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पांच अक्टूबर को तय होगी राम मंदिर निर्माण की दिशा

अगले महीने पांच अक्टूबर को संतों की उच्चाधिकारी समिति की दिल्ली में आयोजित बैठक में राम मंदिर निर्माण की दिशा तय होगी। इसमें देश भर से 35 से 40 संत शामिल होंगे। उनका जो भी निर्देश होगा, उसके मुताबिक आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। देश ही पूरी दुनिया के ¨हदू चाहते हैं कि जितनी जल्द हो मंदिर का निर्माण शुरू किया जाए। लोगों की भावना को देखते हुए मंदिर निर्माण शुरू कराने की दिशा में जो कुछ भी करने की आवश्यकता है, किया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Sep 2018 06:03 PM (IST)Updated: Sat, 08 Sep 2018 06:03 PM (IST)
पांच अक्टूबर को तय होगी राम मंदिर निर्माण की दिशा
पांच अक्टूबर को तय होगी राम मंदिर निर्माण की दिशा

आदित्य राज, गुरुग्राम

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अगले महीने पांच अक्टूबर को संतों की उच्चाधिकारी समिति की दिल्ली में आयोजित बैठक में राम मंदिर निर्माण की दिशा तय होगी। इसमें देश भर से 35 से 40 संत शामिल होंगे। उनका जो भी निर्देश होगा, उसके मुताबिक आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। देश ही नहीं पूरी दुनिया के ¨हदू चाहते हैं कि जल्द ही मंदिर का निर्माण शुरू किया जाए। लोगों की भावना को देखते हुए मंदिर निर्माण शुरू कराने की दिशा में जो कुछ भी करने की आवश्यकता है, किया जाएगा।

यह जानकारी विश्व ¨हदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने शनिवार को दैनिक जागरण से खास बातचीत में दी। वह परिषद द्वारा आयोजित एक सभा में भाग लेने के लिए गुरुग्राम पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि विहिप ही नहीं बल्कि संतों की उच्चाधिकारी समिति को उम्मीद थी कि अगस्त तक मामले में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आ जाएगा। देश ही नहीं पूरी दुनिया के ¨हदू सवाल करने लगे हैं कि आखिर कबसे राम मंदिर का निर्माण शुरू होगा? यह भी प्रश्न उठाने लगे हैं कि राम मंदिर निर्माण के बारे में संसद के भीतर केंद्र सरकार क्यों नहीं फैसला ले रही है? इन सवालों को देखते हुए ही संतों की उच्चाधिकारी समिति की बैठक आयोजित की जा रही है। उसमें सभी पहलुओं के ऊपर न केवल चर्चा की जाएगी बल्कि जो भी निर्णय होगा, उसके मुताबिक विहिप आगे की रणनीति तैयार करेगी।

धर्म संसद के निर्णय पर चला था राम मंदिर आंदोलन

डॉ. सुरेंद्र जैन कहते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो, इसके लिए विश्व ¨हदू परिषद ने आंदोलन धर्म संसद के निर्णय पर ही शुरू किया था। धर्म संसद का आयोजन 1984 में किया गया था। बाद में तय किया गया कि धर्म संसद में हजारों संत पहुंचते हैं। इसके लिए विशेष व्यवस्था करनी होती है। इसे देखते हुए संतों की उच्चाधिकारी समिति बनाई गई। इसमें कुछ प्रमुख संत शामिल हैं। किसी भी विषय पर निर्णय उच्चाधिकारी समिति ही लेती है। इस ²ष्टिकोण से पांच अक्टूबर की बैठक काफी महत्वपूर्ण है। पूरी उम्मीद है कि समिति जो भी निर्णय लेगी उसे केंद्र सरकार स्वीकार करेगी। अब मंदिर निर्माण में देरी नहीं होनी चाहिए। यह विषय पूरी दुनिया के ¨हदू से जुड़ा है।

विहिप को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं तोगड़िया

डॉ. सुरेंद्र जैन ने विहिप के पूर्व अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष डॉ. प्रवीण तोगड़िया पर संगठन को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कुछ कार्यालयों पर उनके समर्थकों ने कब्जा रख रखा है। तोगड़िया जिस रास्ते पर चल रहे हैं, उस रास्ते से राम मंदिर का निर्माण नहीं होगा। वे रास्ते से भटक चुके हैं। वे संगठन के कार्यकर्ताओं को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन सफल नहीं होंगे।


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