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भारत में विचारों को प्रकट करने की है स्वतंत्रता: स्वामी ज्ञानानंद

भारत में विचारों को भावों को प्रकट करने की स्वतंत्रता है। इसलिए किसी भी विषय पर हम खुलकर बोलते हैं और उस पर अपनी भावनाएं प्रकट करते हैं। यह बात गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने न्यू कालोनी के दशहरा मैदान में दिव्य गीता सत्संग के तीसरे दिन प्रवचन देते समय कही।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 07:18 PM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 06:17 AM (IST)
भारत में विचारों को प्रकट करने की है स्वतंत्रता: स्वामी ज्ञानानंद
भारत में विचारों को प्रकट करने की है स्वतंत्रता: स्वामी ज्ञानानंद

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: भारत में विचारों को, भावों को प्रकट करने की स्वतंत्रता है। इसलिए किसी भी विषय पर हम खुलकर बोलते हैं और उस पर अपनी भावनाएं प्रकट करते हैं। यह बात गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने न्यू कालोनी के दशहरा मैदान में दिव्य गीता सत्संग के तीसरे दिन प्रवचन देते समय कही।स्वामी ज्ञानानंद ने गीता को जीवन का सार, व्यवहार, आचार-विचार का द्योतक बताते हुए कहा कि गीता को पूरे विश्व के दार्शनिक, विद्वान, चितक और विचारक स्वीकार करने पर मजबूर हुए हैं क्योंकि इसमें व्यावहारिक दर्शन है। गीता की हर बात व्यावहारिक धरातल की सच्चाई है। गीता सब प्रकार के ज्ञान का स्त्रोत है। उन्होंने उदाहरण देकर कहा कि आज स्मॉग, वायु प्रदूषण छाया पड़ा है। हर कोई आतंकित है। सभी ईश्वर की ओर देख रहे हैं कि वर्षा हो, तेज हवा चले। कोई वैज्ञानिक, नेता या फिर चिकित्सक कुछ नहीं कर पा रहा।

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इस मौके पर महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव ने कहा कि स्वामी ज्ञानानंद ने गीता का संदेश सात समुद्र पार तक पहुंचाया है। वे गीता को समर्पित हैं। उन्होंने कहा कि भारत संतों और ग्रंथों का देश है। ऐसा इसलिए कि श्रीमछ्वागवत ग्रंथ है और इसके प्रणेता श्रीकृष्ण संत हैं। इस मौके पर मेयर मधु आजाद, हुडा प्रशासक चंद्रशेखर खरे, गुरुग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मार्कंडे आहूजा, आरके सिंह, पूर्व मंत्री धर्मबीर गाबा, बीजेपी जिलाध्यक्ष भूपेंद्र चौहान, पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर यशपाल बतरा, पार्षद मधु बतरा, पूनम माता जी, पार्षद सीमा पाहुजा, पार्षद अश्वनी शर्मा, एचएस चावला, पूर्व डिप्टी स्पीकर गोपीचंद गहलोत, पूर्व चेयरमैन भानीराम मंगला, महेंद्र मेहंतीरत्ता और रमेश कामरा मौजूद रहे।


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