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बजट बिगुल : टेक्सटाइल सेक्टर को वैश्विक प्रतिस्प‌र्द्धी बनाने को उठे ठोस कदम

टेक्सटाइल सेक्टर लंबे समय से चुनौतीपूर्ण स्थिति से गुजर रहा है। आने वाले आम बजट 2022-23 इसके भविष्य की दिशा को सकारात्मकता प्रदान करने वाला साबित होगा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Jan 2022 04:33 PM (IST)Updated: Tue, 25 Jan 2022 04:33 PM (IST)
बजट बिगुल : टेक्सटाइल सेक्टर को वैश्विक प्रतिस्प‌र्द्धी बनाने को उठे ठोस कदम
बजट बिगुल : टेक्सटाइल सेक्टर को वैश्विक प्रतिस्प‌र्द्धी बनाने को उठे ठोस कदम

यशलोक सिंह, गुरुगाम

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टेक्सटाइल सेक्टर लंबे समय से चुनौतीपूर्ण स्थिति से गुजर रहा है। आने वाले आम बजट 2022-23 इसके भविष्य की दिशा को सकारात्मकता प्रदान करने वाला साबित होगा। इस सेक्टर से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों को यह भी लग रहा है कि इस बार केंद्र सरकार द्वारा ऐसे ठोस कदम उठाए जाएंगे, जिससे यह प्रभावी रूप से वैश्विक प्रतिस्प‌र्द्धी बन सके। वस्त्र निर्यातकों की बात की जाए तो उनका कहना है कि अभी यार्न (धागे) की कीमत में भारी तेजी है, हर 15 दिन में दाम बढ़ जाते हैं। इससे वस्त्र निर्यातकों के उत्पादन का लागत बढ़ता जा रहा है। इससे वैश्विक बाजार में बांग्लादेश और चीन के मुकाबले देश के निर्यातक पिछड़ रहे हैं।

टेक्सटाइल सेक्टर के उद्यमियों की ओर से केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को सुझाव दिए जा रहे हैं कि आम बजट में ऐसे प्रविधान किए जाएं जिससे टेक्सटाइल सेक्टर को कच्चे माल किफायती कीमत पर उपलब्ध हो सकें। केंद्र सरकार द्वारा विदेश से आयात होने वाले यार्न पर 10 प्रतिशत ड्यूटी लगा रखी है। इस कारण पिछले लगभग नौ माह से लगातार इसकी कीमत आसमान की ओर अग्रसर है। वस्त्र निर्यातकों की ओर से मांग की जा रही है कि विदेश से आयात होने वाले यार्न को ड्यूटी फ् किया जाए। वहीं बांग्लादेश और चीन को भारत द्वारा जो यार्न निर्यात किए जा रहे हैं उस पर टैक्स को बढ़ा दिया जाए। अभी यार्न को लेकर देश में जो वातावरण है कि उससे स्थिति काफी खराब होती जा रही है। सरकार ने यार्न निर्यात को दोगुना कर दिया है। मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए इनकी कीमत को नियंत्रित करना जरूरी है।

गुरुग्राम स्थित टेक्सटाइल क्षेत्र के उद्यमियों का कहना है कि अभी उन्हें बैंक से जो ऋण मिलता है वह लगभग नौ प्रतिशत की दर से ब्याज चुकाना पड़ता है। पहले इस ब्याज में से लगभग चार प्रतिशत इंटरेस्ट सबमिशन स्कीम के अंतर्गत बाद में रिफंड कर दिया जाता था। फिलहाल यह स्कीम अब बंद हो चुकी है। इसे फिर से शुरू किया जाए।

निर्यातकों को जीएसटी रिफंड के लिए आवेदन करना पड़ता है। बावजूद इसे पाने में कई-कई माह लग जाते हैं। रिफंड के बजाय इसे ड्यूटी ड्रा बैक की तर्ज पर सीधे अकाउंट में ट्रांसफर किया जाना चाहिए।

- एसके आहूजा, महासचिव, गुड़गांव चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री

वस्त्र निर्यातकों को वैश्विक बाजार में बांग्लादेश और चीन से तगड़ी चुनौती मिल रही है। वह भारत के निर्यातकों से सस्ते रेट में दुनिया के बाजार में परिधानों को बेचते हैं। इसका कारण देश में कच्चे माल की कीमत का अधिक होना है। आम बजट में इसकी कीमत को नियंत्रित करने के ठोस उपाय किए जाएं।

-अनिमेश सक्सेना, अध्यक्ष, उद्योग विहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

सिर्फ यार्न की ही कीमत अधिक नहीं है, परिधानों को तैयार करने में बटन, जिपर, लैसेज आदि का भी इस्तेमाल किया जाता है। इनकी भी कीमत अधिक है। कच्चे माल के मामले में टेक्सटाइल क्षेत्र को राहत देने को लेकर सब्सिडी का प्रविधान किया जाए।

- प्रवीण यादव, अध्यक्ष, गुड़गांव उद्योग एसोसिएशन

टेक्निकल टेक्सटाइल के लीडर के तौर पर देश को स्थापित करने की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है। साइंटिफिक, एग्रीकल्चर और डिफेंस क्षेत्र के उद्योगों में इसकी भरपूर संभावना है। वहीं टेक्सटाइल इंडस्ट्री की लागत को कम करने की जरूरत है। आम बजट में इसे लेकर उचित उपाय किए जाने की जरूरत है।

- रमनदीप सिंह, प्रबंध निदेशक, बुटीक इंटरनेशनल


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