आइडीसी क्षेत्र में विकास कार्य कराने से एचएसआइआइडीसी का इन्कार
बुनियादी सुविधाओं के अभाव से जूझ रहे आइडीसी औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमियों को हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम (एचएसआइआइडीसी) के जवाब से करारा झटका लगा है।
यशलोक सिंह, गुरुग्राम
बुनियादी सुविधाओं के अभाव से जूझ रहे आइडीसी औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमियों को हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम (एचएसआइआइडीसी) के जवाब से करारा झटका लगा है। एचएसआइआइडीसी ने इस क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं से संबंधित विकास कार्य कराने से स्पष्ट इन्कार कर दिया है। विकास कार्यों के मामले में यह क्षेत्र नगर निगम के हवाले होगा कि नहीं इसे लेकर भी अभी तक सरकारी स्तर पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है। तमाम संकट से जूझ रहे उद्यमियों का कहना है कि उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर प्रदेश के सबसे पुराने आइडीसी औद्योगिक क्षेत्र के साथ अनाथों जैसा व्यवहार क्यों किया जा रहा है।
आइडीसी क्षेत्र में 200 से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं। लंबे समय से इस क्षेत्र में वर्षा जल निकासी, सीवरेज व्यवस्था, पेयजल आपूर्ति व सड़कों की स्थिति अच्छी नहीं है। नगर निगम यहां इसलिए विकास कार्य नहीं कराता कि यह क्षेत्र अभी तक आधिकारिक रूप से उसके दायरे में नहीं आता। मगर विडंबना यह है कि नगर निगम इस क्षेत्र के उद्यमियों से संपत्ति कर अवश्य वसूलता है।
एचएसआइआइडीसी का तर्क है कि जब नगर निगम इस क्षेत्र से संपत्ति कर की वसूली करता है तो वह यहां बुनियादी ढांचे के रखरखाव का दायित्व अपने कंधों पर क्यों ले। बात कुछ भी हो इन दोनों विभागों के बीच में पिस तो उद्यमी रहे हैं। बता दें कि वर्ष 2015 में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जीआइए हाउस में आइडीसी क्षेत्र को नगर निगम के हवाले किए जाने की बात कही थी। इस दिशा में बात आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने एक कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी ने क्या किया क्या नहीं इसके बारे में कोई जानकारी उद्यमियों को नहीं है।
एचएसआइआइडीसी के सहायक महाप्रबंधक (औद्योगिक क्षेत्र) अरुण गर्ग से आइडीसी मामले में जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि मुख्यालय से यह आदेश आए हैं कि आइडीसी क्षेत्र में एचएसआइआइडीसी बुनियादी सुविधाओं से संबंधित कार्य नहीं करेगा क्योंकि इस क्षेत्र से संपत्ति कर नगर निगम लेता है। एचएसआइआइडीसी की जिम्मेदारी नहीं बनती है। एचएसआइआइडीसी द्वारा आइडीसी क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं के विकास कार्य कराने से इन्कार कर दिया है। हालात यह हैं कि इस क्षेत्र को सरकार द्वारा अभी तक नगर निगम के दायरे में रखने का प्रावधान नहीं किया गया है। ऐसे में यहां विकास कार्य कौन कराएगा। आखिर इस क्षेत्र के साथ अनाथों जैसा व्यवहार क्यों किया जा रहा है। इस मामले में प्रदेश सरकार को जल्द से जल्द निर्णय लेना चाहिए।
जेएन मंगला, अध्यक्ष, गुड़गांव इंडस्ट्रियल एसोसिएशन (जीआइए)