100 से अधिक वाहनों का चालान, लेकिन नहीं लग पा रही लगाम
वाहनों में मनमर्जी से बदलाव करने के खिलाफ ट्रैफिक पुलिस द्वारा गत वर्ष 109 चालान किए गए लेकिन खास असर नहीं दिख रहा है। दबी जुबान से ट्रांसपोर्टर ही स्वीकार करते हैं कि बाडी में बदलाव किए जाने वाले वाहनों की संख्या लगभग 25 फीसद है।
आदित्य राज, गुरुग्राम
वाहनों में मनमर्जी से बदलाव करने के खिलाफ ट्रैफिक पुलिस द्वारा गत वर्ष 109 चालान किए गए लेकिन खास असर नहीं दिख रहा है। दबी जुबान से ट्रांसपोर्टर ही स्वीकार करते हैं कि बाडी में बदलाव किए जाने वाले वाहनों की संख्या लगभग 25 फीसद है। इनमें ट्रक, डंपर, ट्राला, कंटेनर एवं ट्रैक्टर ट्राली की संख्या सबसे अधिक है। काफी संख्या में दो पहिया वाहनों से लेकर आटो एवं कारें भी सड़कों पर दौड़ रही हैं जिनके बाहरी हिस्से में बदलाव किया गया है। यह मोटर व्हीकल एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन शर्तों का उल्लंघन है।
नियमानुसार किसी भी वाहन के बाहरी हिस्से में बदलाव नहीं कर सकते। बदलाव करना न केवल रजिस्ट्रेशन शर्तों का उल्लंघन है बल्कि इससे वाहनों की पहचान नहीं हो पाती है। खासकर हादसा होने पर जब इंश्योरेंस के लिए आवेदन दिया जाता है तो वाहन की पहचान ही नहीं हो पाती है। ओवरलोडिग के चक्कर में लोग न केवल वाहनों की ऊंचाई, लंबाई एवं चौड़ाई बढ़वा देते हैं बल्कि उसका रंग भी बदलवा देते हैं। कार मालिक परिवहन विभाग से बिना अनुमति लिए इंजन बदल लेते हैं।
इसे लेकर ट्रैफिक पुलिस अभियान तो चला रही है लेकिन उसका असर नहीं दिख रहा है। क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकरण भी ओवरलोडिग के खिलाफ अभियान चला रही है। यहां तक कि बाडी काटने तक की कार्रवाई की जा रही है। जानकारों का मानना है कि जब तक शहर में चल रहे बाडी वर्कशाप पर नकेल नहीं कसी जाएगी तब तक बात नहीं बनेगी। काफी वर्कशाप में चोरी-छिपे वाहनों के बाहरी हिस्से में बदलाव का काम किया जाता है। शहर में चारों तरफ बाडी वर्कशाप हैं लेकिन परिवहन विभाग या ट्रैफिक पुलिस के पास कोई आंकड़ा नहीं। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक ट्रांसपोर्टर ने कहा कि चालान काटने से बेहतर है उस जगह को ठीक करना जहां से बीमारी पैदा होती है यानी जिन वर्कशाप में वाहनों के बाहरी हिस्से में बदलाव किए जाते हैं।
. दो लाख से अधिक वाहनों का चालान
गत वर्ष ट्रैफिक पुलिस ने 2.21 लाख से अधिक वाहनों का चालान करके 10.43 करोड़ रुपये से अधिक राशि जुर्माने के रूप में वसूल की। इनमें 109 ऐसे वाहन थे जिनके बाहरी हिस्से में बदलाव किए गए थे या इंजन को बदल दिया गया था। वाहनों का मूल रंग बदलने की भी शिकायत सामने आई थी। बिना परिवहन विभाग से अनुमति लिए इंजन बदलने की कई शिकायत सामने आई थी। नियमानुसार इंजन बदलने से पहले परिवहन विभाग से अनुमति लेने का प्रविधान है। बता दें कि पिछले कुछ समय से पेट्रोल कार में सीएनजी किट लगाने का चलन बढ़ गया है। यही नहीं डीजल आटो में सीएनजी किट भी बिना अनुमति के लगवाने की शिकायत सामने आ रही है। वाहनों की लंबाई, ऊंचाई एवं चौड़ाई के साथ ही रंग में बदलाव नहीं कर सकते। इंजन बदलने से पहले अनुमति लेनी होगी। रुटीन में वाहनों के ऊपर नजर रखी जाती है। समय-समय पर विशेष अभियान चलाने के ऊपर भी जोर दिया जाता है। लोगों से अपील है कि वे नियमों का उल्लंघन न करें।
- संजीव बल्हारा, सहायक पुलिस आयुक्त (ट्रैफिक), गुरुग्राम