बिजली सप्लाई सुधार दें, जेनरेटर चलाना ही कौन चाहता है?
पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) द्वारा जारी डीजल जेनरेटर के प्रयोग पर पाबंदी लगाने के फैसले का विरोध औद्योगिक क्षेत्र द्वारा किया जाने लगा है।
जागरण संवाददाता, मानेसर: ईपीसीए द्वारा जारी डीजल जेनरेटर के प्रयोग पर पाबंदी लगाने के फैसले का विरोध औद्योगिक क्षेत्र द्वारा किया जाने लगा है। आइएमटी मानेसर स्थित औद्योगिक इकाई संचालकों ने आइएमटी इंडस्ट्रियल एसोसिएशन की तरफ से ईपीसीए के चेयरमैन को पत्र लिखा है। उद्यमियों का कहना है कि यह फैसला उद्योगों के हित में नहीं है। इसका नुकसान उद्योग जगत को होगा। अगर उद्योगों को दी जाने वाली बिजली सप्लाई ठीक कर दी जाए तो कोई उद्योगों में डीजल जेनरेटर का प्रयोग ही क्यों करेगा?
डीजल जेनरेटर बिजली सप्लाई से करीब दोगुना महंगा पड़ता है। उद्यमियों को तो मजबूरी में डीजल जेनरेटर का प्रयोग करना पड़ रहा है। आइएमटी इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन यादव ने बताया कि यह फैसला लागू कर उद्योगों की कमर तोड़ने की तैयारी की जा रही है। पूरी बिजली सप्लाई की नहीं जा रही और ऊपर से डीजल जेनरेटर का प्रयोग भी न करें। बिना बिजली उद्यमी क्या करें? इस फैसले से पूरा उद्योग जगत नाराज है। उद्योगों के लिए सबसे जरूरी बिजली होती है अगर बिजली ही नहीं मिलेगी तो उद्यमियों को काफी नुकसान होगा।
एसोसिएशन के महासचिव मनोज त्यागी ने कहा कि उद्योगों के लिए 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराई जानी चाहिए। इसके अलावा बैकअप की सुविधा भी बिजली निगम के पास होनी चाहिए। जब उद्यमियों को ठीक ढंग से बिजली मिलने लग जाएगी तो वह दोगुनी महंगी बिजली का प्रयोग क्यों करेगा? मजबूरी में ही उद्यमियों को लाखों रुपये के जेनरेटर खरीदने पड़ रहे हैं। इस प्रकार के फैसले को लागू करने से पहले बुनियादी सुविधाएं मुहैया करानी चाहिए। डीजल जेनरेटर का प्रयोग उद्यमियों द्वारा भी मजबूरी में किया जा रहा है। अगर बिजली सप्लाई को ठीक कर दिया जाता है तो उद्यमी अपने आप ही डीजल जेनरेटर का प्रयोग बंद कर देंगे।