निगम की डायरी: संदीप रतन
गुरुग्राम नगर निगम में मैकेनिकल रोड स्वीपिग मशीनों से सड़कों की सफाई के नाम पर घोटाला हुआ है। प्रदेश के गुप्तचर विभाग ने इस संबंध में नगर निगम से रिपोर्ट मांगी है।
सफाई के नाम पर हो गया घोटाला
गुरुग्राम नगर निगम में मैकेनिकल रोड स्वीपिग मशीनों से सड़कों की सफाई के नाम पर घोटाला हुआ है। प्रदेश के गुप्तचर विभाग ने इस संबंध में नगर निगम से रिपोर्ट मांगी है। गुप्तचर विभाग की ओर से पत्र जारी कर कहा गया है कि निगम ने वर्ष 2010 में जेके कांट्रेक्टर और वीएन इंजीनियरिग को मशीनों से सड़कों की सफाई का ठेका 1200 रुपये प्रति किलोमीटर शुल्क के हिसाब से दिया था, लेकिन सड़कों की सफाई के नाम पर खानापूर्ति की गई। यह भी कहा गया है कि निगम अधिकारियों की मिलीभगत से लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। 30 अगस्त को नगर निगम ने मुख्यालय से नई मैकेनिकल रोड स्वीपिग मशीनें मिलने के बाद जेके कांट्रेक्टर एजेंसी का ठेका रद कर दिया था। लेकिन गुप्तचर विभाग की ओर से इस मामले की जांच शुरू होने से निगम अधिकारियों को अन्य मामले खुल जाने का डर भी सताने लगा है। कब्जे से बचाएंगे पेड़
निगम की सरकारी जमीन को कब्जे व अतिक्रमण से बचाने के लिए एक नायाब तरीका अपनाया जा रहा है। सरकारी जमीन की चारदीवारी की जा रही है, लेकिन इसमें तो काफी लंबा वक्त लग सकता है। ऐसे में बेशकीमती जमीन को कब्जों से बचाने के लिए पौधे लगाए जा रहे हैं। हाल ही में निगम की टीम द्वारा सेक्टर 109 स्थित 12 एकड़ जमीन पर नीम, शीशम, गुलमोहर सहित कई तरह के छायादार पौधे लगाए गए हैं। एक्सईएन विशाल गर्ग का कहना है कि सिकंदरपुर में बायोडायवर्सिटी पार्क-2 विकसित करने के लिए अतिक्रमण हटाकर इसकी चारदीवारी भी की जा रही है। शहर के निगम क्षेत्र में लगभग 150 एकड़ सरकारी जमीन से कब्जा हटाया जाना है। इसके लिए एन्फोर्समेंट विग काम कर रही है। निगम के पौधे लगाने के इस कदम से जहां सरकारी जमीन सुरक्षित रहेगी, वहीं शहर में हरियाली बढ़ने से प्रदूषण में कमी आने की उम्मीद है। भ्रष्टाचार पर गुप्तचर विभाग की नजर
गुरुग्राम निगम में भ्रष्टाचार के मामलों पर प्रदेश के गुप्तचर विभाग की नजर है। गुप्तचर विभाग के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ने 4 अगस्त को नगर निगम में दो पदों- क्लर्क और एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के लिए हुए साक्षात्कार और भर्ती प्रक्रिया की जांच करने व इसकी रिपोर्ट भेजने के आदेश दे दिए हैं। दैनिक जागरण ने 4 अगस्त के अंक में 'निगम में दो पदों की भर्ती पर बवाल' शीर्षक से प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी, जिसके बाद गुप्तचर विभाग ने भी इस मामले की जांच शुरू कर दी है। गुप्तचर विभाग की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि सोसायटी फॉर स्ट्रे केनाइन बर्थ कंट्रोल (घुमंतू कुत्तों का टीकाकरण व बंध्याकरण करने वाली संस्था) के तहत पहले भी भर्ती हो चुकी है। भर्ती का परिणाम फिलहाल घोषित नहीं हुआ है, लेकिन गुप्तचर विभाग के इस पत्र से निगम अधिकारियों में खलबली मच गई है।
संपत्ति कर का गड़बड़झाला
शहर में पांच लाख से ज्यादा संपत्तियां (इमारतें) हैं, लेकिन निगम के रिकॉर्ड में 3.76 लाख संपत्तियां ही दर्ज हैं। चार साल से संपत्तियों का सर्वे नहीं किया गया है। निगम को इन वर्षो में निर्मित हो चुकी नई संपत्तियों का संपत्ति कर नहीं मिलने से लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। प्रदेश स्तर पर मेसर्स याशी कंसल्टेंसी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को संपत्तियों का सर्वे करने का कार्य सौंपा हुआ है, लेकिन लगभग एक साल बीतने के बावजूद यह कंपनी सभी संपत्तियों का सर्वे नहीं कर पाई है। शहर में कई घरों में पेइंग गेस्ट यानी पीजी हाउस चल रहे हैं। व्यावसायिक गतिविधियां होने के बाद भी इनका संपत्ति कर रिहायशी संपत्ति कर की दर से जमा कराया जा रहा है। ऐसा करके संपत्ति कर कम भुगतान कर लाखों रुपये का चूना लगाया जा रहा है। सबसे ज्यादा पीजी हाउस डीएलएफ, सुखराली और सेक्टर दस में बने हुए हैं।