कोरोनाकाल में आंवले से बढ़ा लोगों का लगाव, बढ़ गए दाम
कोरोना वायरस महामारी के चलते लोगों का आवंले के प्रति लगाव बढ़ गया है। इसी के चलते इसकी किमतों में भी उछाल आया हैय़
गुरुग्राम, सत्येंद्र सिंह। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए लोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले फल और सब्जियों का प्रयोग कर रहे हैं। आंवला को इसके लिए सबसे बेहतर माना जा रहा है। आंवला का सेवन करने से इसकी खपत में भी इजाफा हो गया है। यूं तो स्थानीय स्तर पर भी करीब डेढ़ सौ एकड़ भूमि में आंवला के बाग हैं, लेकिन सीजन नहीं होने के कारण आंवला बाहर से ही आ रहा है। इस कारण भाव बढ़ गए हैं। आंवला से कई तरह के उत्पाद तैयार करने वाले स्वयं सहायता समूह के पास भी इस समय काफी मांग बढ़ी है।
कई किसानों ने रायसीना व बालूदा व फरुखनगर के समीप आंवला का बाग तैयार कर रखा है। इसका सीजन आमतौर पर दिसंबर से फरवरी तक होता है। मार्च के अंत तक आंवले की फसल खत्म हो जाती है। खांडसा मंडी में राजस्थान अजमेर व पुष्कर क्षेत्र से भी आंवला आता है पर मई के पहले सप्ताह तक ही वहां से आया। इस समय आंवला दक्षिण भारत से आ रहा है।
आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. परमेश्वर अरोड़ा बताते हैं, आंवले में कैल्शियम फाइबर और विटामिन सी प्रचुर मात्र में पाया जाता है। यह प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इसे किसी न किसी रूप में खाना चाहिए। विनय यादव, सचिव, मार्केट कमेटी आम सीजन में जहां इसका भाव 20 से 30 रुपये किलो होता है। इस समय भाव 60 से 80 रुपये प्रति किलो तक चल रहा है।
हालांकि, सब्जी वाले सेक्टरों में अलग-अलग रेट पर बेच रहे हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत बने स्वयं सहायता समूह की महिलाएं भी आंवला के कई तरह के उत्पाद जैसे आंवले का मुरब्बा, आंवले के लड्डू, आंवला कैंडी और आंवले का पाउडर आदि तैयार करती हैं। उनके पास भी इस समय आंवला के उत्पाद की काफी मांग है। विटामिन सी की प्रचुर मात्र होने से लाभदायी है आंवला, जो नहीं खाते थे आंवला वह भी डाइट का हिस्सा बनाने लगे। इस समय आंवला का मुरब्बा और आंवला कैंडी की मांग दो गुनी हो गई है। सीजन नहीं होने के कारण आंवला मिल भी कम रहा है। सीजन में तो आसपास के किसानों से आंवला खरीद कर उत्पाद तैयार कर देते हैं।
मार्केट कमेटी के सचिव विनय यादव ने कहा कि इस समय थोड़ी सी दिक्कत है। -पूनम, पहल स्वयं सहायता समूह, ताज नगर इस समय मंडी में आंवले की मांग तो बढ़ी है। स्थानीय किसानों का आंवला अब नहीं आ रहा है। अब दक्षिण भारत या राजस्थान से आंवला आ रहा है। आंवला को प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला बताया जाता है इसलिए कोरोना काल में लोगों ने आंवला का सेवन अधिक कर दिया है। इससे भी मांग बढ़ी है।
जिला बागवानी अधिकारी डॉ. पिंकी यादव ने कहा कि हमारे यहां काफी किसानों ने आंवला की खेती कर रखी है। इसमें किसान को काफी फायदा होता है। आगे भी किसानों को बागवानी के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इस बार भी कुछ क्षेत्र को बागवानी में बदलने के लिए विभाग ने लक्ष्य तय किया है।