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हर घर तिरंगा: फरुखनगर की ऐतिहासिक बावड़ी पर गूंजे देशभक्ति के गीत

कस्बे की ऐतिहासिक बावड़ी पर मंगलवार को देशभक्ति से ओतप्रोत कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर प्रस्तुत राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत गीतों ने सभी में देशभक्ति की भावना भर दी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Aug 2022 07:11 PM (IST)Updated: Tue, 09 Aug 2022 07:11 PM (IST)
हर घर तिरंगा: फरुखनगर की ऐतिहासिक बावड़ी पर गूंजे देशभक्ति के गीत
हर घर तिरंगा: फरुखनगर की ऐतिहासिक बावड़ी पर गूंजे देशभक्ति के गीत

संवाद सहयोगी, फरुखनगर: कस्बे की ऐतिहासिक बावड़ी पर मंगलवार को देशभक्ति से ओतप्रोत कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर प्रस्तुत राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत गीतों ने सभी में देशभक्ति की भावना भर दी। बड़ी संख्या में लोग यहां उपस्थित रहे। आमजन कलाकारों का उत्साह बढ़ाते हुए इसमें भागीदार बने। यह कार्यक्रम जिला प्रशासन और कला तथा सांस्कृतिक कार्य विभाग हरियाणा की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। पटौदी के एसडीएम प्रदीप कुमार इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

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कार्यक्रम का उद्देश्य देशभक्ति से युक्त सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को 13 से 15 अगस्त तक अपने घर पर तिरंगा फहराने का संदेश देना रहा। चंडीगढ़ से आए कला तथा सांस्कृतिक कार्य विभाग के कलाकारों ने 'यहां हर कदम कदम पर धरती बदले रंग, यहां बोली में रंगोली सात रंग, देश रंगीला रंगीला, देश मेरा रंगीला' गीत पर प्रस्तुति दी तो लोग खुशी से झूम उठे। जब 'तू मेरा कर्मा, तू मेरा धर्मा' और 'सुनो गौर से दुनिया वालों, बुरी नजर ना हम पर डालो सबसे आगे होंगे हिदुस्तानी' आदि गीतों पर की प्रस्तुति ने सभी को थिरकने पर मजबूर कर दिया।

अंग्रेजों का डटकर किया था सामना:

सन 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय अहमद अली खान फरुखनगर के नवाब थे। उनकी अगुवाई में फरुखनगर के वीरों ने पूरे उत्साह के साथ आजादी के आंदोलन में योगदान दिया। अंग्रेजी शासन के प्रति किया गया विद्रोह तब आजादी में नहीं बदल सकी। कुछ माह बाद दिल्ली की गद्दी पर अंग्रेजों ने दोबारा अधिकार कर लिया। इसके बाद अंग्रेजों ने फरुखनगर को चारों ओर से घेर लिया। यहां के वीरों ने अंग्रेजों का डटकर सामना किया। तीन दिन तक यह युद्ध चला। अंत में नवाब अहमद अली खान को बंदी बना लिया गया और उनके साथी सैनिकों को गोलियों से भून दिया गया। नवाब को दिल्ली ले जाकर उन पर केस चलाया गया। अदालत के फैसले के बाद नवाब अहमद अली खान को बल्लभगढ़ के राजा नाहर सिंह के साथ दिल्ली के चांदनी चौक पर खुले में फांसी पर लटका दिया गया था।


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