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ग्लेशियर फटने से फिर उभरा 2013 का दर्द, बताया कैसे लोग, घर और गाड़ियां पानी पर पत्‍ते की तरह बह रहे थे

सिकंदरपुर घोषी के रहने वाले डीएलएफ फेज एक निवासी ट्रांसपोर्टर अशोक यादव ने वर्ष 2013 की त्रासदी अपनी आंखों से देखी थी। वह परिवार सहित केदारनाथ की यात्रा पर गए हुए थे। रविवार को ग्लेशियर फटने के दृश्य ने उन्हें एक बार फिर कुछ देर के लिए हिला दिया था।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sun, 07 Feb 2021 08:20 PM (IST)Updated: Sun, 07 Feb 2021 08:20 PM (IST)
ग्लेशियर फटने से फिर उभरा 2013 का दर्द, बताया कैसे लोग, घर और गाड़ियां पानी पर पत्‍ते की तरह बह रहे थे
2013 की उत्तराखंड त्रासदी में जिले के 15 से अधिक लोगों की हुई थी मौत

गुरुग्राम (आदित्य राज)। उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने से एक बार फिर वर्ष 2013 का दर्द उभर गया। जिले के 15 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। गांव वजीराबाद के एक घर से आठ लोग चार धाम की यात्रा पर निकले थे लेकिन उनमें तीन ही लौटे। कुछ लोगों के शव भी स्वजन को नहीं मिले थे। काफी दिनों तक इंतजार करने के बाद स्वजन ने उनका अंतिम संस्कार कर दिया था। रविवार सुबह जैसे ही ग्लेशियर फटने की बात सामने आई, उत्तराखंड त्रासदी को अपनी आंखों से देखने वाले हिल गए। उन्हें लगा कि फिर वर्ष 2013 जैसी ही त्रासदी हो गई।

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गांव वजीराबाद से आठ लोग चार धाम की यात्रा पर निकले थे केवल तीन लौटे

मूल रूप से सिकंदरपुर घोषी के रहने वाले डीएलएफ फेज एक निवासी ट्रांसपोर्टर अशोक यादव ने वर्ष 2013 की त्रासदी अपनी आंखों से देखी थी। वह परिवार सहित केदारनाथ की यात्रा पर गए हुए थे। रविवार को ग्लेशियर फटने के दृश्य ने उन्हें एक बार फिर कुछ देर के लिए हिला दिया था। वह कहते हैं कि प्रकृति का रौद्र रूप क्या हाेता है, उन्होंने अपनी आंखों से देखा।

पत्तों की तरह गाड़ियां बहती चली गई

पत्तों की तरह गाड़ियां बहती चली गई थीं। घरों के साथ लाेग बहते हुए जा रहे थे। सैकड़ों गाड़ियां, घर व लोग बहकर कहां चले गए, पता ही नहीं चला। उनकी भी नई स्कार्पियो पानी में पत्तों की तरह आंखों के सामने बहती चली गई थी। भोले बाबा की कृपा से परिवार सहित घर लौटने के कई दिन बाद तक भी ऐसा लग रहा था जैसे आंखों के सामने सबकुछ बहता जा रहा है। रविवार को जब ग्लेशियर फटने का दृश्य देखा तो एक फिर से पूरा मंजर आंखों के सामने आ गया। कुछ पल के लिए तो ऐसा लगा जैसे वर्ष 2013 में पहुंच गए।

धीरे-धीरे सामने आएगा त्रासदी का मंजर

सेक्टर-10-ए निवासी व अखिल भारतीय उत्तराखंड महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रदत्त जोशी कहते हैं कि वर्ष 2013 के दौरान हुई त्रासदी का मंजर धीरे-धीरे सामने आया था। वैसे इस बार की त्रासदी से कितना नुकसान हुआ है, कितने लोग हताहत हुए हैं, यह धीरे-धीरे सामने आएगा। ऊपर से जब पानी नीचे आता है फिर सब कुछ पत्तों की तरह बहता हुआ चला जाता है।

उत्तराखंड के सभी लोग काफी चिंतित

महासभा की तरफ से भी जानकारी हासिल की जा रही है। गुरुग्राम में उत्तराखंड के काफी लोग रहते हैं। लोगों से संपर्क किया जा रहा है कि कहीं उनके जानकार तो नहीं फंसे हैं। फिलहाल कहीं से कोई सूचना नहीं है। इस त्रासदी से उत्तराखंड के सभी लोग काफी चिंतित हैं। कुछ सालों के भीतर दूसरी बार प्रकृति ने अपना रौद्र रूप दिखाया है। महासभा अपनी ओर से भी प्रभावित लोगों को सहायता उपलब्ध कराएगी।


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