ईयर एंडर : जहरीली हवा सरकारी दावों से हटा देती है चादर
जिस शहर में धुआं छोड़ने वाले उद्योग नहीं है वह शहर देश-दुनिया के प्रदूषित शहरों में शामिल है।
अनिल भारद्वाज, गुरुग्राम :
जिस शहर में धुआं छोड़ने वाले उद्योग नहीं है वह शहर देश-दुनिया के प्रदूषित शहरों में शामिल है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से लेकर डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में गुरुग्राम को कई बार देश का सबसे प्रदूषित शहर बताया गया है लेकिन इसमें सुधार करने के लिए किसी की नींद नहीं टूटी। एक दशक से लगातार प्रदूषण के मामले में शहर की स्थिति खराब होती गई लेकिन पूर्व कांग्रेस सरकार से लेकर वर्तमान सरकार में शहर को प्रदूषण मुक्त करने के लिए कोई खास कदम नहीं उठाया गया। पीएम 2.5 का स्तर 50 से अधिक होना जीवन के लिए नुकसानदायक होने लगता है और साइबर सिटी में तो पीएम 2.5 का स्तर लगभग चार सौ से अधिक दर्ज होता रहा है। गुरुग्राम हमेशा देश के टाप प्रदूषित शहरों में शामिल है।
यहां पर हर रोज प्रदूषण से निजात दिलाने के बड़े -बड़े दावे होते हैं लेकिन सुधार शून्य है। वायु प्रदूषण की स्थिति हर रोज गंभीर होती जा रही है लेकिन सुधारों पर काम जमीनी स्तर पर नहीं दिखता। शहर को प्रदूषण से राहत दिलाने के लिए क्या काम किया जाएगा और क्या किया जा चुका है इसका सरकार और प्रशासन के पास कोई जवाब नहीं है। शहर में वायु प्रदूषण का कारण क्या है, इसकी जानकारी कोई नहीं दे पाएगा। ------
डीजल आटो बंद करने के लिए सुझाव :: शहर में डीजल आटो वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण है। एक अनुमान है कि यहां पर तीन हजार से अधिक डीजल आटो सड़कों पर दौड़ रहे हैं। अगर कुछ को छोड़ दें, तो अधिकतर आटो चलते वक्त अपने पीछे काला धुआं का बादल बना दे रहे हैं।
वर्ष 2012 में हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सरकार को सिफारिश की थी कि शहर में नए डीजल आटो का रजिस्ट्रेशन बंद कर दिया जाए और जो चल रहे हैं उन्हें दस साल बाद सड़क से हटा दिया जाए। ऐसे आटो वालों का भी नुकसान नहीं होगा और धीरे-धीरे सड़क से डीजल आटो हट जाएंगे। जो शहर में वायु प्रदूषण का बड़ा कारण बने हुए हैं। अगर उस समय ऐसा हुआ होता, तो आज सड़क से बड़े स्तर पर डीजल आटो हट चुके होते। अब क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण अधिकारियों का कहना है कि अब नए डीजल आटो रजिस्ट्रेशन बंद कर दिया गया। -----
पौधारोपण ::
अगर गुरुग्राम की बात की जाए, तो हर चौथा-पांचवां आदमी अपने को पर्यावरण संरक्षक बताएगा और शायद जिला प्रशासन उन्हें 15 अगस्त और 26 जनवरी के मौके पर सम्मानित भी करता है लेकिन शहर में प्रदूषण का स्तर देखकर सब सच्चाई सामने आ ही जाती है। संस्थाओं से लेकर सरकार की तरफ से हर साल दावे किए जाते हैं इस वर्ष इतने लाख पौधारोपण किए जाएंगे लेकिन कहां पर पौधारोपण हुआ है वह दिखता नहीं है। शायद बजट जरूर खर्च हो जाता होगा। अगर शहर और अरावली पहाड़ी में अधिक पौधारोपण किया जाता, तो वायु प्रदूषण में जरूर राहत मिलती। -----
धूल कण :: उद्योग का धुआं नहीं होने के बाद भी शहर में जहरीली हवा है। इस वर्ष एक नवंबर से लगातार जहरीली हवा बनी हुई है। शुक्रवार को भी पीएम 2.5 का स्तर 400 से अधिक दर्ज किया गया है। कई बार पांच सौ से अधिक पहुंचा है। यहां पर प्रदूषण का कारण धूल-कण है और उसे नहीं रोका जा रहा। कोई छोटा घर निर्माण कर रहा है तो उस पर सभी नियम लागू होते हैं लेकिन जिनके कारण धूल-कण उड़ रहे हैं उसपर कोई ध्यान नहीं है। टूटी हुई सड़क नहीं होनी चाहिए ताकि धूल-कण न उड़े। सड़कों पर साफ सफाई होती रहनी चाहिए ताकि धूल-कण न उड़े। शहर की कितनी सड़के होंगी जो टूटी हुई हैं और धूल-कण उड़ा रही है। बहुत कम सड़कों पर साफ सफाई होती है। शहर में सड़कों और पूल, अंडर पास का निर्माण हो रहा है लेकिन सफाई की ओर ध्यान नहीं है। इतना धीमा काम चल रहा है कि वहां धूल-कण खूब उड़ रही है।
----- अरावली पहाड़ी ::
शहर के दो भाग में अरावली पहाड़ी लगती है अगर इसे सच में दावों के मुताबिक पीपल-नीम पेड़ों से हर भरा कर दिया जाए तो गुरुग्राम शहर के लोगों को बड़े स्तर पर स्वच्छ हवा मिलेगी और जहरीली हवा से राहत भी।
लेकिन अरावली में अवैध खनन, बड़े-बड़े फार्म हाउस बने हैं और वन विभाग की तरफ से दावों के मुताबिक पौधारोपण नहीं किया जाना भी एक बड़ा कारण है कि वहां पर स्वयं कोई विलायती बबूल का पेड़ होता है जो स्वच्छ पर्यावरण के लिए कोई खास लाभदायक नहीं है।
------- जहां पर धूल-कण उड़ती है और प्रदूषण का कारण बनता है हम वहां पर जुर्माना कर रहे हैं। हमारी कार्रवाई करने में कोई ढील नहीं रहती।
--कुलदीप सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।