गुरुग्राम: सेंटर आफ एक्सीलेंस के जरिए स्टार्टअप्स को प्रदान की जा रही है मजबूती
आमतौर पर स्टार्टअप्स के पास संसाधनों का अभाव होता है। उनके पास चार या पांच लोगों की टीम होती है। ऐसे में उन्हें भारतीय और मल्टीनेशनल कंपनियों के साथ जोड़ने का काम नेस्काम द्वारा किया जा रहा है। इसका परिणाम भी धीरे-धीरे आने लगा है।
गुरुग्राम [यशलोक सिंह]। साइबर सिटी स्थित सेंटर आफ एक्सीलेंस (सीओई) के जरिए स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य और मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में स्टार्टअप्स की संभावनाएं सबसे अधिक हैं। इन दोनों क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, इंटरनेट आफ थिंग्स और रोबोटिक्स जैसी नई टेक्नोलाजी के इस्तेमाल से नए डिजिटल इको-सिस्टम को तैयार करने की कोशिश की जा रही है। नेशनल एसोसिएशन आफ साफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज (नेस्काम) के सेंटर आफ एक्सीलेंस में स्टार्टअप्स को बेहतर माहौल दिए जा रहे हैं।
इसके अंतर्गत उन्हें उद्योगों के साथ जोड़ने का काम किया जा रहा है। जिससे की उनका भरपूर विकास हो सके। यही नहीं उन्हें मार्केट के साथ जोड़ने की दिशा में भी ठोस कार्य किए जा रहे हैं। यदि नई टेक्नोलाजी की यदि बात की जाए तो अमेरिका और यूरोप की तरह देश में भी भरपूर जागरूकता है। इसके महत्व को समझा जा रहा है। अब जरूरत है जमीनी स्तर पर इन टेक्नोलाजी का अधिक से अधिक इस्तेमाल। इसे लेकर सेंटर आफ एक्सीलेंस प्रभावी कदम बढ़ा रहा है। स्वास्थ्य क्षेत्र पर गौर किया जाए तो इसमें इन टेक्नोलाजी के इस्तेमाल पर अधिक से अधिक जोर दिया जा रहा है। काफी हद तक स्वास्थ्य क्षेत्र डिजिटल मोड पर आ चुका है।
आमतौर पर स्टार्टअप्स के पास संसाधनों का अभाव होता है। उनके पास चार या पांच लोगों की टीम होती है। ऐसे में उन्हें भारतीय और मल्टीनेशनल कंपनियों के साथ जोड़ने का काम नेस्काम द्वारा किया जा रहा है। इसका परिणाम भी धीरे-धीरे आने लगा है। स्टार्टअप्स को बताया जा रहा है कि उद्योगों को किस प्रकार के सलूशन की जरूरत है। उन्हें उसी के अनुसार काम करने को प्रेरित किया जा रहा है। स्टार्टअप्स को अब काम भी मिलने लगा है। आने वाला समय स्टार्टअप्स के लिए बेहतर है। फिलहाल अभी पेटेंट फाइलिंग के मामले में देश की स्थिति उतनी बेहतर नहीं जितनी की होनी चाहिए। इसके लिए आधारभूत संरचना का विकास जरूरी है।
सीईओ संजीव मल्होत्रा ने बताया कि गुरुग्राम स्थित नेस्काम के सेंटर आफ एक्सीलेंस के जरिए स्टार्टअप्स की भूमि को उर्बर बनाया जा रहा है। स्वास्थ्य और मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में स्टार्टअप्स के पास भरपूर संभावनाएं हैं। साथ ही नई टेक्नोलाजी को भी यहां बढ़ावा दिया जा रहा है। नई टेक्नोलाजी में ही भविष्य है।
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