आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपैया: निगम की एफडी में से खर्च हो गए 100 करोड़
प्रदेश के सबसे बड़े नगर निगम गुरुग्राम में राजस्व बढ़ने के बजाय खजाना खाली होना शुरू हो गया है। निगम गठन के 12 साल में ऐसा पहली बार हुआ है कि एफडी में से भी लगभग 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि खर्च हो गई है।
संदीप रतन, गुरुग्राम
प्रदेश के सबसे बड़े नगर निगम गुरुग्राम में राजस्व बढ़ने के बजाय खजाना खाली होना शुरू हो गया है। निगम गठन के 12 साल में ऐसा पहली बार हुआ है कि एफडी (फिक्स्ड डिपाजिट) में से भी लगभग 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि खर्च हो गई है। 2019 में नगर निगम की कई बैंकों में 1077 करोड़ रुपये की एफडी थी, जो लगभग एक साल में ही घटकर लगभग 950 करोड़ रुपये रह गई है।
गुरुग्राम प्रदेश का धनी नगर निगम है, लेकिन अगर ऐसे ही हालात रहे तो फरीदाबाद नगर निगम की तरह कर्मचारियों और अधिकारियों को वेतन देने के भी लाले पड़े सकते हैं। कई बड़े खर्चों का असर निगम के खजाने पर होने लगा है। बता दें कि 2008 में नगर निगम का गठन किया गया था। जो पंचायतें नगर निगम में शामिल हुई थीं, उनकी एफडी को नगर निगम के खातों में जमा कर दिया गया था। इस एफडी का करोड़ों रुपये का ब्याज भी हर साल नगर निगम को मिलता है। एफडी घटने के सवाल पर नगर निगम आयुक्त विनय प्रताप सिंह से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका। 500 करोड़ रुपये मुख्य खर्च, घट रही आमदनी
- सालाना 60 करोड़ रुपये से ज्यादा सिर्फ पांच सफाई एजेंसियों को भुगतान।
- सीएंडडी वेस्ट यानी मलबा निपटान के नाम पर 10 करोड़ से ज्यादा खर्च ।
- कचरा प्रबंधन कंपनी इको ग्रीन एनर्जी को हर माह 4.5 करोड़ का भुगतान। इसमें से दो करोड़ रुपये हर माह फरीदाबाद का भी गुरुग्राम निगम ही कर रहा है भुगतान।
- शौचालयों के रखरखाव पर सालाना 5.50 करोड़ रुपये खर्च।
- कर्मचारियों के वेतन पर सालाना खर्च 65 करोड़ से ज्यादा।
- दस मैकेनिकल स्वीपिग मशीनों का सालाना भुगतान 5.50 करोड़ रुपये।
- लगभग 150 करोड़ रुपये सिर्फ सफाई कार्यों पर खर्च हो रहे हैं।
- बागवानी शाखा ने बागवानी सिर्फ बागवानी कार्याें के लिए किया था 102 करोड़ का टेंडर।
-इंजीनियरिग शाखा का सालाना खर्च 200 करोड़ से ज्यादा।
-- ऐसे समझें निगम की आय और खर्चे का गणित
संपत्ति कर: 2019-20 में नगर निगम को 195 करोड़ का संपत्ति कर मिला, जबकि इस बार अक्टूबर तक लगभग 160 करोड़ रुपये मिले हैं। 31 मार्च तक 35-40 करोड़ रुपये संपत्ति कर की वसूली मुश्किल है।
विज्ञापन: 2019-20 में नगर निगम को विज्ञापन फीस के रूप में 13.75 करोड़ रुपये की आय हुई थी, जबकि इस बार आंकड़ा अब तक महज पांच करोड़ पर अटक गया है।
पेयजल- सीवर बिल: पानी आपूर्ति के एवज में जीएमडीए को सालाना लगभग 110 करोड़ रुपये का भुगतान। पानी और सीवर बिलों से निगम को नवंबर 2019 से अक्टूबर 2020 तक आय मात्र 14 करोड़ रुपये। - नियमानुसार एफडी की राशि का उपयोग नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा आय में से भी 80 फीसद को ही खर्च कर सकते हैं। एफडी का घटना गंभीर विषय है।
आरएस राठी, पार्षद - अगर ऐसे ही चलता रहा तो गुरुग्राम नगर निगम का हाल फरीदाबाद से भी बुरा हो जाएगा। फंड और राशि का उपयोग सोच समझकर करने की जरूरत है।
अश्विनी शर्मा, पार्षद नगर निगम में अंधाधुंध खर्चे किए जा रहे हैं। बड़े कोई प्रोजेक्ट सिरे नहीं चढ़े हैं और करोड़ों रुपये खर्च दिखा दिए गए। इस मुद्दे को सदन की बैठक में उठाया जाएगा।
रविद्र यादव, पार्षद