हरेरा बेंच के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे ग्रीनोपोलिस आवंटी
ग्रीनोपोलिस वेलफेयर एसोसिएशन की रविवार को शहर के महरौली रोड स्थित जीआइए हाउस में बैठक हुई। इस बैठक में शामिल करीब 300 आवंटियों ने हरियाणा भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (हरेरा) बेंच के 23 जनवरी को सुनाए एक निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला लिया है। आवंटियों का आरोप है कि हरेरा बेंच गुरुग्राम ने 61 पेज का जो आदेश जारी किया है उसमें कोई दम नही है। एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि प्रसाद ने यहां तक कह दिया है कि हरेरा गुरुग्राम के चेयरमैन डॉ. केके खंडेलवाल पर आवंटियों को अब विश्वास नहीं रहा। वह ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर व 3सी शेल्टर इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। जबकि बिल्डर द्वारा हरेरा कार्यालय में जमा कराए गए दो चेक बाउंस हो चुके हैं।
जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: ग्रीनोपोलिस वेलफेयर एसोसिएशन की रविवार को शहर के महरौली रोड स्थित जीआइए हाउस में बैठक हुई। इस बैठक में शामिल करीब 300 आवंटियों ने हरियाणा भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (हरेरा) बेंच के 23 जनवरी को सुनाए एक निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला लिया है। आवंटियों का आरोप है कि हरेरा बेंच गुरुग्राम ने 61 पेज का जो आदेश जारी किया है उसमें कोई दम नही है। एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि प्रसाद ने यहां तक कह दिया है कि हरेरा गुरुग्राम के चेयरमैन डॉ. केके खंडेलवाल पर आवंटियों को अब विश्वास नहीं रहा। वह ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर व 3सी शेल्टर इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। जबकि बिल्डर द्वारा हरेरा कार्यालय में जमा कराए गए दो चेक बाउंस हो चुके हैं।
सेक्टर-89 स्थित ग्रीनोपोलिस रिहायशी परियोजना को लेकर बैठक में शामिल लोगों ने कहा कि अब उन्हें हरेरा से न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है। हरेरा बेंच ने बिल्डर ने आदेश दिया था कि तीन फेज में वर्ष 2020 तक इस परियोजना को बिल्डर द्वारा पूरा किया जाए। पहला फेज जुलाई, 2019 को पूरा हो जाएगा। इसके बाद भी बिल्डर ने साइट पर काम शुरू नहीं किया है। इसके बावजूद हरेरा द्वारा इन पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा रही है। आवंटी उमेश मेहता का है कि अब आवंटी हरेरा के चक्कर में अपना और समय बर्बाद नहीं करेंगे।
ग्रीनोपोलिस वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि प्रसाद ने कहा कि आवंटियों द्वारा पीएमओ में भी शिकायत दी गई है। वहीं स्टेट विजिलेंस से भी शिकायत की गई है। बता दें कि ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा 2011 में इस प्रोजेक्ट का लाइसेंस लिया गया था। अलाटियों को 2012 और 2013 में फ्लैटों का आवंटन किया गया था। आवंटियों को इसका कब्जा बिल्डर द्वारा दिसंबर 2015 दिया जाना था। जो अब तक नहीं दिया गया। ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा लाइसेंस प्राप्त करने के बाद 3सी शेल्टर इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को निर्माण की जिम्मेदारी सौंप दी। दोनों के बीच हुए समझौते के अनुसार फ्लैटों में से 35 प्रतिशत फ्लैट ओरिस अपने पास रखेगा और 65 प्रतिशत फ्लैट 3सी शेल्टर इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा बेचा जाएगा।