दरबारीपुर गांव के लोगों को उच्चतम न्यायालय से मिली बड़ी राहत
कथित रूप से सरकारी जमीन पर बसे आधे से ज्यादा दरबारीपुर के ग्रामीणों को उच्चतम न्यायालय ने बड़ी राहत दी है। सरकारी जमीन पर बने मकानों की तोड़फोड़ मामले में उच्चतम न्यायालय ने स्थगन आदेश दिया है।

महावीर यादव, बादशाहपुर
कथित रूप से सरकारी जमीन पर बसे आधे से ज्यादा दरबारीपुर के ग्रामीणों को उच्चतम न्यायालय ने बड़ी राहत दी है। सरकारी जमीन पर बने मकानों की तोड़फोड़ मामले में उच्चतम न्यायालय ने स्थगन आदेश दिया है। दरबारीपुर गांव के 316 मकानों पर अदालत के आदेश पर तोड़फोड़ की तलवार लटक रही है। निगम ने सरकारी जमीन पर बने मकानों की तोड़फोड़ करने के लिए नोटिस भी जारी किए हैं। ग्रामीणों ने 30 एकड़ पंचायती जमीन पर करीब 40-50 साल से इस जमीन पर मकान बना रखे हैं।
पंचायती जमीन पर कब्जे को लेकर करीब 20 साल से मामला चल रहा है। 2003 में तत्कालीन पंचायत में भी ग्रामीणों के अवैध कब्जा करने का मामला उठा था। 2015 में दरबारीपुर पंचायत को खत्म कर नगर निगम में शामिल कर लिया गया था। 2016 में गांव के सतपाल ने सीएम विडो पर पंचायती जमीन पर कब्जे की शिकायत की। उस समय नगर निगम के अधिकारियों ने नगर निगम की जमीन पर बसे लोगों को कब्जे खाली करने के नोटिस जारी किए थे। मामला नोटिस जारी करने तक ही रह गया।
25 नवंबर 2019 को सतपाल ने इस मामले को लेकर पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की। याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय की डबल बेंच ने सभी अवैध कब्जा धारियों के मकान तोड़ने के आदेश जारी किए थे। नगर निगम के अधिकारियों ने तोड़फोड़ की प्रक्रिया शुरू की। फरवरी 2020 में गांव के कुछ लोगों ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
उच्च न्यायालय ने उस समय इन लोगों को स्थगन आदेश दे दिए थे। 2021 में सतपाल ने उच्च न्यायालय में नगर निगम अधिकारियों के खिलाफ अदालत की अवमानना की याचिका दायर की। करीब 316 लोगों के जमीन पर कब्जे हैं। 47 लोगों की याचिका पर उच्च न्यायालय ने स्थगन आदेश दिए थे। अदालत की अवमानना की याचिका सुनवाई के दौरान नगर निगम के अधिकारियों ने अदालत से पूछा कि सभी मकानों को तोड़ा जाना है या जिन पर अदालत ने स्थगन आदेश दिया है उनको छोड़ना है।
इस मामले को लेकर गांव के 54 लोगों ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की। उच्चतम न्यायालय में ग्रामीणों की तरफ से अधिवक्ता अभिनव शर्मा व नवीन गौड ने पैरवी की। नवीन गौड ने बताया कि अदालत ने दरबारीपुर गांव में सरकारी जमीन पर बसे लोगों को स्थगन आदेश जारी कर दिए हैं। वैसे तो यह मामला अदालत में विचाराधीन है। मैं गांव का सरपंच रहा हूं। मैं इन लोगों को उजाड़ने की बजाय बसाने की पैरवी करता हूं। अगर सरकारी जमीन पर कब्जा है तो इन लोगों को उजाड़ने की बजाय जमीन की कीमत तय कर दी जाए। ताकि 50 सालों से मकान बनाकर रह रहे लोगों के घर बने रहें।
रामबीर, पूर्व सरपंच, दरबारीपुर किसी भी व्यक्ति को सरकारी जमीन पर कब्जा नहीं करने दिया जाएगा। दरबारीपुर गांव के मामले में अदालत के आदेशों की पूरी तरह से अनुपालना की जाएगी। ग्रामीणों को नोटिस दिए जा चुके हैं। सभी लोगों से अपील है कि सरकारी जमीन पर कब्जा न करें। जिसकी वजह से बाद में उन्हें किसी दिक्कत या परेशानी का सामना करना पड़े।
सुमित कुमार, संयुक्त आयुक्त (जोन -चार) नगर निगम, गुरुग्राम हमारी चार पीढि़यां इन इन मकानों में रह रही है। हम इन्हीं मकानों में पैदा हुए। इतने पुराने बने हुए मकानों को उजाड़ने की बजाए सरकार इन लोगों को बसाने की कोशिश करें। अदालत के आदेशों का भी सम्मान करते हैं। सरकार को भी इस मामले में बरसों से बसे ग्रामीणों की चिता करनी चाहिए।
ओमपाल, पीड़ित, निवासी, दरबारीपुर गांव
Edited By Jagran