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साइबर सिटी में फिर फर्जी काल सेंटर का भंडाफोड़

फर्जी काल सेंटर के संचालक बेरोजगारी का फायदा उठाते हैं। बेरोजगार युवक व युवतियां 10 से 15 हजार रुपये में ही नौकरी करने को तैयार हो जाती हैं। जब वे ज्वाइन करते हैं तो उन्हें नहीं पता होता है कि सेंटर फर्जी है या असली।

By Prateek KumarEdited By: Published: Sun, 06 Jun 2021 03:27 PM (IST)Updated: Sun, 06 Jun 2021 03:27 PM (IST)
साइबर सिटी में फिर फर्जी काल सेंटर का भंडाफोड़
पालम विहार इलाके में शनिवार रात साइबर क्राइम की टीम ने की छापेमारी

गुरुग्राम (आदित्य राज)। साइबर सिटी में फर्जी काल सेंटरों के ऊपर लगाम नहीं लग पा रही है। इसका प्रमाण है शनिवार रात भी एक फर्जी काल सेंटर का भंडाफोड़। साइबर क्राइम थाना पुलिस ने पालम विहार इलाके में संचालित फर्जी काल सेंटर का भंडाफोड़ किया। इसके माध्यम से सोशल सिक्योरिटी नंबर ब्लाक करने का भय दिखाकर अमेरिकी नागरिकों से ठगी की जा रही थी। इससे पहले बृहस्पतिवार रात ही सेक्टर-65 इलाके में फर्जी काल सेंटर का भंडाफोड़ किया गया था।

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फर्जी काल सेंटर की मिली थी जानकारी

शनिवार रात साइबर क्राइम थाना प्रभारी इंस्पेक्टर आजाद सिंह को सूचना मिली थी कि पालम विहार इलाके के सेक्टर-23 स्थित प्लाट नंबर 3202 में फर्जी काल सेंटर चल रहा है। इस बात की सूचना इलाके के सहायक पुलिस आयुक्त राजीव यादव एवं सहायक पुलिस आयुक्त (साइबर क्राइम) करण गोयल को दी गई। इसके बाद टीम बनाकर मौके पर भेजा गया। सूचना के मुताबिक गतिविधियां थीं। सेंटर में 10 से अधिक युवतियां व लगभग 20 युवक काम कर रहे थे। उनसे पूछताछ की गई तो पता चला कि सेंटर का संचालक जीगर प्रमार, भौला, दीपक एवं मौलिक है। इनमें से कोई सेंटर में फिलहाल नहीं है।

पूछताछ के बाद गिरफ्तारी

इसके बाद सेंटर के केबिन में बैठे टीम लीडर मुंबई निवासी जरार हैदर, तकनीकी हेड मध्यप्रदेश के भोपाल निवासी प्राथेश पटेल के साथ ही सहयोगी गुजरात के अहमदाबाद निवासी निशर्ग को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। उनके कब्जे से दो लैपटाप एवं दो मोबाइल बरामद किए गए। इससे पहले सेंटर संचालन को लेकर उनसे आवश्यक कागजात मांगे गए थे। नहीं देने पर आगे की कार्रवाई की गई।

सोशल सिक्योरिटी नंबर ब्लाक करने भय दिखा होती थी ठगी

प्रारंभिक पूछताछ के मुताबिक आरोपित अमेरिकी नागरिकों का डाटा आनलाइन अलग-अलग वेबसाइट से खरीदकर अपने सर्वर वीआइसीआइ डायलर पर अपलोड करके तीन से चार हजार लोगों को काल करते थे। काल रिसीव होते ही उन्हेंं सोशल सिक्योरिटी नंबर ब्लाक करने भय दिखाते थे। इसके बाद उनसे 200 से 500 डालर की डिमांड करते थे। डिमांड पूरी नहीं करने पर नंबर सस्पेंड करने या अरेस्ट वारंट का भी भय दिखाते थे। इसके बाद ग्राहक से टारगेट, ई-बे, नाइक एवं गूगलप्ले के गिफ्ट वाउचर खरीदवाकर उनसे उन गिफ्ट कार्डों के रीडीम कराकर पैसे लेते थे।

इस साल अब तक पकड़े गए फर्जी काल सेंटर

- 21 जनवरी : उद्योग विहार इलाके में चल रहे फर्जी काल सेंटर का साइबर क्राइम की टीम ने किया भंडाफोड़

- 11 फरवरी : सरस्वती विहार इलाके में संचालित फर्जी काल सेंटर का साइबर क्राइम थाना पुलिस ने किया भंडाफोड़

- 19 फरवरी : उद्योग विहार इलाके में संचालित फर्जी काल सेंटर का सीएम फ्लाइंग स्क्वायड ने किया भंडाफोड़

- 5 मार्च : सेक्टर 50 इलाके में साइबर क्राइम थाना पुलिस की टीम ने किया फर्जी काल सेंटर का भंडाफोड़

- 8 मार्च : उद्योग विहार थाने की टीम ने अपने इलाके में ही चल रहे फर्जी काल सेंटर का भंडाफोड़ किया

- 13 अप्रैल : सीएम फ्लाइंग स्क्वायड ने पालम विहार इलाके में फर्जी काल सेंटर का भंडाफोड़ किया

- तीन जून : साइबर क्राइम थाने की टीम ने सेक्टर-65 इलाके में किया फर्जी काल सेंटर का भंडाफोड़

(वैसे पिछले कुछ सालों के दौरान 30 से अधिक फर्जी काल सेंटर पकड़े जा चुके हैं)

निशाने पर विदेशी नागरिक

फर्जी काल सेंटर के संचालक विदेशी नागरिकों को ही अधिक निशाना बनाते हैं। उनके साथ धोखाधड़ी करना आसान होता है क्योंकि उन्हेंं धोखाधड़ी किए जाने का पता नहीं होता है। अधिकतर फर्जी काल सेंटरों के माध्यम से पहले कंप्यूटर सिस्टम में वायरस भेजे जाते हैं। फिर सिस्टम ठीक करने के नाम पर 200 से 500 डालर तक वसूले जाते हैं। इसके अलावा सोशल सिक्योरिटी नंबर के नाम, इंश्योरेंस दिलाने के नाम पर, लोन दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी की जाती है। सबसे अधिक बुजुर्गों एवं कम पढ़े-लिखे लोगों को निशाना बनाया जाता है क्योंकि उन्हें आनलाइन सिस्टम के बारे में अधिक जानकारी नहीं होती है। यही वजह है कि मार्केट में बुजुर्गों एवं कम-पढ़े लिखे लोगों के डाटा की कीमत अधिक हाेती है।

बेरोजगारी का उठाते हैं फायदा

फर्जी काल सेंटर के संचालक बेरोजगारी का फायदा उठाते हैं। बेरोजगार युवक व युवतियां 10 से 15 हजार रुपये में ही नौकरी करने को तैयार हो जाती हैं। जब वे ज्वाइन करते हैं तो उन्हें नहीं पता होता है कि सेंटर फर्जी है या असली। जब पुलिस छापेमारी के लिए पहुंचती है फिर वे ठगा सा महसूस करते हैं। चूंकि कर्मचारियों को कुछ भी नहीं पता होता है। इस वजह से उन्हें पूछताछ करने के बाद छोड़ दिया जाता है। सेंटरों में उन्हें केवल फोन करने के लिए कहा जाता है। आगे का काम संचालक व उनके विश्वस्त लोग करते हैं। पैसे कहां से कितना आ रहा है, यह भी कर्मचारियों को पता नहीं होता है।

पुलिस ने कहा

मौके से संचालकों के तीन विश्वस्त सहयोगियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। संचालकों की गिरफ्तारी के लिए टीम पीछे लगी हुई है। जल्द ही वे भी गिरफ्त में होंगे। लोगाें से अपील है कि जहां कहीं भी फर्जी काल सेंटर चलाए जाने के बारे में पता चले, सूचना दें।

करण गोयल, सहायक पुलिस आयुक्त (साइबर क्राइम), गुरुग्राम


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