ओमान-यमन का रेगिस्तान है टिड्डियों का मुख्य ब्रीडिग सेंटर
टिड्डियों का दल हरियाली का दुश्मन है। यह हवा के रूख के साथ आगे बढ़ता रहता है। इसका मुख्य ब्रिडिग सेंटर ओमान एवं यमन का रेगिस्तान है। यह जानकारी कृषि विवि के सेवानिवृत्त मुख्य वैज्ञानिक डॉ.नंदलाल भाटिया ने दी है।
आदित्य राज, गुरुग्राम
टिड्डियों का दल हरियाली का दुश्मन है। यह हवा के रूख के साथ आगे बढ़ता रहता है। इसका मुख्य ब्रीडिंग सेंटर ओमान एवं यमन का रेगिस्तान है। वहां से सोमालिया, अफ्रीका, ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान से होते हुए अपने देश के राजस्थान एवं गुजरात इलाके में प्रवेश कर गया। राजस्थान में पहुंचते-पहुंचते टिड्डियों की संख्या काफी बढ़ चुकी है। राज्य सरकारें चाहें तो यह दल पूरी तरह खत्म हो सकता है। दल रात में किसी न किसी इलाके में पेड़ों पर व नीचे आराम करता है। उसी दौरान स्प्रे किया जाए, तो सभी खत्म हो जाएंगे।
यह जानकारी चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त मुख्य वैज्ञानिक डॉ.नंदलाल भाटिया ने दैनिक जागरण से बातचीत में दी। उन्होंने बताया कि टिड्डियां रेत में अंडे अधिक देती हैं। यही वजह है कि पाकिस्तान से राजस्थान के इलाके में पहुंचते-पहुंचते इनकी संख्या काफी बढ़ जाती है। दल एक दिन में 150 किलोमीटर तक जा सकता है। यह हवा के रूख के साथ चलता है। इस वजह से पहले यह अनुमान लगाना मुश्किल होता है कि दल किस इलाके में पहुंचेगा। एक दल की लंबाई कम से कम आधे किलोमीटर की होती है। दल जिस जगह बैठता है उसे चट करके ही उठता है। यह हरियाली का दुश्मन है। यह नरम चीजों को निशाना बनाता है। ज्वार, बाजरा, धान, गेहूं, भिडी, कपास, पपीता, अमरूद, नींबू के पत्ते आदि को विशेष रूप से निशाना बनाता है। पंजाब से लेकर बिहार तक पहुंचेगा
टिड्डी दल राजस्थान से हरियाणा होते हुए दिल्ली में प्रवेश कर चुका है। यह पंजाब, उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार एवं ओडिशा तक जा सकता है। धीरे-धीरे इसकी संख्या कम होती चली जाएगी। टिड्डियों की औसत आयु 70 दिनों की होती है। इस दौरान टिड्डियां जहां तक जा सकती हैं, वहां तक जाती हैं। केवल आराम करने के लिए ही रुकती हैं, अन्यथा आगे बढ़ती रहती हैं। किसी एक देश की नहीं, वैश्विक समस्या है
टिड्डियों से कुछ देश नहीं, बल्कि दुनिया के अधिकतर देश परेशान हैं। यह वैश्विक समस्या बन चुकी है। इंटरनेशनल फूड्स एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन इस पर काम कर रहा है। सभी देश अपने स्तर पर भी प्रयास कर रहे हैं। सरकारों को चाहिए कि इसके ऊपर हेलीकॉप्टर से दवाई का छिड़काव करे। इससे इनका पूरी तरह खात्मा आसान होगा। ड्रोन के माध्यम से भी स्प्रे किया जा सकता है। वैसे अब सरकार ने लोगों को काफी जागरूक कर दिया है। इससे लोग पहले ही सतर्क हैं। टिड्डियों को देखते ही ढोल या थाली बजाने लगते हैं। इससे दल नीचे नहीं आता है। यदि आ भी जाता है, तो शोर से टिकता नहीं।