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मतदाता पर्ची नहीं मिलने से हुई परेशनी

हर चुनाव की तरह इसबार चुनाव के एक दिन पहले लोगों के पास राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं ने मतदाता पर्ची नहीं पहुंचाई थी। पहले चुनाव से एक दो दिन पहले लोगों को पर्चियां मिल जाती थी। हालांकि चुनाव आयोग की वेबसाइट के जरिए लोगों ने अपने बूथ तो ढूंढ लिए थे मगर जो लोग इंटरनेट का प्रयोग नहीं कर पाते उन्हें काफी दिक्कत आई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 12 May 2019 05:40 PM (IST)Updated: Sun, 12 May 2019 05:40 PM (IST)
मतदाता पर्ची नहीं मिलने से हुई परेशनी
मतदाता पर्ची नहीं मिलने से हुई परेशनी

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: चुनाव से एक दिन पहले लोगों के पास राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं ने मतदाता पर्ची नहीं पहुंचाई थी। पहले चुनाव से एक दो दिन पहले लोगों को पर्चियां मिल जाती थीं। हालांकि, चुनाव आयोग की वेबसाइट के जरिए लोगों ने अपने बूथ तो ढूंढ लिए, मगर जो लोग इंटरनेट का प्रयोग नहीं कर पाते, उन्हें काफी दिक्कत आई। पर्ची नहीं मिलने के बावजूद काफी लोग पिछले मतदान वाले बूथ पर पहुंचे।

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चुनाव के एक दिन पहले तक लोग पर्ची का इंतजार कर रहे थे। न्यू रेलवे रोड स्थित जांगिड़ ब्राह्मण स्कूल में बने बूथ पर मौजूद दयानंद कॉलोनी के आरडब्ल्यूए अध्यक्ष विजय शर्मा और उनके जैसे कई लोग यहां मौजूद भाजपा के बूथ कार्यालय में महिला वोटर लिस्ट मांगने में जुटे दिखे। उन्हें केवल अपनी ही नहीं, बल्कि पूरी कॉलोनी के लोगों की पर्ची नहीं पहुंचने की परेशानी थी।

दयानंद कॉलोनी, सेक्टर चार, आदर्श नगर में कई कॉलोनियों के लोगों ने पर्ची नहीं पहुंचने की शिकायत की। यहां वोटिग का जायजा लेने आए जिला महामंत्री संजय रोहिल्ला और अन्य लोगों ने जिनके पास पर्ची नहीं थी, उनकी सहायता की। रेलवे रोड के आसपास की कॉलोनियों के लोगों ने पर्ची नहीं पहुंचने की शिकायत की। इन बूथों पर महिलाओं की संख्या कम नजर आई। मैं देश हित में वोट देने के लिए तो दूसरे शहर तक चला जाऊं मगर कार्यकर्ताओं की लापरवाही है। इस बार कहीं भी पर्ची नहीं पहुंची है। केवल अपने नहीं पूरी दयानंद कॉलोनी के लिए भी कह रहा हूं। सुबह सात बजे से यहां हूं। 10 बज रहे हैं, अभी तक नहीं पता कि किस बूथ में वोट देना है।

- विजय शर्मा हर साल राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता घरों में पर्ची दे जाते थे तो काफी आसानी होती थी। इस बार बूथ पर आकर जूझ रही हूं। घर से पर्ची लेकर आने में आसानी होती है। एक ही कॉलोनी के लोगों के अलग-अलग बूथ हैं। एक केंद्र पर कई-कई बूथ हैं। पंक्तियों में लगने के काफी देर बाद लगने पता चल रहा है कि यहां तो अपना वोट ही नहीं है।

- आरती तिवारी बहुत उधेड़बुन में हूं। पिछली बार यहां वोट देने आई थी। इसलिए यहां आ गई हूं। चुनाव के पहले घर-घर जाकर पर्ची बांटने का सिस्टम ठीक था। इस बार इसका फायदा नहीं मिला। कुछ लोगों को पर्ची मिली है मगर उसमें बूथ दर्ज नहीं किया गया है।

- पूनम चतुर्वेदी

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