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कामगारों की कमी से धीमी पड़ रही है औद्योगिक नब्ज

साइबर सिटी के उद्यमियों को अब आर्थिक पैकेज पाने से कहीं अधिक चिता कामगारों की सताने लगी है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 May 2020 04:36 PM (IST)Updated: Fri, 22 May 2020 04:36 PM (IST)
कामगारों की कमी से धीमी पड़ रही है औद्योगिक नब्ज
कामगारों की कमी से धीमी पड़ रही है औद्योगिक नब्ज

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: साइबर सिटी के उद्यमियों को अब आर्थिक पैकेज पाने से कहीं अधिक चिता कामगारों की सताने लगी है। उनका कहना है कि यदि कामगार ही नहीं होंगे तो औद्योगिक कामकाज कैसे हो पाएगा। जिले के सभी इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित औद्योगिक इकाइयों में कर्मचारियों की कमी बड़ी समस्या बनी हुई है। उद्योग विहार इंडस्ट्रियल एरिया की बात की जाए तो वहां लगभग 90 फीसद फैक्टरियों में काम ठप हो चुका है। कई फैक्टरियों में काम शुरू होने के बाद कामगारों की कमी को देखते हुए बंद करना पड़ गया।

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गुरुग्राम से भारी संख्या में कामगार अपने घर जा चुके हैं और यह सिलसिला अभी भी जारी है। उन्हें बसों और ट्रेनों द्वारा उनके गृह राज्य सरकार द्वारा भिजवाया जा रहा है। उद्यमियों का कहना है कि अधिकतर औद्योगिक इकाइयों के पास अभी अधिक काम नहीं हैं, जिस कारण अभी कामगारों का अभाव उतना नहीं खल रहा है जितना कि भविष्य में खलने वाला है। जिस दिन मार्केट डिमांड बढ़ी तो उद्यमियों के ऑर्डर में भी इजाफा होगा। ऐसे में यहां से गए कामगार अपने राज्यों से डेढ़ से दो माह में नहीं लौटे तो इंडस्ट्री के लिए यह काफी खतरनाक होगा। फिलहाल अभी जो माहौल दिखाई दे रहा है उससे लग रहा है कि कामगार अभी यहां ठहरने के मूड में नहीं हैं। उद्योग विहार स्थित गारमेंट फैक्टरी के संचालक शिव प्रकाश माथुर का कहना है कि दिल्ली क्षेत्र में रहने वाले उद्योग विहार स्थित फैक्टरियों के कर्मचारी कई दिनों से काम पर नहीं आ पा रहे हैं, ऐसे में वह भी अपने घर जाने लगे हैं।

कादीपुर, बसईं, दौलताबाद, पटौदी रोड और बहरामपुर औद्योगिक क्षेत्र में भी कर्मचारियों को लेकर भारी परेशानी हो रही है। कादीपुर इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष श्रीपाल शर्मा का कहना है कि कर्मचारियों की कमी से औद्योगिक कामकाज पर नकारात्मक असर दिखाई दे रहा है। कामगारों के लगातार घर जाने से औद्योगिक इकाइयों में कर्मचारियों की भारी कमी हो गई है जिससे औद्योगिक कामकाज पर विपरीत असर पड़ रहा है। मेरे पास यूरोप और अमेरिका से गारमेंट के ऑर्डर आए पड़े हैं। अब तो चिता इस बात की है कि ऑर्डर पूरे कैसे होंगे। मेरी फैक्टरी में महज दो फीसद ही कर्मचारी बचे हैं।

आनंद सतीजा, एमडी, आकाश गारमेंट


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