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डीजल जेनरेटर पर बैन से उद्योग जगत परेशान

मंदी से दौर से उबरने का प्रयास कर रही इंडस्ट्री को पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) के आदेश से बड़ा झटका लगा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 Oct 2019 07:56 PM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 06:16 AM (IST)
डीजल जेनरेटर पर बैन से उद्योग जगत परेशान
डीजल जेनरेटर पर बैन से उद्योग जगत परेशान

यशलोक सिंह, गुरुग्राम

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मंदी के दौर से उबरने का प्रयास कर रही इंडस्ट्री को पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) के आदेश से बड़ा झटका लगा है। उसके द्वारा दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र की औद्योगिक इकाइयों में डीजल जेनरेटर चलाने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया है। इससे उद्योग जगत परेशानी में घिर गया है। औद्योगिक एसोसिएशनों के पदाधिकारियों का कहना है कि गुरुग्राम के औद्योगिक क्षेत्रों में क्वालिटी पावर सप्लाई का भारी अभाव है। सरकारी स्तर पर उद्योगों को 24 घंटे बिजली देने का दावा किया जाता है। जबकि हकीकत में ऐसा नहीं है। यहां का पावर इंफ्रास्ट्रक्चर काफी कमजोर है। बुधवार को बिजली कटौती के बाद भी बड़ी संख्या में औद्योगिक इकाइयों में जुर्माने के डर से जेनरेटर नहीं चलाया गया जिससे औद्योगिक कामकाज प्रभावित हुआ है।

उद्यमियों का कहना है फेस्टिवल सीजन इंडस्ट्री के लिए कारोबार की ²ष्टि से काफी बेहतर रहता है। ऐसे समय में डीजल जेनरेटर पर पाबंदी इंडस्ट्री को बैकफुट पर धकेलने वाला साबित होने जा रहा है। गुरुग्राम स्थित उद्योगों को आए दिन पावर लाइन में फाल्ट की समस्या से जूझना पड़ता है। फाल्ट की शिकायत करने के बाद इसके समाधान में कई घंटे लग जाते हैं। वहीं अघोषित पावर कट भी परेशानी का बड़ा कारण है। वोल्टेज में उतार-चढ़ाव की शिकायतें आम बात हो गई हैं। ऐसी स्थिति में यदि जेनरेटर नहीं चलाया जाएगा तो औद्योगिक उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित होगा। गारमेंट इंडस्ट्री के संचालकों का कहना है कि उन्हें विदेश से जो ऑर्डर मिले हैं उसे पूरा करना ऐसी स्थिति में बड़ी चुनौती बन गई है। यदि समय पर ऑर्डर पूरा नहीं दिया तो हाथ से ऑर्डर भी निकल जाएगा। जो छवि धूमिल होगी सो अलग। गुरुग्राम में काफी ऐसी इंडस्ट्री हैं जिन्हें 24 घंटे बिजली की जरूरत होती है। इसमें चिलिग प्लांट, मिल्क प्लांट, कोल्ड स्टोरेज, फूड प्रोसेसिग कंपनी, मॉल्ट कंपनी, आइटी-आइटीईएस, डाटा सेंटर व सर्वर के नाम प्रमुख हैं। इनके लिए जेनरेटर किसी लाइफलाइन से कम नहीं है। एक घंटे की बिजली कटौती भी इनके लिए बड़ा संकट साबित हो सकती है। यही कारण है उद्यमियों द्वारा प्रदेश सरकार से मांग की जा रही है कि वह ईपीसीए से डीजल जेनरेटर मामले में इंडस्ट्री को छूट दिलाने का आग्रह करे।

-- यहां का पावर इंफ्रास्ट्रक्चर ऐसा नहीं है कि इंडस्ट्री को क्वालिटी पावर सप्लाई हो सके। जब भी पावर लाइन में कोई फाल्ट आता है या अघोषित बिजली कटौती होती है तभी जेनरेटर चलाया जाता है। अब इस पर पूर्ण पाबंदी से इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान होगा। गुड़गांव चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की ओर से प्रदेश के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी इंडस्ट्री को पत्र लिख राहत की मांग की गई है।

विकास जैन, अध्यक्ष, गुड़गांव चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री

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आर्थिक सुस्ती के दौर से बाहर निकलने के प्रयास में जुटी इंडस्ट्री के लिए डीजल जेनरेटर पर पाबंदी लगाना उचित नहीं है। इस पाबंदी से औद्योगिक सेहत में तेजी से गिरावट आएगी। या तो सरकार इंडस्ट्री के लिए 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करे या तो इस प्रकार का प्रतिबंध हटवाए।

दीपक मैनी, महासचिव, गुड़गांव इंडस्ट्रियल एसोसिएशन


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