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नमो देव्यै, महा देव्यै: जरूरतमंद कन्याओं को पढ़ाई के साथ आत्मनिर्भर बनाने का उठाया बीड़ा

शहर में गगनचुंबी अट्टालिकाओं के बीच बहुत से ऐसे जरूरतमंद परिवार भी हैं जो न केवल अपने रोजमर्रा की जरूरतों से वंचित हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 06:08 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 06:12 PM (IST)
नमो देव्यै, महा देव्यै: 
जरूरतमंद कन्याओं को पढ़ाई के साथ आत्मनिर्भर बनाने का उठाया बीड़ा
नमो देव्यै, महा देव्यै: जरूरतमंद कन्याओं को पढ़ाई के साथ आत्मनिर्भर बनाने का उठाया बीड़ा

महावीर यादव, बादशाहपुर

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शहर में गगनचुंबी अट्टालिकाओं के बीच बहुत से ऐसे जरूरतमंद परिवार भी हैं, जो न केवल अपने रोजमर्रा की जरूरतों से वंचित हैं। धनाभाव में उनके बच्चे भी शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। शिक्षा से वंचित रहने वाली ऐसी किशोरियों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है सेवा भारती की रितु गोयल ने। रितु गोयल न केवल इन किशोरियों को पढ़ाने का इंतजाम करती हैं, बल्कि उनको नैतिक शिक्षा देने के साथ-साथ अब इनको आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी कामगार कदम उठा रही हैं। किशोरियों को स्वावलंबी बनाने के साथ-साथ वे महिलाओं को चीनी लड़ियों से त्योहारों पर घरों को सजाने की बजाय स्वदेशी अपना कर दीयों से जगमग करने को जागरूक करती हैं।

सेवा भारती किशोरी शिक्षा के प्रकल्प के माध्यम से जरूरतमंद किशोरियों को शिक्षित किया जा रहा है। इसके लिए चकरपुर, भवानी एनक्लेव, सेक्टर-3, सुखराली में इस समय शिक्षा केंद्र संचालित हो रहे हैं। कोरोना कॉल में भी शिक्षा केंद्र ऑनलाइन चलाए जा रहे हैं। रितु गोयल कहती हैं कि किशोरियों को शिक्षित करने के साथ ही विभिन्न शिक्षण संस्थाओं में जाकर किशोरियों को नैतिक व सामाजिक शिक्षा से भी रूबरू कराया जाता है। घरेलू परेशानियों में पड़कर दुखी होने वाली किशोरियों को काउंसलिग के माध्यम से आम धारा में लाने का काम भी किया जा रहा है। समाज को बेहतर बनाने के लिए नींव को मजबूत करना होगा। सोशल मीडिया के दौर में किशोरी इसके प्रभाव और कुप्रभाव से जल्द प्रभावित हो जाती है। ऐसे में उनको सामाजिक मूल्य, बेहतर संस्कारों से परिचित कराना बेहद जरूरी होता है।

रितु गोयल ने जरूरतमंद किशोरियों को और महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में भी कदम उठाया है। इस समय वे महिलाओं को मिट्टी के दीये बनाने के लिए प्रेरित कर रही है। महिलाओं के दीये की बिक्री के लिए वे शहर की महिलाओं को चीनी सामान का बहिष्कार करने के लिए भी प्रेरित करती है। ताकि चीनी सामानों से अपने घरों को सजाने के बजाय महिलाएं त्यौहार पर अपने घरों में मिट्टी के दीये जलाएं। इस बार दीवाली के त्यौहार पर उन्होंने इन महिलाओं से और किशोरियों से एक लाख दीये तैयार कराने का लक्ष्य रखा है। मिट्टी के दीये को बेचने के लिए वे सेक्टर व सोसायटी की महिलाओं से लगातार संपर्क में रहती है। इसके अलावा घरेलू सहायिका, धोबी, ड्राइवर, माली आदि के काम में लगे लोगों के परिवारों को स्वावलंबी बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के सामाजिक संगठनों के माध्यम से प्रशिक्षण दिलाने का काम करती हैं। छोटे-छोटे रोजगार चलाने के लिए सरकारी सहायता के बारे में भी उनको जानकारी देती है। ताकि सामाजिक ताने-बाने से वंचित परिवार भी मुख्यधारा में जुड़ सकें।


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