अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय परिषद की बैठक
आश्रम हरि मंदिर संस्थाओं के संचालक महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज अखिल भारतीय संत समिति के आजीवन निदेशक मनोनीत किए हैं। यह मनोनयन आश्रम हरि मंदिर संस्कृत महाविद्यालय पटौदी में आयोजित अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय परिषद की बैठक में किया गया। इससे पूर्व बैठक का शुभारम्भ गणामान्य संतों ने दीप प्रज्जवलित कर किया। बैठक में जगदगुरू रामानंदाचार्य ब्रह्मलीन स्वामी हंस देवाचार्य तथा शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी दिव्यानंद भिक्षु के
संवाद सहयोगी, पटौदी: आश्रम हरि मंदिर संस्थाओं के संचालक महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज अखिल भारतीय संत समिति के आजीवन निदेशक मनोनीत किए हैं। यह मनोनयन आश्रम हरि मंदिर संस्कृत महाविद्यालय पटौदी में आयोजित अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय परिषद की बैठक में किया। इससे पूर्व बैठक का शुभारंभ गणमान्य संतों ने दीप प्रज्जवलित कर किया।
बैठक में जगदगुरू रामानंदाचार्य ब्रह्मलीन स्वामी हंस देवाचार्य तथा शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी दिव्यानंद भिक्षु के निधन को संत समाज एवं सामान्यजन के लिए अपूर्णनीय क्षति बताते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजली दी। बैठक में विभिन्न रिक्त पड़े पदों पर नियुक्तियां भी की गई। इधर बैठक में राष्ट्र, धर्म, गीता, गौ एवं गंगा के संरक्षण पर एक संगोष्ठी का भी आयोजन किया। संगोष्ठी में अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं गुजरात के सारसा मठ के अधिष्ठाता आचार्य अविचल दास ने कहा कि हिदुत्व की रक्षा में ही देश की रक्षा निहित है और हिदुत्व की रक्षा साधु संत ही कर सकता है। उन्होंने कहा कि अतीत में जहां-जहां भी हिदु निर्बल हुआ है, वह क्षेत्र देश से अलग हुआ है। वर्तमान में भी जिस प्रांत में भी हिदुत्व कमजोर है वहां समस्याएं बढी हैं। हांलाकि पिछले पांच वर्ष के शासनकाल में हालात में सुधार हुआ है। संगोष्ठी में मेजबान आश्रम के संचालक महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज ने राष्ट्र देवो भव का नारा देते हुए कहा कि जहां हम माता, पिता, आचार्य एवं अतिथि को देवता मानते हैं वहां राष्ट्र को भी देवता माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्र, धर्म, गीता, गाय, गंगा के संरक्षण में ही विश्व का कल्याण संभव है। समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद महाराज ने कहा कि जिन लोगों ने धर्म परिवर्तन कर दूसरा धर्म अपना लिया है, उन्हें हिदु धर्म की कुछ जातियों के लिए मिलने वाला आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए। ऐसे लोगों की पहचान के लिए एक मुहिम चलाई जानी चाहिए। संगोष्ठी में समिति के मुख्य निदेशक स्वामी ज्ञान देव सिंह तथा समिति के उपाध्यक्ष स्वामी देवेंद्रानंद महाराज सहित अनेक संतों ने अपने विचार रखे तथा हरियाणा प्रदेशाध्यक्ष स्वामी ब्रह्मस्वरूप, दिल्ली प्रदेशाध्यक्ष स्वामी अनुभूतानंद, हिमाचल प्रदेशाध्यक्ष रामशरण दास, जम्मु कश्मीर प्रदेशाध्यक्ष स्वामी दिव्यानंद, उत्तर प्रदेशाध्यक्ष स्वामी गौरी शंकर, उत्तराखंड प्रदेशाध्यक्ष स्वामी ईश्वर दास, राजस्थान प्रदेशाध्यक्ष स्वामी दीपक पुरी, उड़ीसा प्रदेशाध्यक्ष स्वामी शंकरानंद, स्वामी सुधानंद महाराज, जीएल शर्मा, प्राचार्य मदन मोहन भट्ट, स्वामी धर्मदेव महाराज के शिष्य अभिषेक बांगा, तिलकराज तथा संजीव कपिल सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।
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