EXCLUSIVE: रैपिड मेट्रो को जमीन की लाइसेंस फीस में खेल, 2250 करोड़ रुपये का हुआ नुकसान
Rapid Metro पैग ने हरियाणा मास रैपिड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (एचएमआरटीसी)के प्रबंध निदेशक डी. सुरेश से जवाब भी मांगा है।
नया गुुरुग्राम [ गौरव सिंगला]। Rapid Metro: रैपिड मेट्रो के निर्माण की टेंडर प्रक्रिया में बड़ी गड़बड़ी का पर्दाफाश राज्य के प्रिंसिपल एकाउंटेंट जनरल, ऑडिट (पैग ऑडिट) ने किया है। जमीन की लाइसेंस फीस तय करने में नियमों की अनदेखी की गई है। वहीं टेंडर प्रकिया में सिर्फ एक कंपनी के हिस्सा लेने की बात सामने आई है। पैग ने हरियाणा मास रैपिड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (एचएमआरटीसी)के प्रबंध निदेशक डी. सुरेश से जवाब भी मांगा है।
लाइसेंस फीस तय करने में हुई नियमों की अनदेखी
पैग की रिपोर्ट में बताया है कि करार के बाद निजी कंपनी आरएमजीएसएल (रैपिड मेट्रो गुडग़ांव साउथ लिमिटेड) को 16 एकड़ जमीन की लाइसेंस फीस तय करने में भी नियमों को अनदेखा किया गया, जिससे लीज के दौरान 2250 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अंदेशा है।
टेंडर प्रकिया पर प्रश्नचिन्ह
जांच के मुताबिक हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने साल 2012 में रैपिड मेट्रो को लेकर आरएफपी (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल डाक्यूमेंट) आमंत्रित किया था। टेंडर प्रक्रिया में सिर्फ आइएलएंडएफएस ट्रांसपोर्ट नेटवर्क लिमिटेड और आइएलएंडएफएस रेल लिमिटेड ने हिस्सा लिया जो कि टेंडर प्रकिया पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।
जांच में हुआ खुलासा
करार के मुताबिक आरएमजीएसएल कंपनी को एचएसवीपी की तरफ से उपलब्ध कराई गई जमीन के एवज में लाइसेंस फीस देनी थी। साल 2009 में ईडीसी के व्यावसायिक, ग्रुप हाउसिंग व रिहायशी कॉलोनी के अलग-अलग रेट थे। इसमें रिहायशी कॉलोनी का 58.76 लाख रुपये प्रति एकड़, जबकि व्यावसायिक कॉलोनी का 274.71 लाख रुपये प्रति एकड़ था। टेंडर प्रक्रिया के दौरान लाइसेंस फीस के लिए कितनी ईडीसी वसूल की जाएगी, यह तय नहीं था? जांच में पाया गया कि इस कंपनी से व्यावसायिक फीस लेने के बजाय रिहायशी फीस वसूल की गई। मामले पर एचएमआरटीसी के प्रबंध निदेशक डी.सुरेश से इस बारे में संपर्क करने का प्रयास किया गया, मगर संपर्क नहीं हो सका।
पैग ने किए और भी सवाल
पैग ने अपनी जांच के हिसाब से और भी कई सवाल उठाए हैं जिसमें ईडीसी रेट, व्यावसायिक कॉलोनी के अनुरूप लाइसेंस फीस, ईडीसी वसूलने को लेकर पॉलिसी, लाइसेंस फीस तय करने का फार्मूला, लीज करार हस्ताक्षर में देरी इत्यादि शामिल है। बता दें कि रैपिड मेट्रो को हरियाणा सरकार द्वारा टेकओवर करने के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा आदेश दिए गए हैं। ट्रांसफर प्रक्रिया दो सेवानिवृत न्यायाधीशों की देख-रेख में चल रही है। अब इसका संचालन डीएमआरसी द्वारा किया जाएगा। हाईकोर्ट के आदेश पर कंप्ट्रोलर ऑडिटर जनरल आफ इंडिया (कैग) भी इसका ऑडिट कर रहा है।