मंडी शुल्क कम किए जाने पर आढ़ती खुश
सरकार द्वारा चार फीसद मंडी शुल्क को घटाकर एक फीसद करने और कई फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाकर विरोध करने वालों का मुंह बंद कर दिया है।
संवाद सहयोगी, सोहना: कृषि विधेयकों को लेकर विपक्षी दल सरकार को घेरने का प्रयास किया था। कई जगहों पर आढ़ती भी नाराज थे, मगर सरकार द्वारा चार फीसद मंडी शुल्क को घटाकर एक फीसद करने और कई फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाकर विरोध करने वालों का मुंह बंद कर दिया है। सरकार के इस फैसले से आढ़ती भी खुश नजर आ रहे हैं। अनाज मंडी में हरियाणा स्टेट एग्रीकल्चर बोर्ड मंडी शुल्क वसूलता था, जिसमें गेहूं व धान पर चार प्रतिशत शुल्क देना पड़ रहा था। अन्य उपज पर एक फीसद मंडी शुल्क देना पड़ता था। अब सरकार ने धान व गेहूं का मंडी शुल्क घटाकर एक प्रतिशत कर दिया, जिससे आढ़तियों को लाभ होगा। सरकार का फैसला स्वागतयोग्य है।
विकास गुप्ता, आढ़ती सोहना गल्ला मंडी अभी तक दूसरे राज्यों से हमारे प्रदेश में मंडी शुल्क अधिक था, जिसे देखते हुए सरकार ने बड़ी राहत दी है। इससे किसान भी खुश और उनकी फसल खरीदने वाले भी राहत महसूस कर रहे हैं। हम लोग जो चाह रहे थे उसे सरकार ने कर दिया है।
विजय अग्रवाल, आढ़ती मंडी शुल्क कम किए जाने से आढ़तियों को बड़ा फायदा होगा। व्यापार भी बढ़ेगा। कोरोना संकट में शुल्क कम करने से और भी राहत मिली है। शुक्र है कि हम लोगों की परेशानी को समझा गया।
गौरव सिगला, आढ़ती मंडी शुल्क कम होने के कारण चोरी भी कम होगी और फसल की खरीद भी ज्यादा होगी। शुल्क अधिक होने के चलते यहां के किसान नजफगढ़ के अलावा दिल्ली की अन्य मंडियों में अपनी फसल बेचते थे लेकिन अब इलाके के किसान स्थानीय मंडियों में ही अपनी फसल बेच सकेंगे। इस फैसले से किसान व व्यापारी दोनों वर्गों के लोगों का इससे फायदा मिलेगा।
इंद्रजीत, व्यापारी फरुखनगर सरकार के इस फैसले से किसानों को उनकी फसल का अच्छा मूल्य मिल सकेगा। सरकार द्वारा यह कानून काफी फायदेमंद बनाया है। इस कानून को लागू करने के बाद मंडी में फसल की बढ़ोत्तरी होगी।
बीरेंद्र, आढ़ती फरुखनगर मंडी शुल्क चार फीसद होने के कारण मंडी में खरीद कम होती थी किसान दिल्ली की मंडियों में अपनी फसल बेचने के लिए जाते थे। इससे हम सभी का नुकसान होता था। सरकार को भी राजस्व कम मिलता था। अब एक फीसद शुल्क लगने से सभी का फायदा होगा।
हरभजन यादव, व्यापारी