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जमीनी हकीकत और प्रशासन के दावों में इतना फर्क क्यों

एक दिन पहले छह मरीजों की आक्सीजन नहीं मिलने के कारण मौत हो गई और उसके बाद प्रशासन दावे कर रहा है कि सब कुछ सही है। जबकि अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए बेड खाली नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 02 May 2021 07:40 PM (IST)Updated: Sun, 02 May 2021 07:40 PM (IST)
जमीनी हकीकत और प्रशासन के दावों में इतना फर्क क्यों
जमीनी हकीकत और प्रशासन के दावों में इतना फर्क क्यों

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: एक दिन पहले छह मरीजों की आक्सीजन नहीं मिलने के कारण मौत हो गई और उसके बाद प्रशासन दावे कर रहा है कि सब कुछ सही है। जबकि अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए बेड खाली नहीं है। छोटे अस्पतालों में आक्सीजन सप्लाई नहीं हो पा रही है। बड़े अस्पतालों में आक्सीजन को लेकर सांस अटकी रहती है। होम आइसोलेशन में मरीजों को लगातार आक्सीजन की कमी हो रही है। अपने मरीजों को आक्सीजन उपलब्ध कराने के लिए स्वजन जहां जहां आक्सीजन सिलेंडर भरे जा रहे हैं वहां वहां दौड़ रहे हैं। ऐसे में रविवार को जिला प्रशासन की तरफ से दावा किया गया है कि सक्रिय कोरोना मरीजों में 36 हजार ऐसे मरीज हैं जिनको भर्ती होने की जरूरत नहीं है। वह गंभीर मरीज नहीं है और उनमें कोरोना संक्रमण के कम लक्षण है।

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---- वह लोग कौन हैं जो आक्सीजन सिलेंडर लेकर लाइन में लगे हैं?

प्रशासन के मुताबिक अगर होम आइसोलेशन में मरीज गंभीर नहीं है तो सवाल उठता है कि वह कौन लोग हैं जो बेड के लिए अस्पतालों के चक्कर लगा रहे हैं और मरीजों के स्वजन आक्सीजन सिलेंडर भरवाने के लिए धक्के खा रहे हैं। पूरा दिन लाइन में धूप में खड़े हो रहे हैं और अपनों पर आए संकट याद कर लाइन में खड़े खड़े रो रहे हैं। प्रशासन की तरफ से कहा गया कि रविवार को शहर में 29 टन आक्सीजन उपलब्ध हुई। फिर भी सिलेंडर नहीं भरे गए।

डाक्टर से करें आनलाइन लाइव बात:

जिला प्रशासन ने होम आइसोलेशन में कोरोना संक्रमित मरीजों को डाक्टरी सलाह के लिए सुबह 11 बजे से दोपहर एक बजे तक डाक्टर से जूम एप पर आमने सामने बात कर सकता है। इसके लिए जूम मीटिग आइडी है 8197 81 69398 और इससे जुड़ने के लिए पासवर्ड है 318187 जो भर कर कोई भी व्यक्ति डाक्टर से दवा आदि की सलाह ले सकता है। उपायुक्त डा. यश गर्ग ने कहा कि जिला की कोविड-19 हेल्पलाइन 1950 पर भी इस सुविधा के बारे में बताया जा रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा मरीज घर बैठे ही डाक्टर से बात कर सकें।


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