समता का अधिकार : वंचितों को मुख्यधारा से जोड़ती हैं सोनाली, फैला रहीं शिक्षा का उजियारा
गुरुग्राम की सोनाली कमजोर तबके के विद्यार्थियों को प्रारंभिक शिक्षा दिलवाकर उन्हें आगे मुख्य स्कूलों से जोड़ने का काम कर रही हैं।
गुरुग्राम [प्रियंका दुबे मेहता]। कमजोर तबके के विद्यार्थियों को शिक्षित करना व उन्हें प्रशिक्षण देने का काम आसान नहीं है लेकिन शहर की प्राध्यापक सोनाली इस काम को बखूबी अंजाम दे रही हैं। सोनाली कमजोर तबके के विद्यार्थियों को प्रारंभिक शिक्षा दिलवाकर उन्हें आगे मुख्य स्कूलों से जोड़ने का काम कर रही हैं। प्रयत्न संस्था के साथ जुड़कर सोनाली अब तक तीन केंद्रों से तीन सौ से अधिक विद्यार्थियों को मुख्य स्कूलों से जोड़ चुकी हैं और आने वाले सत्र में ढाई सौ विद्यार्थियों को स्कूलों में दाखिला दिलवाने की तैयारी में हैं।
बच्चों को ऐसे कर रही हैं शिक्षित
कॉलेज प्राध्यापक सोनाली उन लोगों तक शिक्षा का उजियारा फैला रही हैं जिन्हें बुनियादी सुविधाओं तक के लिए प्रतिदिन संघर्ष करना पड़ता है। वे अपने कुछ दोस्तों के साथ अपने फंड से लोगों को शिक्षित कर रही हैं। इतना ही नहीं उन्हें बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध करवा रही हैं।
शिक्षा का अधिकार मिलने के बावजूद बच्चे स्कूल से दूर
एक संस्था ‘प्रयत्न’ के तहत उन बच्चों के लिए काम कर रही हैं जो शिक्षा से वंचित हैं। सोनाली के मुताबिक उन्होंने जब देखा कि शिक्षा का अधिकार मिलने के बावजूद बच्चे स्कूलों से दूर हैं व मजदूरी तथा भीख मांगने जैसे काम कर रहे हैं तो उन्होंने उनके लिए कुछ करने की सोची और जुट गईं इन्हें शिक्षा से जोड़ने के काम में। सोनाली कमजोर वर्ग के बच्चों को स्कूलों से जोड़ने के भरसक प्रयास कर रही हैं लेकिन कहीं पर ये भी मजबूर हो जाते हैं।
स्कूल में दाखिले के लिए खासी जद्दोजहद
सोनाली के मुताबिक शिक्षा का अधिकार अधिनियम भले ही लागू कर दिया गया हो लेकिन विद्यार्थियों को आठवीं तक शिक्षा के लिए स्कूलों में दाखिले करवाने जाते हैं तो वहां पर उन्हें खासी जद्दोजहद करनी पड़ती है।
शिक्षा से ही लाई जा सकती है समता
सोनाली का कहना है कि अमीर-गरीब और ऊंच-नीच की खाई सिर्फ और सिर्फ शिक्षा से ही पाटी जा सकती है। ऐसे में वंचित वर्ग को शिक्षित करने के लिए व तमाम प्रयास कर रही हैं जिसमें उन्हें लंबे संघर्ष के बाद सफलता भी मिल रही है। बड़ी संख्या में कमजोर तबके के विद्यार्थियों को स्कूलों से जोड़ रही हैं। उनका कहना है कि जब यह विद्यार्थी अपने पैरों पर खड़े हो जाएंगे तो समाज का फर्क मिट जाएगा।