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वस्त्र उद्योग को भी जूझना पड़ रहा है कच्चे माल की महंगाई से

औद्योगिक कच्चे माल की महंगाई का असर वस्त्र उद्योग में भी देखने को मिल रहा है। इस क्षेत्र के उद्यमियों का कहना है कि कच्चे माल की महंगाई से उनके उत्पादन की लागत बढ़ता जा रही है। काटन और सिथेटिक से लेकर विस्कोस धागे के दाम 40 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Jun 2021 07:48 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jun 2021 07:48 PM (IST)
वस्त्र उद्योग को भी जूझना पड़ रहा है कच्चे माल की महंगाई से
वस्त्र उद्योग को भी जूझना पड़ रहा है कच्चे माल की महंगाई से

यशलोक सिंह, गुरुग्राम

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औद्योगिक कच्चे माल की महंगाई का असर वस्त्र उद्योग में भी देखने को मिल रहा है। इस क्षेत्र के उद्यमियों का कहना है कि कच्चे माल की महंगाई से उनके उत्पादन की लागत बढ़ता जा रही है। काटन और सिथेटिक से लेकर विस्कोस धागे के दाम 40 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं। कोविड-19 के कारण लगातार दूसरे साल भी वस्त्र उद्योग का संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। अब कुछ आर्डर तो अमेरिका और यूरोप के कुछ देशों से आने लगे हैं मगर कच्चे माल की महंगाई ने काफी दिक्कत खड़ी कर दी है। ऐसे में वस्त्र निर्यात के क्षेत्र से जुड़े उद्यमियों को काम में काफी कठिनाई आ रही है। इस समय विदेशी बायर्स कच्चे माल की बढ़त के अनुसार दाम देने को तैयार नहीं हैं। जबकि उत्पादन लागत बढ़ती जा रही है।

साइबर सिटी वस्त्र निर्यात उद्योग का हब है। यहां 1200 से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं जहां पर वस्त्रों को तैयार कर दुनिया के कई देशों में निर्यात किया जाता है। वैश्विक महामारी कोविड-19 के बाद तो इस क्षेत्र का कारोबार नकारात्मक रूप से प्रभावित हुआ है। इस क्षेत्र के विशेषज्ञ सत्येंद्र सिंह का कहना है कि वस्त्र निर्माण से संबंधित कच्चे माल की महंगाई से समस्या बढ़ती जा रही है। देश की जीडीपी में टेक्सटाइल-अपैरल का योगदान 2.3 प्रतिशत है। वहीं, देश के कुछ औद्योगिक उत्पादों का लगभग यह 13 प्रतिशत हिस्सेदार है। अभी अमेरिका से बेहतर आर्डर मिलना शुरू हुआ है। यूरोप में स्थिति अभी नहीं सुधरी है। यूरोप से सिर्फ ब्रिटेन और जर्मनी ही उत्साह दिखा रहे हैं। वस्त्र उद्योग से संबंधित कच्चे माल की कीमत में 40 प्रतिशत तक इजाफा हो गया है। इसे नियंत्रित करने की जरूरत है। अभी सरकार की ओर से इस दिशा में कोई प्रयास दिखाई नहीं दे रहा है। काटन, सिथेटिक और विस्कोस के अलावा बटन, वस्त्र डेकोरेशन और जिपर के दाम बढ़ गए हैं। पहले जिपर और लेबल जैसे आइटम के चीन और हांगकांग से कुल आयात का दो प्रतिशत आयात शुल्क मुक्त होता था। अब सरकार ने एक अप्रैल से इस सुविधा को बंद कर दिया है। इससे दिक्कत बढ़ गई है।

अनिमेश सक्सेना, अध्यक्ष, उद्योग विहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन


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