एनबीसीसी कंपनी को हरियाणा में ब्लैकलिस्ट करने की होगी सिफारिश
एनबीसीसी द्वारा विकसित सेक्टर-37डी स्थित ग्रीन व्यू प्रोजेक्ट के हालात को देखते हुए टाउन एंड कंट्री प्लानिग के डीटीपी प्लानिग ने एनबीसीसी कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर भविष्य में कोई लाइसेंस न दिए जाने की सिफारिश करने का फैसला किया है।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: एनबीसीसी (नेशनल बिल्डिग कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन) द्वारा विकसित सेक्टर-37डी स्थित ग्रीन व्यू प्रोजेक्ट के हालात को देखते हुए टाउन एंड कंट्री प्लानिग के डीटीपी प्लानिग ने एनबीसीसी कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर भविष्य में कोई लाइसेंस न दिए जाने की सिफारिश करने का फैसला किया है। जल्द ही इसे लेकर महानिदेशक को भी पत्र लिख दिया जाएगा।
बता दें कि टाउन एंड कंट्री प्लानिग विभाग द्वारा एनबीसीसी को वर्ष 2009 में सेक्टर-37 डी में बहुमंजिला सोसायटी विकसित करने का लाइसेंस दिया गया था। इस सोसायटी में कुल 784 फ्लैट है और 2017 में ही लोगों को फ्लैटों के कब्जे दिए गए। चार साल के भीतर जब सोसायटी के फ्लैटों में प्लास्टर गिरना शुरू हुआ तो लोगों ने निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठाने शुरू कर दिए और विरोध करने लगे।
विरोध बढ़ा तो एनबीसीसी कंपनी की तरफ से आइआइटी दिल्ली से इसका स्ट्रक्चर आडिट कराया गया और बीते साल कंपनी प्रबंधन ने खुद ही माना कि इमारत रहने लायक नहीं है। इसके बाद कंपनी की तरफ से लोगों को बिल्डिग खाली करने के लिए नोटिस भेजने शुरू कर दिए गए। लेकिन यह बात निवासियों को पसंद नहीं आई और निवासियों ने इसका विरोध किया। कंपनी प्रबंधन ने नगर निगम आयुक्त को भी पत्र लिखकर आवंटियों से फ्लैट खाली कराने की मांग रखी है।
अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन के प्रधान रणधीर सिंह का कहना है कि चार साल पहले ही फ्लैटों का कब्जा मिला है, पहले कंपनी प्रबंधन हमारे फ्लैटों की राशि 15 प्रतिशत ब्याज, 25 लाख मुआवजा और फ्लैट के अंदर खर्च किए गए इंटीरियर के पैसों का आकलन कर वापस करें। हम एक सप्ताह के भीतर फ्लैट खाली कर देंगे। प्रबंधन की तरफ से सोसायटी निर्माण में आक्यूपेशन सर्टिफिकेट के नियमों तक का पालन नहीं किया गया। आज तक भी फायर सेफ्टी को लेकर नोटिस आ रहे है। पर्यावरण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से भी कई क्लियरेंस नहीं लिए गए। इस मामले को लेकर बीते दो दिन पहले बैठक हुई थी, जिसमें एनबीसीसी कंपनी प्रबंधन द्वारा बनाए गए फ्लैटों को खाली करने का पक्ष रखा गया। निवासियों ने भी अपना पक्ष रखा। इतने कम समय में निर्माण की इतनी खराब हालत को देखते हुए कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने का फैसला लिया गया है। जल्द इसे लेकर महानिदेशक को पत्र लिख दिया जाएगा।
संजय कुमार, डीटीपी प्लानिग