खाली प्लाट मालिकों की नगर निगम को तलाश
खाली प्लाट नगर निगम की संपत्ति कर शाखा के लिए आफत बन गए हैं। इन खाली प्लाट मालिकों और संपत्ति का रिकार्ड नगर निगम के पास नहीं है। ऐसे में संपत्ति कर की वसूली नहीं हो पा रही है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: खाली प्लाट नगर निगम की संपत्ति कर शाखा के लिए आफत बन गए हैं। इन खाली प्लाट मालिकों और संपत्ति का रिकार्ड नगर निगम के पास नहीं है। ऐसे में संपत्ति कर की वसूली नहीं हो पा रही है। पूरे शहर में छह सौ से ज्यादा ऐसे खाली प्लाट हैं, जिनका सही विवरण नगर निगम के पास नहीं है। नगर निगम बिना रिकार्ड संपत्ति कर जमा करवाने के लिए नोटिस नहीं भेज पा रहा है।
वर्ष 2010 में शहर में संपत्ति कर सर्वे किया गया था। इसके बाद काफी नए निर्माण हो चुके हैं। खाली प्लाटों पर इमारतें बन चुकी है। नई संपत्तियों की प्रापर्टी आइडी बनाने के लिए एक निजी कंपनी द्वारा सर्वे किया जा रहा है, लेकिन पिछले डेढ़ साल में सर्वे का काम भी पूरा नहीं हो पाया है। कई जगहों पर सर्वे के बाद भी दुरुस्त डाटा निगम को नहीं मिल पाया है। संपत्ति कर की ये हैं दरें
खाली प्लाट, कामर्शियल प्रापर्टी (संपत्ति), रिहायशी और औद्योगिक संपत्ति के हिसाब से संपत्ति कर की अलग-अलग दरें निर्धारित हैं। रिहायशी खाली प्लाट पर 100 वर्ग गज तक कोई संपत्ति कर नहीं लगता। इससे ऊपर 101 से 500 वर्ग गज तक 50 पैसे प्रति गज और 500 गज आकार से बड़े प्लाट पर एक रुपये प्रति गज की दर तय है। 100 वर्ग गज तक कामर्शियल प्लाट करमुक्त और इससे बड़े आकार पर पांच रुपये प्रति गज के हिसाब से संपत्ति कर लिया जाता है। औद्योगिक प्लाट पर 500 गज से ऊपर के प्लाट पर दो रुपये प्रति गज संपत्ति कर निर्धारित है। जोन- 4 में 100 से ज्यादा खाली प्लाट मालिकों को सर्वे करने के बाद संपत्ति कर जमा करवाने के नोटिस भेजे जाएंगे।
-देवेंद्र कुमार, क्षेत्रीय कराधान अधिकारी, नगर निगम गुरुग्राम।