Kisan Tractor March: '26 जनवरी को न निकालें ट्रैक्टर मार्च', पूर्व सैन्य अधिकारियों ने किसानों संगठनों से की गुजारिश
Kisan Tractor March पूर्व सैन्य अधिकारियों का कहना है कि 26 जनवरी को सेना दिवस के रूप में भी मनाते हैं क्योंकि इस दिन सेना अपने शौर्य का प्रदर्शन करती है। पूरे साल सेना को इस दिन का इंतजार रहता है। ट्रैक्टर मार्च निकालने से सेना का मनोबल कमजोर होगा।
गुरुग्राम [आदित्य राज]। कृषि कानूनों के खिलाफ 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च न निकालने की अपील शहीद फाउंडेशन के बैनर तले पूर्व सैन्य अधिकारियों ने किसानों संगठनों से की है। उनका कहना है कि लाखों लोगों की कुर्बानी के बाद देश आजाद हुआ है। 26 जनवरी को सेना दिवस के रूप में भी मनाते हैं क्योंकि इस दिन सेना अपने शौर्य का प्रदर्शन करती है। पूरे साल सेना को इस दिन का इंतजार रहता है। ट्रैक्टर मार्च निकालने से सेना का मनोबल कमजोर होगा। चीन एवं पाकिस्तान जैसे दुश्मन चाहते हैं कि भारतीय सेना का मनोबल गिरे। किसानों के ट्रैक्टर मार्च से चीन एवं पाकिस्तान जैसे दुश्मन का मनोबल बढ़ेगा।
शनिवार को सिविल लाइंस स्थित शमा टूरिस्ट काम्पलेक्स में आयोजित पत्रकार वार्ता मेें उपस्थित पूर्व सैन्य अधिकारियों शहीद फाउंडेशन के संयोजक मेजर (डा.) टीसी राव, ब्रिगेडियर जेके बंसल, कर्नल जेके सिंह, कर्नल महावीर यादव, कर्नल एके मेहंदीरत्ता, कैप्टन राजेंद्र यादव एवं मेजर एसएन यादव ने एक सुर से किसानों से अपील की कि वे 26 जनवरी को छोड़कर बाकी दिन अपना प्रदर्शन करते रहें। 26 जनवरी को लेकर सेना महीनों तैयारी करती है। पूरी दुनिया की नजर गणतंत्र दिवस समारोह के ऊपर रहती है क्योंकि सेना अपने पराक्रम का प्रदर्शन करती है। सेना में अधिकतर किसानों के बेटे हैं। यह भी किसान संगठनों को समझना चाहिए।
समारोह के दौरान न केवल शहीदों का सम्मान किया जाता है बल्कि उनके स्वजन का भी सम्मान किया जाता है। यह दिवस साल में केवल एक बार आता है। ट्रैक्टर मार्च निकालकर महान दिवस का अपमान न करें। चीन एवं पाकिस्तान देश को कमजोर करने में फिराक में बैठा है। भारतीय सेना की मजबूती की वजह से दोनों कुछ भी कर पाने की स्थिति में नहीं हैं लेकिन जब सेना का ही मनोबल गिर जाएगा फिर दुश्मनों से कैसे मुकाबला करेंगे।
सेना की खातिर 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च न निकालें। यदि किसान ट्रैक्टर मार्च निकालते हैं तो पूरी दुनिया में भारत की स्थिति कमजोर होगी। पूरी दुनिया में संदेश जाएगा कि वहां के लोग अपने राष्ट्रीय पर्व का भी सम्मान नहीं करते। पूरा देश 26 जनवरी का इंतजार करता है। शासन-प्रशासन कई दिन पहले से ही तैयारी में जुट जाता है, लेकिन इस बार किसान आंदोलन की वजह से सभी का ध्यान बंटा हुआ है।
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