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जोगिया द्वारे-द्वारे: सत्येंद्र सिंह

प्रदेश मंत्रिमंडल के विस्तार की आहट ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। माना जा रहा है कि प्रदेश मंत्रिमंडल में कई नए चेहरे लिए जाएंगे। विधायकों के बायोडाटा भी खंगाले जा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 06:59 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 06:59 PM (IST)
जोगिया द्वारे-द्वारे: सत्येंद्र सिंह
जोगिया द्वारे-द्वारे: सत्येंद्र सिंह

विस्तार की आहट से राजनीतिक हलचल बढ़ी

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प्रदेश मंत्रिमंडल के विस्तार की आहट ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। माना जा रहा है कि प्रदेश मंत्रिमंडल में कई नए चेहरे लिए जाएंगे। विधायकों के बायोडाटा भी खंगाले जा रहे हैं। प्रदेश को सबसे अधिक राजस्व देने वाले गुरुग्राम को इस बार मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। जिले को प्रदेश का आइना माना जाता है। बादशाहपुर क्षेत्र के निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद को कृषि विकास निगम का चेयरमैन बनाया जा चुका है। ऐसे में अब सोहना के विधायक संजय सिंह, पटौदी के विधायक सत्यप्रकाश जरावता तथा गुड़गांव विधानसभा क्षेत्र के विधायक सुधीर सिगला में मंत्री बनने की होड़ लगी हुई है। किसी को मुख्यमंत्री मनोहर लाल का करीबी माना जाता है तो कोई केंद्रीय मंत्री का खासमखास है। किसी की संगठन में अच्छी पकड़ है। जनता के बीच जाकर काम कराने की होड़ भी लगी हुई है। देखना है कि तीर किसका निशाने पर लगता है। बिना खेत के अरमानों की फसल

नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहा किसान आंदोलन कई नेताओं के लिए अपनी राजनीति चमकाने का प्लेटफार्म बन चुका है। ऐसे कई नेता पक्ष व विपक्ष में बयान देने लगे हैं, जिनकी राजनीति पहले फीकी रही है। नेता जी दलबल के साथ एक दिन राजीव चौक के पास धरनास्थल पर जाने के लिए पहले समर्थकों के साथ रणनीति बनाते हैं। वहां कितने लोग एकत्र होंगे, उनके खाने में क्या-क्या आइटम ले चलना इसका गुणा-गणित दो दिन पहले ही लगा लिया जाता है। समोसे-पकौड़े किस रेस्टोरेंट के होंगे यह भी नेता जी अपने खास लोगों से सलाह लेकर ही राजीव चौक की ओर चलते हैं। स्पीच पहले से ही तैयार होती है कि कहना क्या है। बात कानून पर कम प्रदेश सरकार को हर मोर्चे पर विफल साबित करने पर अधिक होती है। दरअसल नेता जी का जोर बिना खेत के अरमानों की फसल उगाने पर अधिक होता है।

बिमला की चुप्पी में राज छिपा है

केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह की खासमखास पटौदी की पूर्व विधायक बिमला चौधरी आजकल शांत बैठी हैं। इसके पीछे दो वजहे मानी जा रही हैं। पहली तो वह सही मौके की तलाश में हैं, दूसरी अपने बेटे रवि चौधरी के लिए राजनीति का प्लेटफार्म बना रही हैं। बिमला की जगह रवि कई कार्यक्रमों में नजर भी आते हैं। बिमला का टिकट काटकर पार्टी ने राव इंद्रजीत के विपरीत राजनीति कर मुख्यमंत्री के करीबी बने सत्यप्रकाश जरावता को टिकट दिया गया था। वह जीत भी गए थे। विधायक बनने के बाद जरावता ने मुख्यमंत्री से और नजदीकी बना ली। राव व उनके बीच क्षेत्र में विकास कार्य कराने का दावा करने की होड़ भी लगी रहती है। यह भी माना जा रहा कि बिमला राव के प्रति वफादारी दिखाने के लिए शांत बैठी हैं, जबकि विधायक रहते हुए मुख्यमंत्री के खिलाफ झंडा उठा चुकी हैं। मौन में कुछ तो राज है?

तहसील में चलती नहीं बाहर रुकती नहीं

जाति प्रमाण पत्र से लेकर रिहायशी प्रमाण पत्र, परिवार पहचान पत्र हो या आधार कार्ड सब कुछ आनलाइन हो चुका है। यह सुविधा लोगों को आसानी से नहीं सुलभ हो पा रही है। तहसीलों में बैठे कुछ कर्मचारी अपने चहेतों के साथ मिलीभगत कर योजना की हवा निकाल रहे हैं। कर्मचारी का टका सा जवाब होता है, साइट नहीं चल रही है। वे साइट बंद होने की बात ही नहीं बताते हैं बल्कि जहां साइट चल रही होती है वहां का रास्ता भी दिखा देते हैं। तहसील परिसर के बाहर ही कुछ लोगों ने साइबर कैफे खोल रखे हैं। इनके यहां साइट बड़ी स्पीड से चलती है, जबकि इंटरनेट कनेक्शन एक ही कंपनी का है। बादशाहपुर तहसील में अपने काम से पहुंचे धर्म सिंह भी साइट की इस चाल को देखकर दंग रह गए। उन्होंने कहा कि भाई साइट की भी अजब चाल है, तहसील में चलती नहीं बाहर रुकती नहीं।


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