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तनाव से छुटकारा पाने के लिए लोग ले रहे मेंटल हेल्थ एप्स का सहारा, जानिए यह कैसे करता है काम

मेंटल हेल्थ एप्स अलग-अलग तरीके से काम करते हैं। कुछ एप्स ग्रुप बनाकर लोगों को मंच मुहैया करवाते हैं ताकि उनका सोशल इन्वॉल्मेंट बढ़े।

By Mangal YadavEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 01:38 PM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 01:38 PM (IST)
तनाव से छुटकारा पाने के लिए लोग ले रहे मेंटल हेल्थ एप्स का सहारा, जानिए यह कैसे करता है काम
तनाव से छुटकारा पाने के लिए लोग ले रहे मेंटल हेल्थ एप्स का सहारा, जानिए यह कैसे करता है काम

गुरुग्राम [प्रियंका दुबे मेहता]। कोरोना महामारी के बाद बदली लाइफस्टाइल और बदले दौर में तनाव लाइफस्टाइल का एक हिस्सा सा बन गया है। बच्चों से लेकर बड़े तनाव व अवसाद की ओर बढ़ रहे हैं। लोगों की सेहत प्रभावित हो रही है ऐसे में लोग इससे छुटकारा पाने के लिए चिकित्सकों की परामर्श ले रहे हैं। साथ ही अब मोबाइल एप लोगों के मेंटल हेल्थ गाइड बन रहे हैं।

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इस तरह के एप्स लोगों की गतिविधियों व मनोस्थिति के आधार पर उनकी मेंटल हेल्थ का आंकलन करते हैं व फिर उन्हें परामर्श देते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के एप्स कुछ केसेज में प्रभावी होते हैं लेकिन कुछ पर इनका खास प्रभाव नहीं पड़ता। फिलहाल लोगों में इन एप्स का काफी क्रेज बढ़ा है।

ऐसे करते हैं काम

मेंटल हेल्थ एप्स अलग-अलग तरीके से काम करते हैं। कुछ एप्स ग्रुप बनाकर लोगों को मंच मुहैया करवाते हैं ताकि उनका सोशल इन्वॉल्मेंट बढ़े। इसके अलावा कुछ एप्स लोगों की गतिविधियों, उनके काम के प्रकार, उनकी उम्र व उनकी परेशानियों को ब्यौरा लेकर उन्हें रुटीन बनाने की सलाह देते हैं। ऐसे में लोग इसे फॉलो करते हैं। कुछ एप्स शरीर के वाइटल्स व सांस लेने के स्टाइल को मॉनिटर करके व्यक्ति को सलाह देते हैं। आइटी कंपनी कर्मी हर्षित सोनी के मुताबिक उन्होंने हाल ही में एप डाउनलोड की है और उसके द्वारा दी गई सलाह पर अमल कर रहे हैं। उनके मुताबिक उन्हें कुछ बदलाव देखने को मिल रहा है लेकिन अभी शुरुआत है।

एप्स को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। यह एप मोबाइल से कनेक्ट होकर चौबीस घंटे के पर्सनल काउंसलर की तरह साथ रहते हैं। कंपनीकर्मी विनय राजपूत के मुताबिक जो भी नए प्रकार का एप आता है, लोग उसे पसंद करते हैं। ऐसे में मेंटल हेल्थ एप्स भी लोगों के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं।

जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ

साइकोलॉजिस्ट उर्वशी ने बताया कि एप्स आजकल जीवन का हिस्सा बन गए हैं। हर चीज के लिए एप आ गए हैं। युवा इन्हें लेकर काफी उत्साहित रहते हैं। आजकल मेंटल हेल्थ एप लोगों को भा रहे हैं। हालांकि यह एप्स कुछ केसेज में कारगर हैं तो कुछ में इनका कोई प्रभाव नहीं पड़ता। सामान्य तनाव, दबाव या अवसाद में एप्स लाभ दे देते हैं लेकिन सीवियर केसेज में यह सफल नहीं हो रहे हैं। यह साइकोलॉजिस्ट या साइकियाट्रिस्ट का पूरा विकल्प नहीं हो सकते हैं।’

न्यूरो साइकोलॉजिस्ट तजेस्विनी सिन्हा का कहना है कि लोगों में तनाव बढ़ता जा रहा है ऐसे में उन्हें मार्गदर्शन की जरूरत होती है। एप्स मार्गदर्शक के तौर पर काम कर रहे हैं। लोगों को इस बात का ध्यान रखने की जरूरत है कि वे अपनी परेशानी के हिसाब से एप का चयन करें ताकि उन्हें लाभ पहुंच सके। एप भी वही सारी बातें बताता है जो कि एक पर्सनल काउंसलर बताया है लेकिन फिर भी है तो यह वर्चुअल ही। इसीलिए सावधानी रखनी चाहिए।

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