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लाइफस्टाइल : फिटनेस के बदलते ट्रेंड में बॉडी शे¨मग को लेकर बदल रहा है समाज का नजरिया

फिटनेस को अबतक फिगर से जोड़कर देखा जाता था। ऐसे में मोटापे को किसी अभिशाप से कम नहीं माना जाता था लेकिन अब मिथक टूट रहे हैं और फिट होने के मायने बदल रहे हैं। मोटे व कर्वी लोग भी अपने अंदर आत्मविश्वास भरकर फिटनेस को नई परिभाषा दे रहे हैं। उनके इस आत्मविश्वास से समाज की धारणाएं भी बदल रही हैं। अब मोटे लोग फैशन से लेकर हर मंच पर अपने आत्मविश्वास की चमक से लोगों को फिटनेस के बारे में दोबारा सोचने पर मजबूर कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 Jan 2019 06:30 PM (IST)Updated: Wed, 16 Jan 2019 06:30 PM (IST)
लाइफस्टाइल :  फिटनेस के बदलते ट्रेंड में बॉडी शे¨मग को लेकर बदल रहा है समाज का नजरिया
लाइफस्टाइल : फिटनेस के बदलते ट्रेंड में बॉडी शे¨मग को लेकर बदल रहा है समाज का नजरिया

प्रियंका दुबे मेहता, गुरुग्राम

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फिटनेस को अबतक फिगर से जोड़कर देखा जाता था। ऐसे में मोटापे को किसी अभिशाप से कम नहीं माना जाता था, लेकिन अब मिथक टूट रहे हैं और फिट रहने के मायने बदल रहे हैं। मोटे व कर्वी लोग भी अपने अंदर आत्मविश्वास भरकर फिटनेस की नई परिभाषा दे रहे हैं। अब मोटे लोग फैशन से लेकर हर मंच पर अपने आत्मविश्वास की चमक से लोगों को फिटनेस के बारे में सोचने पर मजबूर कर रहे हैं। बदलते दौर में बदली मान्यताएं

फिटनेस एक्सप‌र्ट्स का कहना है कि लोग उनके पास आते हैं तो आंतरिक फिटनेस के लिए व्यायाम के तरीके पूछते हैं। अब लोग बाहरी रूप से फिटनेस के प्रति विमुख हो गए हैं। कर्वी फिगर व बॉडी शे¨मग पर काम करने वाली बरखा नांगिया का कहना है कि जीरो फिगर अब फिटनेस नहीं, दीवानगी के तौर पर देखा जाता है। अब स्वस्थ रहना ही फिट रहना कहलाता है। उनके मुताबिक मोटापे के प्रति सकारात्मक होते नजरिए के चलते अब लोग अपने फिगर को नहीं बलदना चाहते। स्वस्थ रहने पर लोगों का ज्यादा जोर

फिटनेस एक्सपर्ट याश्मीन का कहना है कि आज के दौर में बदलती आबोहवा में लोगों को स्वस्थ रहने पर ज्यादा जोर देना चाहिए। बाहरी सौंदर्य या जीरो साइज फिटनेस के असल मायनों से कहीं दूर है। लोग मसल्स बना लेते हैं और फिगर को गढ़ लेते हैं, लेकिन जरा से बदलाव से बीमार व तनावग्रस्त हो जाते हैं। ऐसे में इस तरह की फिटनेस का कोई मतलब नहीं है। अब लोग अपने फिगर की तरफ ज्यादा ध्यान न देकर अपने आत्मविश्वास को बढ़ा रहे हैं। 'अब बॉडी शे¨मग बीते वक्त की बात हो गई है। अब लोग अपने फिगर को लेकर इतनी ¨चता नहीं करते। समाज का नजरिया बदलने के लिए अब प्लस साइज के लोगों के लिए अलग से फैशन शो होने लगे हैं, टीवी व फिल्मों में इन्हें तरजीह मिलने लगी है। ऐसे में इस वर्ग के लोगों का आत्मविश्वास बढ़ा है।'

-बरखा नांगिया, संस्थापक, ग्लैमर गुड़गांव 'फिट रहने का संबंध बॉडी शेप से नहीं होता। इस बात को अब लोग समझने लगे हैं। जहां सौंदर्य प्रतियोगिताओं में स्लिम लोगों का एकाधिकार होता था और अब वहीं आत्मविश्वास व इनर ब्यूटी को ज्यादा तरजीह मिल रही है। किसी को भी खूबसूरत दिखने के लिए जीरो फिगर में होने की जरूरत नहीं होती।'

-निहारिका परमार, कर्वी ब्यूटी पेजेंट विजेता


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