कच्चे माल की महंगाई छोटे उद्योगों के लिए बड़ा संकट
वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौर में उद्योग जगत जितना संभलने का प्रयास कर रहा है उसकी राह उतनी ही संकटों भरी होती जा रही है। खासकर छोटे उद्योगों की स्थिति इस समय अत्यंत चुनौतीपूर्ण होती जा रही है।
यशलोक सिंह, गुरुग्राम
वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौर में उद्योग जगत जितना संभलने का प्रयास कर रहा है, उसकी राह उतनी ही संकटों भरी होती जा रही है। खासकर छोटे उद्योगों की स्थिति इस समय अत्यंत चुनौतीपूर्ण होती जा रही है। उनके समक्ष वर्तमान में सबसे बड़ा संकट औद्योगिक कच्चे माल की महंगाई है। वर्ष 2020 की तुलना इनकी कीमत में इस समय भारी भरकम इजाफा हो गया है। यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। यही कारण है कि माइक्रो, स्माल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज के लिए पुराना आर्डर पूरा करना और नया लेना मुश्किल होता जा रहा है।
प्लास्टिक, रबर, स्टील व कापर सहित अन्य प्रकार के औद्योगिक कच्चे माल की कीमत को आसमान से जमीन पर लाने की मांग उद्योग जगत द्वारा लगातार की जा रही है। एमएसएमई क्षेत्र के उद्यमियों का कहना है कि कच्चे माल की महंगाई से उनका उत्पादन लागत काफी बढ़ गया है। इससे आटो, इंजीनियरिग, फर्नीचर व बिजली से संबंधित उपकरणों को बनाने वाले उद्योगों की कमर टूटती नजर आ रही है। उत्पादन में गिरावट आने लगी है। पुराने आर्डर को पूरा करना ही इनके लिए चुनौतीपूर्ण हो गया है। उद्यमी देवेंद्र खुराना बताते हैं कि एग्रीमेंट के आधार पर बायर्स को सप्लाई दी जाती है। अधिकतर छोटे उद्योगों ने एक वर्ष पहले एग्रीमेंट किया था उस समय कच्चा माल सस्ता था। जीआइए अध्यक्ष जेएन मंगला ने इस मामले में केंद्र सरकार को पत्र लिखा था। छोटे उद्योगों को राहत देने लिए उठाए जाएं यह कदम
- बायर्स कच्चे माल की बढ़ी कीमत के अनुसार नया एग्रीमेंट करें
- कच्चे माल के दाम को कम करे सरकार
- माल ढुलाई में दी जाए आर्थिक राहत
- कच्चे माल की खरीद के लिए दी जाए सब्सिडी
- कच्चे माल पर लगे टैक्स को कम किया जाए
- बैंक लोन के ब्याज दर में कमी की जाए
- किश्तों की अवधि को बिना किसी पेनाल्टी के बढ़ाई जाए
- सरकारी सप्लाई के मामले में अर्नेस्ट मनी माफ की जाए
- प्रदेश सरकार प्रापर्टी टैक्स में दे राहत
- बिजली के रेट में की जाए कमी औद्योगिक कच्चे माल की बढ़ी कीमत ने एमएसएमई श्रेणी के उद्योगों के लिए संकट खड़ा कर दिया है। इस प्रकार के माहौल में छोटे उद्योगों की आर्थिक स्थिति दयनीय होती जा रही है। इस दिशा में विशेष ध्यान देने की जरूरत है नहीं तो इसका काम करना दुश्वार हो जाएगा।
एसके आहूजा, महासचिव, गुड़गांव चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री