आफिसर आन ड्यूटी: सुधीर तंवर
टोक्यो ओलिंपिक में दमदार प्रदर्शन से सबके दिलों में समाने वाली भारतीय महिला हाकी टीम की कप्तान रानी रामपाल एक बार फिर सुर्खियों में हैं। सशक्त महिलाओं की सूची में शामिल हुईं रानी ने फोर्ब्स इंडिया मैगजीन के कवर पेज पर जगह बनाई है।
फोर्ब्स के कवर पेज पर संघषरें की रानी
टोक्यो ओलिंपिक में दमदार प्रदर्शन से सबके दिलों में समाने वाली भारतीय महिला हाकी टीम की कप्तान रानी रामपाल एक बार फिर सुर्खियों में हैं। सशक्त महिलाओं की सूची में शामिल हुईं रानी ने फोर्ब्स इंडिया मैगजीन के कवर पेज पर जगह बनाई है। हाल ही में पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित की गईं रानी को यह सफलता कोई रातों-रात नहीं मिली। कड़े संघर्ष से उन्होंने यह मुकाम पाया है। वह भी दौर था जब घर में घड़ी न होने पर मा आसमान के तारे देखकर उन्हें प्रेक्टिस पर भेजने के लिए उठाती थी। पिता रामपाल घोड़ा बग्गी में बैठाकर मैदान तक छोड़कर आते थे। उन्होंने अपना काम छोड़ा, लेकिन कभी रानी की प्रेक्टिस को मिस नहीं होने दिया गया। रानी के खेलों के प्रति समर्पण का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लक्ष्य को पाने के लिए अपने भाई की शादी के दिन भी प्रेक्टिस नहीं छोड़ी।
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शीर्ष अफसरशाही में बदलाव की पटकथा तैयार सूबे में शीर्ष स्तर की अफसरशाही में बदलाव की पटकथा तैयार है। मुख्य सचिव और वित्तायुक्त के साथ ही अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर के आधा दर्जन पदों पर नए चेहरे नजर आएंगे। मुख्य सचिव विजय वर्धन और लोक निर्माण विभाग के एसीएस आलोक निगम मंगलवार को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। मुखियाजी ने परंपरा आगे बढ़ाई तो राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव तथा वित्तायुक्त संजीव कौशल इस पद पर आसीन होंगे। वह सरकार की पहली पसंद भी हैं। वित्तायुक्त बनने के लिए आइएएस वीएस कुंडू और पीके दास में होड़ रहेगी। हालाकि वरिष्ठता में कुंडू दास से आगे हैं, लेकिन उनसे जुड़े विवाद नियुक्ति में रोड़े अटका सकते हैं। अफसरशाही में चर्चा है कि अगर संजीव कौशल मुख्य सचिव बनते हैं तो एससीएस स्तर के कई अधिकारी मुख्य सचिव बनने का सपना लेते हुए ही सेवानिवृत्त हो जाएंगे क्योंकि कौशल की सेवानिवृत्ति 31 जुलाई 2024 में है।
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मुखियाजी की बात में दम है हरियाणा में भर्तियों पर फिर घमासान मचा है। यूं तो प्रदेश में सरकार किसी की रही हो, भर्तियों में भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन इस बार स्थिति थोड़ी अलग है। मुखियाजी खुद एचसीएस प्रारंभिक परीक्षा और डेंटल सर्जन की नियुक्तियों सहित अन्य भर्तियों में मोटे लेन-देन की जाच करा रहे हैं। बगैर पर्ची-खर्ची के भर्ती के दावों पर सवाल उठा रहे विपक्षी नेता जहा सात साल में हुई सभी भर्तियों की निष्पक्ष जाच कराने की माग उठा रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री अब भी अपनी बात पर अडिग हैं। भर्ती परीक्षाओं के 32 पेपर लीक होने के आरोप लगा रहे सुरजेवाला पर पलटवार करते हुए सीएम कहते हैं कि मौजूदा सरकार में हुई कोई भर्ती अदालत में जाकर नहीं अटकी है। इसके उलट काग्रेस राज में हुईं सात भर्तिया हाई कोर्ट के आदेश पर रद करनी पड़ी। हमने तो दलालों का नेटवर्क तोड़ा है।
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यह कैसी जिद केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस लेने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की खुले दिल से घोषणा के बाद कैबिनेट ने कानून वापस लेने के निर्णय पर मुहर लगा दी। जल्द ही तीनों बिल वापस हो जाएंगे, लेकिन आदोलनरत किसान संगठन हैं कि धरने से उठने को तैयार नहीं। इससे सियासी गलियारों में फिर से इन किसान संगठनों की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री और हरियाणा प्रभारी विनोद तावड़े कहते हैं कि जिस माग के लिए किसान संगठन आदोलनरत थे, वह पूरी हो गई है। किसान खुश हैं जो खेतों में लौट गए। अब कोई इन आदोलनजीवियों से पूछे कि वह चाहते क्या हैं। राजनीति चमकाने के लिए आदोलन दुर्भाग्यपूर्ण है। रही बात एमएसपी की गारंटी की तो सरकार पहले ही स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों से कहीं बढ़कर फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य दे रही है। यह सब जानते हैं। नोट : अंतिम पीस सिंगल कालम के लिए है।