुझाने के यंत्रों को चालू करके आग बुझाई गई तक तक काफी देर हो चुकी थी।
सोमवार को भी ट्यूलिप सोसायटी में इसी तरह का हादसा हुआ। घर में सोते लोगों को दम घुटने लगा तो वे बाहर निकले। बाहर निकलने पर एक महिला ने तो अपनी जान बचाने को सीढि़यों से नीचे जाने की कोशिश की। पर वहां भयंकर आग देखकर वह ऊपर की तरफ चल दी। रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया। दो महीने पहले सेक्टर-31 की एक सोसायटी की लिफ्ट में तीन बच्चे फंस गए थे। इसी तरह से सेक्टर-47 में लिफ्ट में खराबी आने के कारण काफी देर तक लोग उसमें फंसे रहे थे। बिल्डर इतने महंगे फ्लैट बेचता है। गुरुग्राम में छोटे से फ्लैट की कीमत भी करीब एक करोड़ रुपये होती है। उसके बाद सुरक्षा के नाम पर लोगों के जीवन से खिलवाड़ किया जाता है। आग बुझाने के उपकरण तक में खानापूर्ति की जाती है।
- खुशाल ¨सह, प्रधान, आरडब्ल्यूए, ट्यूलिप सोसायटी बिल्डर को जब लाइसेंस लेना होता है तो सभी उपकरणों की खानापूर्ति कर दी जाती है। उसके बाद बिल्डर को वे उपकरण किस हालत में है इसकी कोई परवाह नहीं होती। आधुनिक दौर में आग बुझाने के उपकरण तो कम से कम स्वचालित होने चाहिए। अधिकतर सोसायटी में इस तरह के उपकरण मानवचालित ही लगे हुए हैं।
- गिरीराज गुप्ता, प्रधान, आरडब्ल्यूए, वाटिका सिटी इस मामले को आरडब्ल्यूए बिल्डर के सामने कई बार उठाती है। बिल्डर का जवाब होता है कि जो नियम है उसके अनुसार सारी सुविधाएं दे रखी है। इसके लिए संबंधित अधिकारियों को सख्त होने और लोगों को ज्यादा जागरूक होने की जरूरत है। कम से कम महत्वपूर्ण उपकरण तो बेहतर गुणवत्ता के होने चाहिए।
- संजीव बुद्धिराजा, ट्यूलिप व्हाइट सोसायटी