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फाइल से कागज गायब कर एचएसवीपी का प्लॉट बेचा

हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी)के संपदा कार्यालय-2 में सरकारी प्लॉट को धोखाधड़ी से बेचने का मामला प्रकाश में आया है। यहीं नहीं प्लॉट बेचने के लिए फाइल से कागजों को भी गायब कर दिया गया है। शिकायत मिलने पर हुई जांच में गड़बड़झाला सामने आया जिसके बाद रि-अलॉटमेंट रद कर दी गई है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 06:31 PM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 06:17 AM (IST)
फाइल से कागज गायब कर एचएसवीपी का प्लॉट बेचा
फाइल से कागज गायब कर एचएसवीपी का प्लॉट बेचा

गौरव सिगला, नया गुरुग्राम

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हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) के संपदा कार्यालय-2 में सरकारी प्लॉट को नियमों का उल्लंघन कर बेचने का मामला प्रकाश में आया है। यहीं नहीं प्लॉट बेचने के लिए फाइल से कागजों को भी गायब कर दिया गया। शिकायत मिलने पर हुई जांच में गड़बड़झाला सामने आया जिसके बाद रि-अलॉटमेंट रद कर दिया गया है।

विभाग से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 1998 में सेक्टर-30 में प्लॉट नंबर 39 को दो लोगों- राकेश व पवन भारद्वाज ने नीलामी में 6 लाख में खरीदा था लेकिन तय समय-सीमा के भीतर पैसा न जमा करने पर वर्ष 2004 के आसपास विभाग ने प्लॉट रिज्यूम (वापस विभाग के अधीन) कर लिया। बावजूद इसके करोड़ से अधिक कीमत वाले प्लॉट को विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत से हेराफेरी कर महज 23 लाख रुपये में बेच दिया गया।

आरटीआइ से मिली जानकारी के आधार पर आरटीआइ कार्यकर्ता एसके शर्मा ने इसकी शिकायत संपदा अधिकारी-2 संजीव कुमार से की। तब उनके पास इस फाइल का रि-अलॉटमेंट के लिए आवेदन आया हुआ था। संजीव कुमार ने शिकायत के आधार पर आवेदन रोक दिया और मामले की जांच की। जांच शुरू करने पर एचएसवीपी प्रशासक के रजिस्टर रिकार्ड से पता चला कि यह रिज्यूम प्लॉट था लेकिन फाइल में से रिज्यूम प्लॉट के कागजों को गायब कर दिया और उसे सामान्य प्लॉट दिखाकर 6 लाख वाली मूल कीमत पर ब्याज जोड़कर वर्ष 2018 में 23 लाख जमा कर प्लॉट बेचने की क्लीयरेंस दे दी गई। इसके बाद मई 2019 में विभाग में कन्वेंस डीड की गई और विभाग से ट्रांसफर अनुमति लेकर तहसील में रजिस्ट्री कराई और फिर विभाग में बीते 10 अक्टूबर को रि-अलॉटमेंट का आवेदन किया गया। मामला खुलने पर संपदा अधिकारी-2 द्वारा इसे रद कर दिया गया।

संजीव कुमार की तरफ से इस बाबत पूरे मामले के तथ्य जुटाकर केस दर्ज करने के लिए पुलिस आयुक्त को भेज दिए गए हैं। रिकार्ड रजिस्टर से यह भी पता चला कि नवंबर 2017 में प्राधिकरण के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी मुकेश कुमार को फाइल दी गई गई थी, जिसमें 72 पेज थे लेकिन मई 2019 में जब वापस मिली तो उसमें केवल 20 पेज थे। मामले से जुड़े पूरे तथ्य जुटाकर पुलिस आयुक्त को भेज दिए गए हैं। पत्र में दोषियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करने की सिफारिश भी की गई है। रि-अलॉटमेंट रद कर प्लॉट वापस विभाग के अधीन ले लिया गया। विभाग में किसी भी सूरत में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

संजीव कुमार, संपदा अधिकारी-2, एचएसवीपी


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