बजट बिगुल : बायो-टेक्नोलाजिकल इंडस्ट्री, को लेकर बजट में हो खास बात
आम बजट 2022-23 को लेकर एफआइआइ द्वारा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को विभिन्न क्षेत्रों की बेहतरी के लिए सुझाव भेजे गए हैं। इसमें मुख्य रूप से बायो-टेक्नोलाजिकल इंडस्ट्री को प्रोत्साहन देने की मांग की गई है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: आम बजट 2022-23 को लेकर फेडरेशन आफ इंडियन इंडस्ट्री (एफआइआइ) द्वारा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को विभिन्न क्षेत्रों की बेहतरी के लिए सुझाव भेजे गए हैं। इसमें मुख्य रूप से बायो-टेक्नोलाजिकल इंडस्ट्री को प्रोत्साहन देने की मांग की गई है। इसके अलावा आटोमोबाइल, स्टार्ट-अप्स, स्वास्थ्य क्षेत्र, शिक्षा क्षेत्र और वैश्विक व्यापार को लेकर भी कई प्रकार के सुझाव दिए गए हैं।
एफआइआइ के महानिदेशक दीपक जैन ने बताया कि एक फरवरी को लोकसभा में पेश होने वाले आम बजट को लेकर जो सुझाव दिए हैं वह काफी महत्वपूर्ण हैं। यदि उन्हें बजट में शामिल किया गया तो यह देश के आर्थिक विकास में विशेष मददगार साबित होगा। उन्होंने बताया कि बायो-टेक्नोलाजिकल इंडस्ट्री देश के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) को तेजी से बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो सकती है।
इस क्षेत्र की बात की जाए तो बायो टेक्नोलाजी एक उभरता हुआ मजबूत आर्थिक स्तंभ है। वर्ष 2025 तक इस क्षेत्र का कारोबार 150 बिलियन डालर के स्तर तक पहुंचने का अनुमान है। इसमें देश की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन ही नहीं 10 ट्रिलियन तक ले जाने की भी क्षमता निहित है। जरूरत है इसे जमीनी स्तर पर प्रोत्साहित करने की। अभी देश में इसकी कुल क्षमता का केवल दो प्रतिशत ही इस्तेमाल हो पा रहा है। उम्मीद है कि आने वाले आम बजट 2022-23 में इस क्षेत्र से संबंधित विशेष घोषणा की जाएगी।
एफआइआइ के सुझाव पत्र में स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यापक सुधार को लेकर कदम उठाने की जरूरत है। वर्तमान में देश की जीडीपी का केवल 1.4 प्रतिशत आवंटन ही स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए है। इसे बढ़ाने की जरूरत है। इस क्षेत्र में रिसर्च को और प्रोत्साहित करने जी जरूरत है। शिक्षा क्षेत्र की बात की जाए तो कौशल विकास को लेकर और मजबूती प्रदान करने के लिए बजट में प्रविधान होना चाहिए।
आटोमोबाइल क्षेत्र को लेकर सुझाव दिया गया है कि कच्चे माल की बढ़ती कीमत के कारण यह क्षेत्र काफी परेशान है। वहीं सेमीकंडक्टर का अभाव भी आटोमोबाइल क्षेत्र को पीछे धकेलने वाला साबित हो रहा है। इसे लेकर नीति निर्माताओं को तुरंत सावधान होने की जरूरत है। सरकार को संकट काल में सब्सिडी देनी चाहिए। वैश्विक व्यापार के मद्देनजर भी विशेष ध्यान देने चाहिए।
निर्यातक को भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) से प्रमाणीकरण की आवश्यकता होती है। वर्तमान में इसमें काफी समय लगता है। इसका सरलीकरण किया जाए। 427 से अधिक एसईजेड को मंजूरी देने के बाद भी वर्तमान में 297 एसइजेड चालू है। एमएसएमई प्रोत्साहन के लिए भी जरूरी कदम उठाए जाएं।
केंद्रीय वित्त मंत्री को यह सुझाव भी दिए
- नियमित बैंकिग क्षेत्र में स्टार्ट-अप्स के लिए कोलैटरल फ्री ऋण योजना लाई जाए।
- शिक्षाविदों और उद्योग के स्तर पर प्रतिभा और विशेषज्ञता में सुधार को लेकर प्रोत्साहन
- स्टार्टअप इंडिया सीड फंड्स योजना को लेकर दो साल का मानदंड स्वास्थ्य, जैव प्रौद्योगिकी और डीप साइंस क्षेत्र के अनुकूल नहीं है। इसे अनुकूल बनाने पर हो जोर।
- एंजेल इन्वेस्टमेंट को प्रोत्साहित करने को लेकर इसे कर मुक्त किया जाए।